बौद्धमेला उत्सव TPSG Saturday, December 19, 2020, 09:41 AM #बौद्धधर्मी जाट सम्राट हर्षवर्धन ने सातवीं सदीं मे प्रयाग में बौद्धमेला उत्सव शुरू कर दिया था। बौद्धधर्म मे सबसे महत्वपूर्ण है ज्ञान और दान। बौद्ध मेले मे ज्ञान का आदान प्रदान करने के लिए हजारों विद्वान सम्राट के सामने डिबेट करते थे और बाद में सम्राट उन विद्वानों को उनकी विद्वता के अनुरूप दान देते थे। वर्तमान प्रयाग में जो कुंभमेला आजकल होता है, वह वास्तव में बौद्धमेला का ही विकृत रूप है। आजकल अज्ञानी और बिनडोक साधू सन्यासी नंगधडंग बनकर कुंभमेले के नामपर अपनी मूर्खता और विकृतता का प्रमाण दुनिया के सामने दिखाते हैं और संपूर्ण भारतीयों को दुनिया के सामने अपमानित करते है। इसलिए, विकृत कुंभमेलों की परंपरा बंद होनी चाहिए और उसकी जगह पर उच्चकोटि के बौद्धमेला की शुरुआत होनी चाहिए। - बुद्धिष्ट इंटरनेशनल नेटवर्क बामसेफ इतिहासकार डा०प्रताप चाटसे Tags : Buddhism Therefore Indian perversion Kumbhmele Nangdhadang actually