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हिरोशिमा पर जब परमाणु बम गिराया

TPSG

Saturday, August 7, 2021, 12:30 PM
Hiraseema

बुद्ध सार्वकालिक और प्रासंगिक हैं ।

मनुष्य जब तक सभ्यताओं के विकास में

लगा रहेगा। जब तक एक मनुष्य दूसरे सभी

जीवित प्राणियों के प्रति द्रवित होता रहेगा,

बुद्ध उसके पड़ोस में खड़े रहकर उसे सांत्वना

देंगे ,उसका हौसला बढ़ायेंगे।बुद्ध का समग्र

दर्शन काल के उस तरफ भी जाता है।

मानवता के दुख में द्रवित हो जाने वाला

एक तत्व-चिंतन ।

..... हिरोशिमा पर जब परमाणु बम गिराया

गया था तब वे वहां मौजूद थे ।कांस्य -प्रतिमा

के रूप में ।कांसा 1600 डिग्री फेरनहीट पर

पिघलता है लेकिन हिरोशिमा में जिस स्थान पर

बम फटा था उसके नीचे का तापमान 7000

डिग्री फेरनहीट तक पहुंच गया था।कल्पना

कीजिए हाड़-मांस के मनुष्यों का क्या हुआ

होगा।कितना विदारक समय रहा होगा

हिरोशिमा के बाशिंदो के लिए!

फिर भी वे उठ खड़े हुए अपने कपड़ों पर

जमी हुई रेडियोएक्टिव धूल को झाड़ते हुए।

हताशा,निराशा ,दुःख और जर्जर थकान से

बाहर निकलते हुए ।

बुद्ध का वात्सल्य और करूणा और दिलासा

का हाथ जापानियों के कंधों पर था।

.....जैसे फीनिक्स पक्षी अपनी ही राख और

धूलि से पुनर्जीवित होता है वैसे ही जापान

अपने पंखों में स्फूर्त ऊर्जा लेकर फिर उत्तुंग

शिखर और ऊंचे आकाश तलक उड़ान भरने

के लिए उठ खड़ा हुआ ।

- राजेन्द्र गायकवाड





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