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क्रांति और प्रतिक्रान्ति 

Sumedh Ramteke

Monday, July 1, 2019, 07:59 AM
Jambudeep

क्रांति और प्रतिक्रान्ति 
प्राचीन जम्बुद्वीप के निवासी द्रविड़ थे। द्रविड़ लोग अनेक समुदायों या वंशो में रहते थे। जैसे - नागवन्श, मेघवंश, शाक्य वशं, मौर्य वंश, कोलिय वंश गुप्त वंश, चेर वंश लिच्छवि वंश आदि।
जम्बुद्विप के इतिहासकारों ने तीन भागों में बाँटा हैं।
1. प्राचीन कालीन भारत 
2. मध्य कालीन भारत
3. आधुनिक कालीन भारत 
सभ्यता के आरम्भ से आठवीं सदी तक का इतिहास प्राचीन भारतीय इतिहास कहलाता हैं जो दस हजार वर्ष पुराना है।
नवमी सदी से सोलहवी सदी तक का इतिहास मध्य कालीन भारतीय इतिहास कहलाता हैं। सत्रहवीं सदी से अब तक का इतिहास आधुनिक कालीन भारतीय इतिहास कहलाता हैं। प्राचीन कालीन भारतीय इतिहास मुलनिवासी द्रविड़ों का इतिहास हैं, जिसमें बुद्ध, (शाक्यवंश) अशोक सम्राट (मौर्यवंश), सम्राट कनिष्क (कुशाण वंश), राजकुमार गुप्त (गुप्त वन्श), सम्राट सातकर्ण (नागवंश) आदि महापुरुष पैदा हुए। जिनकी जम्बुद्वीप को महान देन हैं। सम्राट अशोक ने अपने शासन काल में 84 हजार बौद्ध स्तूप और विहार बनाये।
इसके बाद सम्राट कनिष्क ने अनेक महलों का निर्माण किया, सम्राट कनिष्क के शासन काल में ही बुद्ध की मूर्तियाँ बनायी गयीं। जिसे मथुरा कला और कन्धार कला के नाम से जाना जाता हैं। गुप्त काल में नालन्दा बौद्ध विश्वविद्यालय का निर्माण सम्राट कुमार गुप्त ने किया और सम्राट हर्षवर्धन ने सम्पूर्ण जम्बुद्वीप में अनेक बौद्ध मठ, स्तूपों और बौद्ध विहारों का निर्माण कराया।
सम्राट हर्षवर्धन का शासन काल सातवीं सदी था, हर्षवर्धन अन्तिम बौद्ध सम्राट थे और भारत के भी अन्तिम सम्राट। उनके बाद भारत में कोई सम्राट नहीं हुआ जो हुए सब राजा थे।
सम्राट हर्षवर्धन की हत्या का प्रयास ब्राह्मण राजा शशान्क ने किया और सम्राट हर्षवर्धन की मृत्यु के बाद भारत में प्राचीन कालीन भारतीय इतिहास का अन्त और मध्य कालीन भारतीय इतिहास की शुरुआत होती हैं। वैसे प्रतिक्रान्ति का छोटा प्रयास ब्राह्मण पुश्यमित्र शुंग ने मौर्य काल में अन्तिम सम्राट ब्रहदत्त कि हत्या करके किया था, लेकिन ब्राह्मण पुश्यमित्र शुंग कि हत्या नागवंशीय सातवाहन सम्राट सातकर्ण ने कर दी और प्रतिक्रान्ति को रोक दिया।
प्रतिक्रान्ति कि शुरुआत मध्य काल के शुरुआती दौर में हुई। ब्राह्मण राजा शशांक ने अनेक बौद्ध विहार को तोड़ा, बौद्ध गया का बोधिवृक्ष जलाया। बुद्ध की मूर्तियां तोड़ी। बौद्ध भिक्षुओं के सर काटने पर इनाम की घोषणा की। इस प्रकार भारत में मध्य काल के शुरुआत में बौद्ध धम्म का पतन हुआ। भारत के विभिन्न शहरों के नाम और प्रतिक्रान्ति का इतिहास 
