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शादी का मुहूर्त

Sudhir Kumar Jatav

Tuesday, April 30, 2019, 02:53 PM
Vivah Muhurth

शादी का मुहूर्त

रमेश चंद और सुरेश चंद दोनों बचपन के दोस्त थे । दोनों के परिवारों में बहुत प्यार था । रमेश चंद का एक लड़का पप्पू और सुरेश चंद की लड़की रजनी थी । दोनों बच्चे जवान हो गए थे। दोनों मित्रों सुरेश और रमेश ने अपनी बचपन की दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलने की सोची । 
रमेश - देख भाई सुरेश! अब दोनों बच्चे जवान हो गए हैं तो क्यों ना बचपन की दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल दिया जाये ?
सुरेश - तुमने तो मेरे मुँह की बात छीन ली। चलो किसी दिन मुहूर्त निकलवाकर दोनों बच्चों की शादी तय कर देते हैं ।
रमेश - मुहूर्त की क्या जरुरत है ? जब हमारे दिल मिले हुए हैं और दोनों बच्चे भी एक दूसरे को अच्छी तरह से समझते हैं तो फिर क्यों इन चक्करों में पड़े ?
सुरेश - अरे नहीं, अगर शादी अशुभ मुहूर्त में हो गयी तो दोनों बच्चों के साथ साथ परिवार को भी भुगतना पड़ेगा। शुभ मुहूर्त में ही शादी करना अच्छा होता है ।
रमेश - क्या बेकार के चक्करों में पड़े हो । शुभ अशुभ कुछ नहीं होता, आपस के प्यार और समझदारी से ही जीवन चलता है ना कि इन मुहूर्तों से ।
सुरेश - तो यार सारे लोग क्या पागल हैं जो ब्याह सुझवाते हैं ?
रमेश - नहीं भाई वो सारे लोग अंधविश्वासों में पड़े हुए हैं और वो लकीर के फकीर हैं। वो अलग से हटकर सोचते ही नहीं हैं। वो अपनी अकल ही नहीं लगाते हैं ।
सुरेश - लेकिन फिर भी कुछ तो प्रभाव होता ही होगा इनका ?
रमेश - एक बात बताओ लोग कोर्ट मैरिज करते हैं ?
सुरेश - हाँ करते हैं।
रमेश - तो वो क्या ब्याह सुझवाते ही हैं ? नहीं ना फिर भी उनकी शादी सही सलामत चलती है।
सुरेश - कुछ शादी असफल भी तो हो जाती हैं।
रमेश - हाँ बिल्कुल असफल हो जाती हैं लेकिन क्या मुहूर्त निकलवाकर करवाए गए रिश्ते असफल नहीं होते ? होते हैं और उनकी असफलता दर कोर्ट मैरिज की असफलता दर से अधिक होती है। अब मुहूर्त निकलवाकर करवाए गए रिश्तों में भी कुछ रिश्तें तो कुछ महीनों में ही टूट जाते हैं। कुछ शादियों में पति पत्नी को बहुत बुरी तरह उत्पीडित करता है तो कुछ मामलों में पति पत्नी दुर्घटनाग्रस्त होकर मृत्यु को प्राप्त करते हैं तो कुछ विकलांग हो जाते हैं। कुछ पति पत्नी की हत्या कर देते हैं तो कुछ पत्नी अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति की ही हत्या करवा देती हैं। कुछ पति दूसरी शादी कर लेते हैं तो कुछ पत्नी अपने प्रेमी के साथ भाग जाती हैं और ये सब शादियाँ मुहूर्त देखभाल कर ही करी जाती हैं, कुंडली मिलाकर ही करवाई जाती हैं। ये सब पाखंड और झूठ हैं इनसे किसी का भला नहीं होता सिर्फ पाखंडियो का ही उद्धार होता है। हमको इन सबसे अलग हटकर नई राह बनानी है सिर्फ बच्चों की राय पूछकर शादी तय कर देते हैं।
सुरेश - सही कह रहे हो भाई,इनमे कुछ नहीं रखा। अगर बच्चो को कोई ऐतराज नहीं हुआ तो जब दोनो परिवार के पास समय होगा तभी शादी कर देंगे।
दोनों ने अपने बच्चों की राय पूछी और सहमती मिलने पर एक सप्ताह बाद शादी कर दी और दोनों की शादी खूब सफल रही। 
सुधीर कुमार जाटव





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