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महाराज की असली अंतरात्मा

TPSG

Monday, February 15, 2021, 11:00 AM
Satyanarayan pooja

प्रबोधनकर ठाकरे वैदिक भट्टी व्यवस्था पर हमला करने वाले लेखक हैं, 33 करोड़ देवताओं की खबर लेने वाले और ब्राह्मणों को खींचने वाले व्यक्ति ने बड़ी विनम्रता से गाडगे महाराज का चरित्र लिखा.. इसे गाडगे महाराज की महानता समझना चाहिए । गाडगे महाराज का उल्लेख हमेशा समाजवादी सत्य साधक के रूप में करना है । धर्म हो या धर्मग्रंथ जो परमाणु पिसट से विरोध करते हैं और देश काल के अनुसार जो इंसान को शुद्ध मानवता, नया संस्कार-विचार धर्म सिखाते हैं उन्हें संत कहते हैं, महात्मा कहते हैं, जो आप सोचते हैं उनका नाम रखते हैं, नहीं एक गाडगे महाराज जैसा है । धर्मशाला व अन्य स्थानों की आज की स्थिति को देखकर गाडगे महाराज द्वारा कड़ी मेहनत से निर्मित आंदोलन को देखकर निश्चित हो गया है कि कई लोग गाडगे महाराज के शिष्य हैं जो गुरु-शिष्य परंपरा नहीं करते । लेकिन, वे अपनी आत्मज्ञान की विरासत को जारी रखने के लिए तैयार नहीं हैं । गाडगे महाराज के नाम पर स्वच्छता अभियान चलाते समय सबसे पहले इंसान के सर से उसके दायरे से गंदगी हटाना जरूरी है । जब तक उसके सिर से गंदगी नहीं हटती तब तक उसे समाज से बाहर नहीं किया जाएगा । गाडगे महाराज ने कमाल कर दिया और जनता को खराट्या की जनता के बारे में बताया । आजादी के बाद ज्ञान और सामाजिक परिवर्तन कार्य गाडगे महाराज ने कई योजनाओं के माध्यम से किया । उन्होंने हिमालय में खरता, गाडगे, काठी और कंबल जैसे साधनों से काम किया । भाट, भगवान, मंदिर, कर्मकांड करके मन से उतरने वाले महापुरूष है गाडगे महाराज ने साधु वाना की डूबी हुई नावों को निकालने वाले बहुजनों को वैफल भाट की कहानी सुनाकर लूटने वाले भाटों को ललकारा था । सत्यनारायण करते हुए । मुंबई अपोलो बंदरगाह में डूबने वाली नाव सत्यनारायण से उतार दो, एक करोड़ रुपए नकद दूंगा । महाराज ने तर्क और विज्ञान से गुलामों के दिमाग को बचाने की कोशिश की । सत्यनारायण के बिना आज भी बच्चे पैदा नहीं होते, कल्याण नहीं होता, इसलिए पढ़े लिखे बहुजन भट अनुसरण कर रहे हैं । इन पर दया आनी चाहिए या गाडगे महाराज के खराट्य पर वार करना चाहिए । गाडगे महाराज ने तुकोब की कार्रवाई में बुवा, बाबा, साधु क्या है इसका जवाब दिया है । गाडगे महाराज ने वैदिक शाही पालथी को खरात्य के धार्मिक सूत्र से तोड़कर बुद्ध, तुकोबा, कबीर, प्रकाश बनाने का काम किया । अपने व्यवहार से ब्राह्मण धर्म की पवित्रता दिखाकर मनुष्य की महानता सिद्ध की । मंदिरो में देवता और इंसान में पत्थर देखना और इंसान की इज्जत करना सिखाया । पत्थर को भगवान बना दिया और उनके दलालों को दलालों को खाये और बहुजनों को लूटते हैं । भगवान इस दलाली को रोकने के लिए मनुष्य में लाए थे.. बुद्ध, नामदेव, कबीर तुकाराम, इन गाडगे महाराज ने मस्तक में कीर्तन के माध्यम से कबीर तुकोब की बात बताई, महात्मा फुले द्वारा शुरू की गई शिक्षा । महाराज ने उस दर्शन को बताया जो व्यवहार में व्यक्ति के प्रश्नों को समझकर जीने की आशा देता है जो बहुत ज्ञानवर्धक और भविष्यवाणी है । डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर, कर्मवीर भाऊराव पाटिल, क्रांतिसिंह नाना पाटिल उनके साथ खड़े थे । भाऊराव पाटिल जैसे कर्मयोगी और बाबासाहेब जैसे दार्शनिक गाडगे महाराज को अपना आदर्श मानते हैं । गाडगे महाराज ने उसी पैसे का इस्तेमाल किया जो जनता से लाखों रुपए जनता के हित के लिए किया था । पंढरपुर में उस समय एक लाख रुपये खर्च करके चोखमेला धर्मशाला बनाई गई थी । बाबासाहेब से मिलने के बाद बाबा ने स्कूल व अन्य ज्ञान के लिए उन्हें दिया । पहले मिलते तो धर्मशाला की जगह स्कूलों में बनवाते । आज स्कूलों की जरूरत है । ये थी महाराज की असली अंतरात्मा बहुजन समाज के लिए ।

संदर्भ :- लोक कल्याणकारी, धार्मिक संत, कर्मयोगी संत श्री गाडगेबाबा

- प्रबोधनकर ठाकरे





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