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महंत के मठ से बुद्धमूर्ति की तस्करी 

TPSG

Tuesday, November 26, 2019, 04:16 PM
Buddh Murti

महंत के मठ से बुद्धमूर्ति की तस्करी 

बोधगया में महंत के मठ में रखी गयी अनेक प्राचीन बुद्ध प्रतिमाओं को 1976 में सूचीबद्ध किया गया था। इसमें आठवीं सदी की काले ग्रेनाइट की खड़ी मुद्रा में एक सुंदर बुद्धमूर्ति भी थी। वह अचानक फरवरी 1987 से मार्च 1989 के दरम्यान नामालूम सी हो गई ।बिहार से ये मूर्ति सीधे अमेरिका पहुँची। पुरातत्व विभाग की पूर्व संचालिका डाॅ. देबला मित्रा की सजगता से ये मूर्ति मेट्रोपाॅलिटन म्यूज़ियम, न्यूयॉर्क से वापिस भारत लायी गयी।

इस विषय में विस्तृत तथ्य कुछ इस तरह है, --डाॅ देबला मित्रा 1975 से 1983 तक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की संचालिका के पद पर कार्यरत थीं। सेवानिवृति के पश्चात 1987 में उनका बोधगया जाना हुआ। तब वे वहाँ ब्राम्हण महंत के मठ में गयीं। वहां उन्होंने काले पाषाण की एक खड़ी बुद्ध मूर्ति को देखा। इसके पश्चात वे सन् 1989 में फिर बोधगया गयीं। वहाँ उन्हें आभास हुआ कि वह मूर्ति ग़ायब हो गयी है ।उन्होंने इस बारे में जानकारी चाही, लेकिन वहाँ उन्हें गोलमोल जवाब ही मिला। गौरतलब है कि मठ के लोगों ने मूर्ति चोरी की कोई रिपोर्ट पुलिस स्टेशन में नहीं लिखवायी थी।

उसके एक वर्ष बाद उनके एक सहयोगी ने उन्हें न्यूयॉर्क से Art of South and South East Asia का कॅटलाॅग भिजवाया। उसमें बोधगया के महंत के मठ से ग़ायब उस बुद्ध मूर्ति का फ़ोटोग्राफ़ भी था। इसे देखकर उन्होंने पुराने संदर्भों की तफ़तीश की। तब महंत के मठ की मूर्ति तथा फ़ोटो में मौजूद मूर्ति का एक ही होना पाया गया। उन्होंने तत्काल पुरातत्व विभाग को 04.09.1990 को सूचित किया। ASI ने खोयी हुई बुद्ध प्रतिमा वही होने की पुष्टि की तथा तत्काल मेट्रोपाॅलिटन
म्यूज़ियम से इस विषय में पूछताछ की। साथ ही संदर्भित मूर्ति बोधगया के बुद्ध मठ की होना सूचित किया। तब उन्होंने मूर्ति बिना शर्त लौटाने का मान्य किया। इस तरह वह मूर्ति 23.3.1999 को वापस मँगवाई गई और इस कथा का पटाक्षेप हुआ।

अब मूल सवाल ये है कि बुद्ध मूर्ति मठ से ग़ायब कैसे हो गयी ? जब मूर्ति चोरी हो गयी तो इसकी रिपोर्ट
पुलिस में भला क्यों नहीं की गई ? उसके विरूद्ध कोई कार्यवाही क्यों नहीं हुई ? ये सभी तथ्य कार्पेट के नीचे क्यों छुपा दिये गये ? इस बारे में कतई कोई जानकारी उपलब्ध नहीं हैं। इससे ज़ाहिर होता है कि कोई अंतराष्ट्रीय गिरोह पुरातन बुद्ध मूर्तियों की तस्करी में संलग्न है। इसलिए पुरातन शिल्प तथा मूर्तियों पर अपनी पैनी नज़र रखना अनिवार्य हो गया है। इसलिए हमारा कर्तव्य है कि हम समय समय पर अपने पुरास्थलों पर जाकर वहाँ मुआयना करते रहे,और इस कार्य में दूसरों को भी जोड़े, प्रेरित करें।

----------------------------------#संजय_सावंत
हिंदी प्रस्तुति :राजेंद्र गायकवाड़





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