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हमारे समाज में क्या फर्क है

TPSG

Monday, September 23, 2019, 09:39 AM
Samaj

हमारे समाज में क्या फर्क है

वो धन के लिए लडता है।

हम धर्म के लिए लडते हैं।

वो संसद की तरफ दौडता है।

हम तीर्थ स्थल की तरफ दौडते हैं।

वो अपने बच्चो को कॉलेज भेजता है।

हम मंदिर व कॉवड लेने भेजते हैं।

वो कथा भागवत करता है।

हम कथा भागवत कराते हैं।

वो हम से दान दक्षिणा लेता है

हम उसको दान दक्षिणा देते हैं।

वो हमको झूठा आशीर्वाद देता है।

हम उसके पैरों में पड जाते हैं।

वो हमको गुलाम बनाता है।

हम उसके गुलाम बन जाते हैं।

वो हमें मुसलमानों के प्रति भडकाता है।

हम सब भडक जाते हैं।

वो हमको बर्बाद करना चाहता है।

हम उसको आबाद करना चाहते हैं।

वो हमसे हमेशा ईर्षा रखता है

हम उससे हमेशा तलवा चाटी रखते हैं

वो अपने घर में कभी सत्यनारायण की पूजा नहीं करता है।

हम से हमेशा करवाता है।

वो हमेशा सब की कुंडली बनाता है।

पर अपनी कुंडली किसी से नहीं बनवाता।

उसकी नजर पैसों पर रहती है।

हमारी नजर करमकांडों पर रहती है।

उसका अधिकार सभी मठ मंदिरों पर है, 

हमारा अधिकार किसी मठ मंदिर पर नहीं ।

वो हर समय धन दौलत में खेलता है।

हम अपनी रोटी के लिए दिन रात एक करते हैं।

वो बगैर पसीने की कमाई खाता है, 

हम पसीना बहा कर एक हिस्सा उसको दे आते हैं।

उसका 10 साल का बच्चा अपना इतिहास जानता है।

हमारा 60 साल का बुड्ढा भी नहीं जानता है।

वो हमसे अपने पूरवजों की पूजा करवाता है।

हमारे किसी भी महापुरुष की पूजा नहीं करता।

वो कभी मंदिर में दान नहीं करता

हमसे दान करवाकर तिजोरी साफ कर देता है।

वो मंदिरो के चढावे से तिजौरियां भरता है।

हम अपनी कमाई मंदिरो में चढा कर गरीब बन जाते हैं।

वो अपनी चतुर बुद्धि से भारत पर राज कर रहा है।

हम अपनी मंद बुद्धि के कारण उसकी हुकूमत मानते हैं।

जीवन में दुख भी वही बताता है उपाय भी वही बताता है।

हम उसके नचाये नाचते हैं।

भारत में उसकी संख्या 10% है लेकिन 90% जगहों पर विराजमान है।

हमारी संख्या 65% है लेकिन हम 5% जगहों पर भी नहीं 

वह अपने महापुरुषों का सम्मान करवाता है।

हमसे हमारे ही महापुरुषों को गाली दिलवाता है।

गीतकार - अनिल लाड़गे





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