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सुदामा और कृष्ण की कहानी ब्राम्हणो ने रची

TPSG

Sunday, October 4, 2020, 08:52 AM
Buddha and anand

#बुद्ध_और_आनंद को #काउंटर करने के लिए ही #सुदामा_और_कृष्ण की कहानी ब्राम्हणो ने रची।

#कृष्ण यह पात्र भी जातक कथाओ से ब्राम्हणो ने चुराया है। कान्हा या कन्ह जातकों में जिक्र है। महाभारत का कथानक घत जातक पर आधारित है। कृष्ण का ब्राह्मणीकरण करने के लिए या कृष्ण बौद्धों का प्रतीक ना हो इसके लिए कृष्ण के साथ सुदामा नामक ब्राह्मण का पात्र महाभारत रचीयताओने जोड़ दिया।

मूलता महाभअस्साहो जातक (302) में बोधिसत्व राजा धम्म के अनुसार न्याय पूर्वक राज्य करता था और धम्म का पालनकर्ता दिखाया गया है। प्रत्यंत देश में विद्रोह को शांत करने के लिए बोधिसत्व राजा जाता है ,वह संकट में फस जाता है।और वहां पर एक व्यक्ति राजा को अपने घर में बुलाकर उसका आथित्य करता है,उसे सुरक्षा देता है। तीन-चार दिन साथ रहने के बाद उन दोनों में मित्रता हो जाती है वह व्यक्ति महाश्वारोह नामक व्यक्ति है ।.................. राजा उसके अच्छे व्यवहार से प्रभावित होता है राजधानी लौटने पर राजा को उसकी याद आती है और राजा उसको बुलावा भेजता है। उसके आते ही राजा उसका हाथ पकड़कर और गले लगाकर उसका स्वागत करता है उसे श्वेत छत्र के नीचे उसे बिठता है और अपनी पटरानी को बुलाकर राजा उसके पैर धुलवाता है। और रानी उसकी सुगंधित तेल से मालिश भी करती है । राजा को उसके घर में खाए अन्न कि हमेशा याद आती रहती है। इसलिए राजा उसे पूछता है कि खाने के लिए क्या लाए हो? उसने थैली में से पुहे यानी पोहे निकालकर राजा को दिया। उसका आदर करते हुए "मेरे मित्र का लाया हुआ खाओ!" यह कहकर उसने रानी और अमात्य को वह पोहे दिए और स्वयं भी बड़े चाव से खाएं।

इस कथा में राजा ने काशी के बने हुए उच्च वस्त्र उतारकर उस गरीब मित्र को कपड़े पहनाए और उसे उच्च अलंकरण से युक्त काशी के वस्त्र पहनाए और मित्रता की याद में उसे पराजित होने के बाद उस व्यक्ति के घर में राजा सुरक्षित रहा था इसकी याद में राजा ने जो कार्य किया था।

इस जातक कथा का मेल बिठाकर बुद्ध कहते हैं कि उस समय पर अत्यंतवासी गरीब व्यक्ति आनंद था और वाराणसी का राजा मैं खुद था। अब इस सुप्रसिद्ध कथा का ब्राह्मणीकरण महाभारत में सुनियोजित तरीके से किया गया है ।महाभारत में कथा का आशय वहीं था केवल पात्रों के नाम बदले ।

#बुद्ध की जगह #कृष्ण को रखा और आनंद की जगह ब्राह्मण सुदामा को दिखाया। इस प्रकार ब्राह्मणीकरण के माध्यम से ब्राह्मणों ने जातक कथा की मूल भावना का विकृतिकरण किया और ब्राह्मणों का वर्चस्व राजा और समाज पर थोप दिया। और इस तरह से समाज का भी ब्राम्हणीकरण हुआ!

साकेत पर जो किताब इस माह में प्रकाशित हो रही है उसमें रामायण,महाभारत,गीता में ब्राम्हणों ने बौद्धों से क्या क्या चुराया इसका भंडाफोड़ किया है। हम भी इस किताब का बेसबरी से इंताजर कर रहे है।

प्रो.विलास खरात।

(राष्ट्रीय प्रभारी, -बुध्दिष्ट इंटरनेशनल नेटवर्क)





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