1.    साकेत - इसका नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया, यह अन्तिम मौर्य सम्राट ब्रहदत्त कि राजधानी थी, पुश्यमित्र शुंग ने जो उनका सेनापति था, रात्रि के समय सोयें हुए अवस्था में हत्या कर दी और बिना युद्ध के ही साकेत जीत लिया, बिना युद्ध के जीतने के कारण इसे ‘‘अयोध्या’’ नाम दिया गया। साकेत से होकर बहने वाली घाघरा नदी का नाम केवल अयोध्या में ही सरयु नदी हैं, बाकी आगे और पीछे की ओर इसका नाम घाघर नदी हैं। चुकी घाघरा नदी में बौद्ध भिक्षुओं के सर काटकर ब्राह्मणों ने फेके थे, इसलिये इसे अयोध्या में सरयु नदी नाम दिया गया।
2.    उज्जैन - यह गुप्त काल में बौद्ध धम्म और शिक्षा का केन्द्र था, यहाँ पर बौद्ध मंदिर और विहार थे। शशान्क ने इन्हें तोड़ दिया और बुद्ध की मूर्तियों को शिव की मूर्तियों में बदल दिया।
3.    मथुरा - यह बौद्ध सम्राट कनिष्क की राजधानी थी, जहाँ सबसे पहले बौद्ध मूर्तियों का निर्माण हुआ था, जिसे मथुरा कला के नाम से जाना जाता था। इसे शशांक ने अनेकों बौद्ध विश्वविद्यालय और विहारों को तोड़ा। बाद में ब्राह्मणों ने इसे कृष्ण की जन्मभूमि बताया।
4.    अजन्ता और एलौरा - यहां पर नागवंशीय शासक सातकर्ण जो सातवाहन के नाम से भी इतिहास में प्रसिद्ध हैं ने अनेक बौद्ध विश्वविद्यालय, बौद्ध विहारों और गुफाओं का निर्माण कराया था।
मध्य काल में ब्राह्मणों ने इन मूर्तियों को तोडकर शिव या अन्य देवता की मूर्ति का रूप दिया और इतिहास बदलने का प्रयास किया।
5.    नालंदा - यह सम्राट हर्षवर्धन के समय बौद्ध धम्म और शिक्षा का परमुख केन्द्र था। नालन्दा बौद्ध विश्वविद्यालय में अरब, युनान, और चीन से विद्यार्थी विद्याध्यन के लिये आते थे। यह सब प्रतिक्रान्ति मध्य काल के शुरुआती दौर में राजपूत काल में हुई। ब्राह्मणों ने राजपूतों को राजा घोषित किया और स्वयं उनके पुरोहित बनकर द्रविड़ों के समाज, संस्कृति और इतिहास को नुकसान पहुंचाने लगे। ब्राह्मणों ने नालन्दा बौद्ध विश्वविद्यालय को जलाया जो छह माह तक जलता रहा। नालन्दा बौद्ध विश्वविद्यालय, तक्षशिला बौद्ध विश्वविद्यालय के कारण ही जम्बुद्वीप विश्व गुरु था।
इसके अलावा भी ब्राह्मणों ने राजपूत काल से अनेक शहरों, बौद्ध विश्वविद्यालयो, बौद्ध विहारों को तोडकर द्रविड़ों का इतिहास खत्म करने की कोशिश की और प्रतिक्रान्ति कि जैसे - पन्डरपुर, नागार्जुन कौड़ा, उदयगिरि, मैसूर, वल्लभी, साँची, कुरुक्षेत्र, जुनागड, श्रीनगर, तिरुपति और नागापट्टिनम आदि शहरों में स्थित बौद्ध विश्वविद्यालय, विहारों, गुफाओं को तोडकर नष्ट किया। इस प्रकार मध्य कालीन भारतीय इतिहास द्रविड़ों के लिये प्रतिक्रान्ति और गुलामी का समय था।
अब बहुजनो को अपने राष्ट्र, सभ्यता, संस्कृति और अपने आने वाली पीढ़ियों की भलाई के लिये जागृत होना होगा और आजादी का आन्दोलन लड़ना होगा।
- संग्रहक - सुमेध रामटेके





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