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राजरत्न आंबेडकर की ऐतिहासिक भूमिका

Siddharth Bagde
tpsg2011@gmail.com
Wednesday, October 2, 2019, 04:29 PM
Rajratn Ambedkar

धम्म प्रचारक
IBBS Organization
अंतर्राष्ट्रीय बौध्दिस्ट भीमसेना

*दी बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया तथा भारतीय बौद्ध महासभा के कानूनी कार्यवाही में बड़े बदलाव*
*राजरत्न आंबेडकर की रही ऐतिहासिक भूमिका*

पिछले कई सालों से दी बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया का *चेंज रिपोर्ट क्रमांक 2471 ऑफ 2001* मुम्बई के धर्मादाय आयुक्तालय में प्रलंबित है। ये चेंज रिपोर्ट *पी.जी. ज्योतिकर* इन्होंने साल *2001* में दर्ज करवाया था। मगर *अशोक मुकुंदराव आंबेडकर* जी की अपील *उच्च न्यायालय* में प्रलंबित होने के कारण इस चेंज रिपोर्ट पर सुनवाई नही हो रही थी।

*पी.जी. ज्योतिकर* ये *विश्व हिंदू परिषद* में भी सक्रिय रूप से कार्यरत है। वे विश्व हिंदू परिषद के *गुजरात राज्य के उपाध्यक्ष* तक रह चुके है। और इसीलिए उन्होंने जो चेंज रिपोर्ट दर्ज करवाया है उसमें तीन लोगों को विश्वस्त बनाने हेतु डाला गया है। वे तीन लोग है, *चंदू पाटिल*- जो आर.पी.आय. (ए) में सक्रिय कार्यकर्ता है। दूसरे, *हरीश रावलिया*, वो भी आर.पी.आय. (ए) में शामिल है और तीसरे जिनकी मौत हो चुकी है वो *दयानंद मोहिते*, वो भी आरपीआई (ए) के सक्रिय कार्यकर्ता तथा पदाधिकारी रहे थे। यहां तक कि ज्योतिकर ने *भाजपा के राज्यसभा सदस्य रामदास अठावले* को *संस्था के राष्ट्रीय सलाहकार* के पद पर नियुक्त किया है। कुल मिलाके चेंज रिपोर्ट २४७१ ऑफ २००१ ये आरपीआई (ए), जो अब भाजपा में शामिल हो गयी है, उनके कार्यकर्ताओ को दी बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया में विश्वस्त बनवाने के लिए डाला गया है।

*अशोक आंबेडकर* जी ने इस चेंज रिपोर्ट का अंतिम समय तक *विरोध* किया था। अशोक आंबेडकर जी के गुजरने के बाद *आयु. राजरत्न आंबेडकर ने इस चेंज रिपोर्ट का विरोध* किया। मगर पी.जी.ज्योतिकर ने दावा किया की राजरत्न आंबेडकर संस्था के *विश्वस्त साल २०१३* में बने है और उनका चेंज रिपोर्ट २००१ का है इसीलिए *राजरत्न आंबेडकर* इनको ज्योतिकर इनके चेंज रिपोर्ट में दखलंदाजी *(intervention)* करने का अधिकार प्राप्त न हो।

धर्मादाय आयुक्त ने *राजरत्न आंबेडकर* के *इंटरवेंशन अर्जी* को *खारिज* करने के बाद राजरत्न आंबेडकर ने इस आदेश के ख़िलाफ़ *उच्च न्यायालय* में एक याचिका दायर कर दी, जो अब तक *प्रलंबित* है।

चेंज रिपोर्ट क्र. 2471 पर अब अंतिम सुनवाई चल रही है। अशोक आंबेडकर अब जीवित नही है और राजरत्न आंबेडकर को इस चेंज रिपोर्ट में दखलंदाजी करने का अधिकार नहीं है। ऐसे हालात में ज्योतिकर अब निःसंदेह हो गए थे कि उनके इस चेंज रिपोर्ट को अब कोई विरोध नही कर सकता और चंदू पाटिल - हरीश रावलिया को संस्था का विश्वस्त होने से कोई नही रोक सकता।

