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वेैश्य टेकरी (बौद्ध स्तूप) उज्जैन मध्यप्रदेश

TPSG

Monday, August 9, 2021, 09:40 AM
Vaishya Tekri (Buddhist Stupa) Ujjain Madhya Pradesh

*वेैश्य टेकरी (बौद्ध स्तूप) उज्जैन मध्यप्रदेश*

उज्जैेन शहर से लगभग 5-6 किलो मीटर दूरी पर उज्जैन से मक्सी रोड पर ग्राम कानीपुरा के पास स्थित पीलिया खाल नाले पर दो बौद्ध स्तूप स्थित हैं। जिनकी ऊचाई 100 और ब्यास लगभग 350 फीट है। बौद्ध स्तूप मौर्यकाल के पूर्व के हैं उपरोक्त बौद्ध स्तूपों के समूह को वर्तमान में वेश्या टेकरी के नाम से जाना जाता है। सम्राट अशोक की पत्नि वैश्य पुत्री देवी ने उज्जैन में उक्त बौद्ध स्तूपों को बनवाया था। इसलिए वर्तमान में स्तूप समूह को वेश्या टेकरी के नाम से जाना जाता है। सम्राट अशोक के समय इन्हीं स्तूपों को जीर्णोधार हुआ था क्योंकि यहां से प्राग मौर्य एवं मौर्यकालीन दोनेां प्रकार की ईटें मिलती हैं। उत्खनन के दौरान इन स्तूपों में बौद्ध भिक्षुओं के शरीर के अवशेष प्राप्त हुये हैं। बौद्ध स्तूपों का निर्माण मिट्टी से बनाई गई ईटों से किया गया है वर्तमान में भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा वेश्या टेकरी स्तूपों को संरक्षित घोषित किया गया है। परन्तु स्तूपों से लगी जमीन में संबंधित किसानों द्वारा खेती की जाती है और संबंधित स्तूपों से लगी जमीन से किसानों द्वारा स्तूपों को क्षतिग्रस्त किया जाकर और उनकी मिट्टी तथा ईट को निकालकर स्तूपेां की जमीन को खेती की जमीन में सम्मिलित किया जा रहा है। मौके पर स्तूपेां को संरक्षण के लिए कोई फेंसिंग की ब्यवस्था नहीं है। अतः मौके पर स्तूपेां का संरक्षण अतिआवश्यक है जिसके लिए फेंसिंग लगाया जाना और स्तूपेां के आसपास की जमीन को संरक्षित किया जाना भी आवश्यक है।

*कुम्हार-टेकरी*

*वेश्या टेकरी के पूर्ब की ओर लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुम्हार-टेकरी नामक एक अन्य टीला था*. यह टीला 220 फीट लंबा 110 फीट चौड़ा और 15 फीट ऊंचा था. इस टीले से अधिक संख्या में मृड-भांड प्राप्त होने के कारण इसे कुम्हार-टेकरी के नाम से पुकारा जाता था. 1938-39 में इसका भी उत्खनन कराया गया था जिससे यह ज्ञात हुआ कि यह एक श्मशान भूमि थी. यहां उत्खनन में प्राप्त मुद्राओं से स्पष्ट हो गया कि यह टीला ई.पूर्व दूसरी शताब्दी के पूर्व का था. उत्खनन काल में टीले की ऊपरी सतह से केवल दो-तीन फुट की गहराई से कंकाल प्राप्त हुए जिनकी संख्या कुल 42 थी. इनमें से 18 कंकाल की जांच, निरीक्षण तथा अध्ययन के लिए भारतीय मानव शास्त्रीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा कोलकाता ले जाया गया. उनके अभिवेदन के अनुसार इन कंकालों से संबंधित लोगों को इंडो-आर्यन जाति का माना जा सकता है।

1. उज्जयिनी के प्रमुख बौद्ध शासक सम्राट चाँदप्रदोत ,सम्राट अशोक , विक्रमादित्य, कुमारगुप्त ,बुद्ध गुप्त, आदि।

2.उज्जैन में हुआ था, चित्त-बोधिसत्व का जन्म 

3 .आचार्य सोनकुटिकन्न की भिक्षुओं को तथागत से विशेष आग्रह पर विशेष सुविधा। 

4.श्रीलंका का बौद्ध मय होना उज्जैन की देन। सम्राट अशोक के पुत्र महेंद्र एवम पुत्री संघमित्रा  ने उज्जैन से श्रीलंका जाकर बौद्ध धम्म का प्रसार प्रचार किया।

5.उज्जैन में है विश्व का प्राचीन सिक्का (बौद्ध आकृति वाला)

6.उज्जैन के बौद्ध आचार्यों द्वारा चीन में किया था बौद्ध धम्म का प्रचार ।

7. विश्व  के बौद्ध  तीर्थ स्थलों मे उज्जैन का नाम ।

8. चीनी यात्री ह्वेनसांग महास्तूप के दर्शन करने आया था। इतिहास में दर्ज़ ।

9.उज्जैन के बौद्धाचार्य ने बौद्ध धम्म ग्रंथों के निर्माण मे दिया था योगदान ।

10. विक्रमकर्ति मंदिर मे संग्रहित है बौद्ध सामग्री ।





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