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हम अनुसूचित जाति* हैं इसीलिये *हिंदु नहीं है

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Friday, July 12, 2019, 08:06 AM
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हम अनुसूचित जाति* हैं इसीलिये *हिंदु नहीं है*

    * अनुसूचित_जाति" का अर्थ?
    * जाति का मतलब तो हमको पता है। परन्तु  *अनुसूचित* का क्या मतलब है?

    * पढ़िए... 
    * सन् १९३१ में उस समय के  * जनगणना आयुक्त (मी. जे. एच. हटन) ने
    * पहली संपूर्ण भारत के
    * अस्पृश्य_जातियों  की जनगणना की।
    * और बताया कि ‘भारत में 1908 
    * अस्पृश्य जातियांँ है।
    * और वें सभी जातियांँ 
    * हिन्दू धर्म के बाहर* हैं।’ 
    * इसलिए, 
    * इन जातियों को 
    * "बहिष्कृत जाति"* कहा गया है। 
    * उस समय के 
    * "प्रधानमंत्री "रैम्से मैक्डोनाल्ड"*
    * ने देखा कि हिन्दू,मुसलमान,सिख,
    * एंग्लो इंडियन की तरह 
    * 'बहिष्कृत जातियांँ'* भी 
    * एक *स्वतंत्र_वर्ग* है *_
    * और इन सभी जातियों का 
    * हिन्दू धर्म में समाविष्ट नही है।_*
    * इसलिए,
    * उनकी "एक "सूची" तैयार की गयी। 
    * उस "सूची" में समाविष्ट जातियों' को ही
    * ‘अनुसूचित जाति’ कहा जाता है।

    * इसी के आधार पर भारत सरकार द्वारा
    * ‘अनुसूचित जाति अध्यादेश 1935’ के
    * अनुसार कुछ सुविधाएं दी गई हैं।

    * उसी आधार पर भारत सरकार ने
    * ‘अनुसूचित जाति अध्यादेश 1936’ 
    * जारी कर आरक्षण सुविधा प्रदान की।

    * आगे 1936 के उसी अनुसूचित जाति
    * अध्यादेश में थोड़ा बहुत बदलाव कर
    * ‘अनुसूचित जाति अध्यादेश 1950’  
    * पारित कर
    * "आरक्षण"* का प्रावधान किया गया।

    *"निष्कर्ष"*

    * अनुसूचित जाति का इतिहास
    * यही कहता है कि यह भारत वर्ष में 
    * 1931 की जनगणना के पहले की
    * (अस्पृश्य, बहिष्कृत, हिन्दू से बाहर)
    * जातियाँ थी। 
    * इन्ही बहिष्कृत जातियों की 
    * "सूची" तैयार की गई।

    * और उन्ही (अस्पृश्य, बहिष्कृत, 
    * हिन्दू से बहार ) जातियों की 
    * "सूचि" के 'आधार' पर 
    * बाबा साहेब आंबेडकर जी ब्राह्मणों के
    * खिलाफ जाकर अंग्रेजो से लड़कर 
    * हमें "मानवीय अधिकार"*
    * दिलाने में "सफल" हुए।

    * तो हमें भी ये अच्छे से 
    * जान और समझ लेना चाहिए की।    
    * अनुसूचित का मतलब उस दौर में
    * (अस्पृश्य, बहिष्कृत, हिन्दू से बाहर), 
    * मतलब जो हिन्दू नहीं थी वे जातियां है।
    * हिन्दू धर्म के स्वतंत्र वर्ण व्यवस्था से
    *  बाहर पाँचवा अघोषित वर्ण 'अतिशूद्र'।*

    *"'अनुसूचित जाति'* 
    * हमारी *संवैधानिक* पहचान है।

    * और आज जो कुछ लाभ हम ले रहे हैं।
    * वह सिर्फ और सिर्फ मिलता है। 
    * अनुसूचित वर्ग के नाम पर।
    * ना कि दलित,चमार,पासीसी, 
    * सोनकर या वाल्मीकि आदि के नाम पर।

    * "अनुसूचित" नाम का उद्भव के 
    * इतिहास की जानकारी होने के बावजूद भी
    * हमारे लोग हिन्दू धर्म को पकडे़ हुए हैं।

    * अगर आप अभी भी हिन्दू की पूछ को
    * पकड़े हुए है ।
    * तो नैतिक रूप से      
    * बाबासाहेब आँबेडकर जी के 
    * संविधान का अपमान कर रहे है।

   * हमेशा याद रहे की अनुसूचित का मतलब    
   *  सिर्फ और सिर्फ यही है।
   * कि "जो लोग हिन्दू धर्म में नहीं है।
   * वें लोग अनुसूचित वर्ग से है।"*

   * उम्मीद है आप समझेंगे





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