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रविवार की छुट्टी का इतिहास

Kisan Bothey

Saturday, May 25, 2019, 07:17 AM
Narayan

जिस व्यक्ति की वजह से हमें ये छुट्टी हासिल हुई है, उस महापुरुष का नाम है ‘‘नारायण मेघाजी लोखंडे’’ नारायण मेघाजी लोखंडे ये जोतीराव फुलेजी के सत्यशोधक आन्दोलन के कार्यकर्ता थे  और कामगार नेता भी थे। अंग्रेजो के समय में हफ्ते के सातो दिन मजदूरो को काम करना पड़ता था। लेकिन नारायण मेघाजी लोखंडे जी का ये मानना था की, हफ्ते में सात दिन हम अपने परिवार के लिए काम करते है, लेकिन जिस समाज की बदौलत हमें नौकरिया मिली है, उस समाज की समस्या छुड़ाने के लिए हमें एक दिन छुट्टी मिलनी चाहिए। उसके लिए उन्होंने अंग्रेजो के सामने 1881 में प्रस्ताव रखा। लेकिन अंग्रेज ये प्रस्ताव मानने के लिए तैयार नहीं थे। इसलिए आखिरकार नारायण मेघाजी लोखंडे जी को इस रविवाद की छुट्टी के लिए 1881 में आन्दोलन करना पड़ा। ये आन्दोलन दिन-ब-दिन बढ़ते गया। लगभग 8 साल ये आन्दोलन चला। आखिरकार 1889 में अंग्रेजो को रविवार की छुट्टी का ऐलान करना पड़ा। ये है इतिहास। 
क्या हम इसके बारे में जानते है ? 
अनपढ़ लोग छोड़ो लेकिन क्या पढ़े लिखे लोग भी इस बात को जानते है? 
जहां तक हमारी जानकारी है, पढ़े लिखे लोग भी इस बात को नहीं जानते। अगर जानकारी होती तो रविवार के दिन खुशिया नहीं मनाते। समाज का काम करते और अगर समाज का काम ईमानदारी से करते तो समाज में भुखमरी, बेरोजगारी, बलात्कार, गरीबी, लाचारी ये समस्या नहीं होती। 
साथियों, इस रविवार की छुट्टी पर हमारा हक नहीं है, इस पर ‘‘समाज’’ का हक है। कोई बात नहीं, आज तक हमें ये मालूम नहीं था लेकिन अगर आज हमें मालूम हुआ है तो आज से ही रविवार का ये दिन सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित करें।

- किशन बोथे





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