महिलाएँ नाम के आगे देवी नहीं देवा लिखती थीं Rajendra Prasad Singh Friday, August 16, 2019, 10:01 AM महिलाएँ नाम के आगे देवी नहीं देवा लिखती थीं तब महिलाएँ नाम के आगे देवी नहीं .... देवा लिखती थीं। यह दृश्यांकन भरहुत स्तूप के द्वार की रेलिंग के प्रथम स्तंभ पर है। हाथों में अस्थि - मंजूषा लिए तस्वीर भरहुत स्तूप की एक दानदाता महिला की है, जो विदिशा की रहनेवाली हैं और रेवति मित की पत्नी हैं तथा हाथी पर सवार हैं। दृश्यांकन के बगल में प्राकृत भाषा और धम्म लिपि में लिखा है ---- वेदिसा चाप देवाया रेवति मित भारियाय पठम थभो दानं। अर्थात, विदिशा के रेवति मित की पत्नी चाप देवा का प्रथम स्तंभ दान। वेदिसा = विदिशा, भारिया = पत्नी, पठम = प्रथम, थभो = स्तंभ। भारतीय इतिहास तथा मिथक में बहुत सारी देवियाँ मिलती हैं। यह खोज का विषय है कि देवा कब देवी बनी और फिर देवी की परंपरा चल पड़ी। - राजेन्द्र प्रसाद सिंह Tags : elephant Vidisha woman donor picture hands