जब सारे मोतियों के खजाने निकल गए TPSG Tuesday, May 21, 2019, 07:58 AM पढ़ लिख गए तो हम भी कमाने निकल गए घर लौटने में फिर तो जमाने निकल गए घिर आई शाम हम भी चले अपने घर की ओर पंछी भी अपने अपने ठिकाने निकल गए बरसात गुज़री सरसों के मुरझा गए हैं फूल, उनसे मिलन के सारे बहाने निकल गए पहले तो हम बुझाते रहे अपने घर की आग फिर बस्तियों में आग लगाने निकल गए खुद मछलियां पुकार रहीं हैं कहां है जाल तीरों की आरजू में निशाने निकल गए किन साहिलों पर नींद की परियां उतर गई किन जंगलों में ख्वाब सुहाने निकल गए ‘शाहिद’ हमारी आंखों का आया उसे ख्याल जब सारे मोतियों के खजाने निकल गए। - संग्रहक - टीपीएसजी Tags : home return earn out went reading After