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औरों के लिये

Siddharth Bagde
tpsg2011@gmail.com
Friday, December 18, 2020, 07:40 PM
Auro ke liye

कवि - सिद्धार्थ बागड़े
कविता का नाम - औरों के लिये
हम चले है तुम भी चले हों
सफर तो कट ही जायेगा
एक दिन हम ना रहेगें
एक दिन तुम ना रहोगे
फर्क इतना ही रहेगा
हमें याद रखा जायेगा दुनिया बनाने के लिये
तुम्हे याद किया जायेगा दुनिया मिटाने के लिये
         एक ही कांरवे से दुनिया का नक्शा बदल जाता है
          हम ही में गद्दार छुपे है, कारवां बर्बाद करने के लिये
          कम सांसे गिनो पर अच्छी सांसे गिनो
          हम तो चले जायेगें कुछ तो छोड़ दो औरों के लिये
दुनिया कि दौलत भी मरे को जिंदगी नहीं दे सकती
लगायेगा कोई काटकर सिर
मत करो इंतजार उस शंकर के लिये
वो कोई होता तो दुःख का अहसास न होता
हमें ही ढूढ़ना है खुशी अपने लिये औरों के लिये
         तुम अपनो के लिये खुशी ढूढ़ते हो
         गैरो से क्यूं नफरत है तुम्हे
         तुम चलो कोई तुम्हारे साथ आये या ना आये
         तुम बनाओ सही रास्ता अपने लिये औरों के लिये
जिदंगी है जब तक हम भी चलेगें तुम भी चलोगे
तुम चलोगे अपने लिये हम चलेगें औरों के लिये
मरने पर खुद के आंसू नहीं निकलते दोस्त
रहने दो ये आंसू अपनी अच्छाई पर बहाने औरों के लिये
- सिद्धार्थ बागड़े - संपादक टीपीएसजी





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