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इन्सान पहले आदिमानव

TPSG

Wednesday, June 12, 2019, 08:41 AM
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एक लडका अपने पिताजी से सवाल करता है। लडका - पापा मुझे स्कुल में पढाया की इन्सान पहले आदिमानव था, ये सच है क्या ?
पापा - हां बेटा , इन्सान पहले आदिमानव था।
लडका - फिर तो वो शरीर पर कपडे नही पहनते होगे ?
पापा - नही बेटा, इन्सान के जीवन में धीरे-धीरे प्रगति हुई। इन्सान थोडा थोडा समझने लगे तब पहले पेड के पत्तो के कपडे पहनने लगे फिर जैसे जैसे उसे समझ आने लगा वैसे वो सुधरता गया और अनेक शोध करता गया। अभी जो कुछ भी हम देख रहे है, उपयोग कर रहे है, वो सब कुछ इन्सान ने ही निर्माण किया है।
लडका - पापा तो फिर भगवान पहले थे कि इन्सान ?
पापा - बेटा भगवान पहले थे, भगवान ने दुनिया बनाई है।
लडका - फिर पापा ऐसा कैसे वो भगवान की तस्वीर में तो कपडे, त्रिशूल, सोना, भाले, गदा, लड्डू , मोदक, ऐसे बहुत कुछ-कुछ दिखता है ? वो समय ये सब बनाने वाला सुनार था क्या ? कपडे की मील थी क्या ? कपडे की सिलाई के लिये दर्जी था क्या ? भाले, त्रिशूल, गधे, तलवार बनाने वाले कारीगर थे क्या ? लड्डू मोदक बनाने वाले हलवाई थे क्या ?
पापा - पागलो जैसे सवाल पूछ मत, चुप बैठ। अरे बेटा, वो भगवान है, वो कुछ भी कर सकते है।
लडका - तो भगवान कहाँ है पापा ?
पापा - अरे भगवान हमारी आस पास ही है।
लडका - क्या ? भगवान है यहाँ ?
पापा - हा बेटा।
लडका - तो उन्हे कहो ना शेर - हिरन की चमडी के कपडे पहनने से अच्छा अभी इस समय वाले कपड़े पहने। त्रिशूल, भाले, गदा, तलवार से अब कोई नही डरता, उनसे कहो रायफल, मशीनगन, एटम बम पास रखे। वैसे तो जिसने दुनिया बनाई है जिनकी शाप वाणी में इतनी ताकत है तो उन्हे गदा, तलवार की जरूर क्या है पापा ? वो तो दयालू और क्षमाशील है ? और एक पापा, उन्हें कहो अपने देश का भ्रष्टाचार मिटाने ? किसानो की समस्याओ का समाधान करने, उनकी आत्महत्या रोकने को, 2 साल की छोटी लडकी से 60 साल की औरत पर रोजाना बलात्कार होते है। वो रोकने को कहो ना। मंदिरो में करोडो-अरबो की संपत्ती है वो लोक कल्यान के लिये देने की बुद्धी वो मंदिर प्रशासन वालो को दें। वो कहो ना पापा। 
पापा - बेटा में तेरे हाथ जोड़ता हूं, बस कर तेरे सवाल! मुझे अब तक नही पता! तो मैं तुझे क्या जवाब दुं। मझे बचपन से जैसा भगवान दिखाया जैसा धर्म सिखया वैसे ही पूजा और पालन करता आया। मुझे ये सब नही पता बेटा, पर सब पालन करना पडता है बेटा! नही अच्छा लगता है फिर भी चुप बैठना पडना है।
लडका - यानी आज तक आपने अपनी बुद्धी और धैर्य का उपयोग नही किया, पर पापा में वैसा करूंगा नही। सत्य-असत्य जान के ही आगे जाऊँगा। पर मुझे इतना विश्वास जरूर है। ये सृष्टी का निर्माता जैसे हो वैसे हो, पर सभी धर्म सिखाता है, वैसे बिलकुल नही। ये सुन के पापा का सर नीचे झूक गया और लडके से नजर चुराने लगा। आज कम संख्या में हो पर, कभी ना कभी आगे की पीढ़ि के लडके ये सवाल जरूर पूछेगे ध्यान रखो, तब सर झुकाने से अच्छा अभी अपनी गलती सुधार ले।
 - कमाल बाबू





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