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बुद्ध चरित्र और तत्वज्ञान

TPSG

Tuesday, August 6, 2019, 04:33 PM
Brahm and buddha

बुद्ध चरित्र और तत्वज्ञान में ब्रम्ह और उनके भवन का बार बार उल्लेख आता है... तब अध्येता पशोपेश में पड़ जाते हैं। ऐसा होना स्वाभाविक है ...लेकिन इसका 
सही विश्लेषण होने पर इस दुविधा का शमन होता है... 
बुद्ध- दर्शन में चार ब्रम्ह विहारों की कल्पना की गई है... 
मैत्री, करुणा, मुदिता और उपेक्षा --ये चार ब्रम्ह विहार (भवन) हैं। ये विहार यानि लोकभवन हैं। उन उन भावनाओं की प्राप्ति करने वाले श्रमण इन विहारों में वास करते हैं। 
ब्रम्हा सहम्पति, इस भवन के स्वामी हैं, ऐसी कल्पना की 
गई है... 
मैत्री, करुणा, मुदिता, उपेक्षा ये मानवीय मूल्यों के सहजीवन की भावनाएँ हैं... इन भावनाओं के विहार भौतिक न होकर मानसिक हैं... ये चार ब्रम्हलोक और उनके प्रमुख ब्रम्ह, तथागत के मन के द्वंद के प्रतीक हैं...
वैशाख पूर्णिमा को ज्ञान प्राप्ति के पश्चात तथागत के मन में विषाद योग उत्पन्न हुआ ...
ये ज्ञान जनता को दिया जाये अथवा नहीं ? 
ये ज्ञान लोग समझ भी सकेंगे अथवा नहीं ? 
समझाये हुए ज्ञानानुसार लोग आचरण कर सकेंगे या 
नहीं ?
इस तरह का द्वंद और मंथन शुरू हुआ.... अपनी हंसी 
उड़ने से अच्छा है ज्ञान दिया ही न जाये... आप ही स्वयं इस निर्वाण का उपभोग किया जाये,इस तरह का
विषाद -योग उत्पन्न हुआ...इस कारण करुणा ब्रम्ह विहार के प्रमुख ब्रम्ह सहम्पति तथागत से विनय करते हैं ....कि निर्वाण का ज्ञान समस्त जनता को दिया जाये..... 
ये विषाद और ब्रम्ह सहम्पति की विनती तथागत के 
मन का रूपक है... ब्रम्ह सहम्पति कोई ऐतिहासिक व्यक्ति 
के रूप में बौद्ध साहित्य में नहीं आते हैं।

-----------------------महेंद्र शेगांवकर 
हिंदी प्रस्तुति : राजेंद्र गायकवाड़-----





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