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महिष

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Thursday, October 14, 2021, 12:13 PM
rp singh

महिष का सर्वाधिक पुराना अर्थ "महा शक्तिमान्" है। यह " मह्" धातु में "इषन" प्रत्यय जोड़कर बना है जिसमें गुरुता का भाव है। गुरुता का भाव लिए "मह्" धातु से अनेक शब्द बने हैं यथा महा , महान्, महत्व , महिमा आदि।

भारत में जब राजतंत्र का विकास हुआ, तब "महिष" का एक नया अर्थ "राजा" हो गया। कारण कि "महा शक्तिमान्" धरती पर राजा ही होते हैं।आज भी रानी को महिषी कहा जाता है ।

भारतीय वाङ्मय में "महिष" का अर्थ "भैंसा" पहली बार स्मृति- ग्रंथों में हुआ है। स्मृति- ग्रंथों से पहले कहीं भी "महिष" का अर्थ "भैंसा" नहीं मिलता है।

"महिष" का अर्थ "भैंसा " होना भाषाविज्ञान में अर्थापकर्ष का नमूना है। शब्दों के अर्थ परिवर्तित होते रहते हैं। वह कभी ऊपर उठ जाता है, कभी ज्यों का त्यों रह जाता है तथा कभी नीचे आ जाता है।

अर्थ- परिवर्तन का एक कारण नस्लीय भेदभाव भी है। चूँकि पुराने समय के प्रायः राजा नस्लीय वर्ण के आधार पर काले रंग के थे।इसलिए "महिष" का एक अर्थ रंग के आधार पर "भैंसा" भी हो गया।

निष्कर्ष यह है कि वर्तमान में "महिष " के मुख्य रूप से तीन अर्थ प्रचलित हैं- 1. महा शक्तिमान् 2. राजा और 3. भैंसा।

इस प्रकार "महिष" का अर्थ- विकास तीन चरणों में हुआ है। इसका अर्थ" महा शक्तिमान्" पहले चरण का है। दूसरे चरण में इसका अर्थ "राजा" हुआ और तीसरे चरण में इसका अर्थ- विकास "भैंसा" के रूप में हुआ है।

जिस समय में इस देश के राजा असुर (काला नस्लवाले लोग) हुआ करते थे । उस समय में महिष का अर्थ द्वितीय चरण से गुजर रहा था । इसलिए "महिषासुर" का सही अर्थ " असुरों का राजा" है, "भैंसासुर" नहीं। ....





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