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बौद्धधर्मी नंद सम्राट

TPSG

Monday, January 25, 2021, 10:52 AM
Nand

बौद्धधर्मी नंद सम्राट

नंद सम्राट कुल मिलाकर दस हुए हैं और उन्होंने 140 सालों तक राज किया था| लेकिन, नंदों ने केवल 27 साल ही राज किया था और उन्होंने उन्नति के बजाय लोगों को लुटने का किया था, ऐसा इतिहासकार बताते है, जो की पुर्णतः गलत है|

अजातशत्रु के बाद मगध साम्राज्य का बड़ा विस्तार करने में नंद सम्राटों का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है| अजातशत्रु का राज्य केवल मगध और अंग प्रदेशों तक ही सिमित था, लेकिन नंद सम्राटों ने मगध का विस्तार संपुर्ण उत्तर भारत में किया था| इतना ही नहीं, बल्कि दक्षिण भारत तक उन्होंने मगध साम्राज्य को फैलाया था| व्यापार में वृद्धि कर नंदों ने भारत को प्राचीन काल में आर्थिक उन्नति पर पहुंचा दिया था, इसलिए आखिरी नंद सम्राट को धनानंद कहा जाने लगा था|

नंद सम्राट बौद्ध अनुयायी थे और महापदमानंद ने उसके साम्राज्य में 24 बौद्ध विहार बनवाये थे| नंदों ने ब्राम्हणों को महत्व देना बंद कर दिया था, इसलिए धनानंद के ब्राह्मण मंत्रियों ने विद्रोह कर नंद साम्राज्य को नष्ट कर दिया|

मुलनिवासी क्षत्रियों को अपमानित करने के लिए और खास कर मौर्यों को अपमानित करने के लिए यह मुहावरा नंदों से जोडा गया की "नंदम् अंतम क्षत्रिय अंतम्" अर्थात नंदों के अंत के साथ मूलनिवासी क्षत्रियों का भी अंत हुआ| लेकिन यह गलत बात है, क्योंकि मौर्यों को भी इतिहास में क्षत्रिय कहा गया है| पालि निकाय, अमरकोश और दिव्यावदान में मौर्यों को "मुर्दाभिषिक्त क्षत्रिय" अर्थात "मुकुटधारी क्षत्रिय" ऐसा कहा गया है|

इस तरह, हमारे मुलनिवासी क्षत्रिय राजा, महाराजा और सम्राटों का इतिहास अत्यंत गौरवशाली और प्रेरणादायी इतिहास है, लेकिन पुराणकारों ने जानबूझकर इस सत्य इतिहास को दबाकर रखा है| सम्राट अशोक पर जो बुक हम लिख रहे हैं, उसमें नंद सम्राटों की भी सत्य जानकारी हम रखनेवाले है|

-- बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क





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