मगर, पिछली तारीख़ को *ज्योतिकर इनके मंसूबों पर पानी* फिर गया। चेंज रिपोर्ट 2471 में इंटरवेंशन अधिकार प्राप्त किये *व्ही. एस. मोखले* इनके वकील ने राजरत्न आंबेडकर से मुलाकात की। राजरत्न आंबेडकर और उनके वकीलों को इस मामले में दखलंदाजी करने का अधिकार नही था, मगर मोखले और उनके वकीलों को ये अधिकार प्राप्त होने के वजह से राजरत्न आंबेडकर ने वो सारी बातें मोखले इनके वकील द्वारा न्यायालय के सामने रखी, जो शायद वो कभी रख नही पाते। कोर्ट भी उन सारी बातों और सबूतों को देखकर हैरान रह गया। जिन बातों को ज्योतिकर और टोली छुपा रही थी, वो सारी बातें मोखले जी के वकीलों द्वारा राजरत्न आंबेडकर ने कोर्ट के सामने रखी।

*क्या है वो हैरान करने वाला सच*

राजरत्न आंबेडकर ने कोर्ट को बताया कि *धर्मादाय आयुक्त* ने *24/07/1981* को संस्था के व्यवस्थापन के लिए स्किम बनाकर दी। इस स्कीम को *मीराताई आंबेडकरजी* ने *सिटी सिविल कोर्ट* में चैलेंज किया। *13/09/1987* को सिटी सीविल कोर्ट ने मीरा ताई आंबेडकर जी के पक्ष में निर्णय देते हुए *धर्मादाय आयुक्त की स्कीम रद्द* कर दी।_
_संस्था के तत्कालीन *अध्यक्ष अशोक आंबेडकरजी* ने इस निर्णय के विरोध में *उच्च न्यायालय* में याचिका दायर की। और फिर *14/10/1987* को उच्च न्यायालय ने *status quo* लगा दिया। (status quo का मतलब होता है कि संस्था में किसी भी तरह के बदलाव ना किया जाए)। ये status quo अशोक आंबेडकर उच्च न्यायालय में जितने तक याने *21/06/2013* तक लागू रहा।

ये बात से सुनते ही धर्मादाय आयुक्त ने राजरत्न आंबेडकर से पूछा कि इसका मतलब है कि *साल 2001 में ज्योतिकर को चेंज रिपोर्ट डालने का कोई अधिकार ही प्राप्त नही है*। राजरत्न आंबेडकर ने आगे और सबूत देते हुए कहा कि ये बात ज्योतिकर जानते थे कि उनका 2001 का चेंज रिपोर्ट अवैध है, इसीलिए उन्होंने *2015* ने एक नया *चेंज रिपोर्ट (क्रमांक 2056)* दायर किया और उस चेंज रिपोर्ट के साथ दिए शपथ पत्र में उन्होंने 2001 का चेंज रिपोर्ट अवैध होने के कारण वो उसे नही चलाना चाहते और उसे वापिस ले रहे है, ऐसा शपथपत्र दाखिल किया है। ये सुनते ही पूरे कोर्ट रूम में उस शपथ पत्र को ढूंढने के काम शुरू हुआ और जैसे ही वो जज साहिबा के पास पोहुँचा, जज साहिबा ने अपने निर्णय में उसे दर्ज करवाया।

जो बात ज्योतिकर और उनके वकील कोर्ट से छुपाना चाहते थे उस बात को राजरत्न आंबेडकर ने कोर्ट के सामने लाया। इस बात से ज्योतिकर और उनकी टोली को बड़ी निराशा हुई कि अब उनके दो लोगों का डॉ. बाबासाहब आंबेडकर जी के संस्था में विश्वस्त होने का सपना अब हमेशा के लिए टूट गया है।

इस सारे मामले में राजरत्न आंबेडकर की महत्वपूर्ण भूमिका रही। मोखले जी के वकील ने राजरत्न आंबेडकर को बधाई देते हुए सारे पेपर्स देने की मांग की।

अब अगली सुनवाई 30/09/2019 को है, सबकी नजरें धर्मादाय आयुक्त के निर्णय पर लगी है।

- पी. एस. बौद्ध





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