सोहगौरा ताम्रपत्र Rajendra Prasad Singh Saturday, June 13, 2020, 06:11 PM सोहगौरा ताम्रपत्र पूर्व मौर्य कालीन या मौर्य कालीन है - यह विवादास्पद है। मगर यह विवादास्पद नहीं है कि यह आदेश किसी बौद्ध राजा का है। ताम्रपत्र पर अंकित बौद्ध प्रतीक ( बोधिवृक्ष आदि ) डंके की चोट पर साबित करते हैं कि जनकल्याण का यह आदेश किसी बौद्ध राजा का है। अभिलेख श्रावस्ती के किसी महामात्र के प्रशासनिक काल में लिखा गया है। महामात्र का नाम पता नहीं चल सका है। इस ताम्रपत्र पर आपत्ति काल के लिए दो अन्नागार बनाए जाने का आदेश लिखा है। बौद्ध राजे जनता के सरोकारों को लेकर इतने सजग थे कि दुर्भिक्ष में जनता भोजन के बिना न मरे, इसके लिए वे पुख्ता इंतजाम करते थे। अन्नागारों की राजकीय व्यवस्था सिंधु घाटी सभ्यता में थी, जिसकी निरंतरता बौद्ध राजों ने बनाए रखी। इसीलिए अनाज के दो कोष्ठागार बनाने का आदेश इस ताम्रपत्र पर लिखित है। इससे बौद्ध भारत में जनकल्याणकारी राज्य की स्थापना का पता चलता है, जिससे कि महामारी, अकाल आदि में बगैर खाए कोई मरे नहीं। अगर खाए बिना कोई मर गया तो फिर जनकल्याणकारी राज्य का क्या मतलब? Tags : Buddhist king controversial controversial Sohgaura copperplate