भगवान बुद्ध की शिक्षा मानवीय Kisan Bothey Friday, May 17, 2019, 07:37 AM भगवान बुद्ध की शिक्षा मानवीय मनुष्य जिन दुःखों से पीड़ित है, उनमें बहुत बड़ा हिस्सा ऐसे दुःखों का है, जिन्हें मनुष्य ने अपने अज्ञान, गलत ज्ञान या मिथ्या दृष्टियों से पैदा कर लिया हैं उन दुःखों का प्रहाण अपने सही ज्ञान द्वारा ही सम्भव है, किसी के आशीर्वाद या वरदान से उन्हें दूर नहीं किया जा सकता। सत्य यायथार्थता का ज्ञान ही सम्यक ज्ञान है। अतः सत्य की खोज दुःखमोक्ष के लिए परमावश्यक है। खोज अज्ञात सत्य की ही की जा सकती है। यदि सत्य किसी शास्त्र, आगम या उपदेशक द्वारा ज्ञात हो गया है तो उसकी खोज नहीं। अतः बुद्ध ने अपने पूर्ववर्ती लोगों द्वारा या परम्परा द्वारा बताए सत्य को नकार दिया और अपने लिए नए सिरे से उसकी खोज की। बुद्ध स्वयं कहीं प्रतिबद्ध नहीं हुए और न तो अपने शिष्यों को उन्होंने कहीं बांधा। उन्होंने कहा कि मेरी बात को भी इसलिए चुपचाप न मान लो कि उसे बुद्ध ने कही है। उस पर भी सन्देह करो और विविध परीक्षाओं द्वारा उसकी परीक्षा करो। जीवन की कसौटी पर उन्हें परखो, अपने अनुभवों से मिलान करो, यदि तुम्हें सही जान पड़े तो स्वीकार करो, अन्यथा छोड़ दो। यही कारण था कि उनका धर्म रहस्याडम्बरों से मुक्त, मानवीय संवेदनाओं से ओतप्रोत एवं हृदय को सीधे स्पर्श करता था। - किशन बोथे Tags : knowledge true possible misinformation ignorance sorrows sufferings people majority