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राम काव्यधारा आरोपित

Rajendra Prasad Singh

Saturday, June 13, 2020, 12:15 PM
Ram Kavya

हिंदी साहित्य में राम काव्यधारा आरोपित है। राम काव्यधारा थी ही नहीं। ये जोड़ - तोड़कर बनाई गई धारा है। साहित्य में धारा उसे कहते हैं, जिसमें कोई दर्जन भर कवि हों, उस प्रवृति की किताबें हों।

संत काव्यधारा है, सूफी काव्यधारा है, कृष्ण काव्यधारा है। इसमें दर्जन क्या, पचासों कवि हैं, उस प्रवृति की किताबें हैं। मगर राम काव्यधारा में तुलसीदास को छोड़कर दर्जन क्या,आधा दर्जन नाम गिनाने में परेशान हो जाएंगे।

फिर रीतिकाल के कवि केशव, सेनापति को गिनाने लगिएगा, जोड़-तोड़ करने लगिएगा।

हिंदी में राम काव्यधारा जोड़ - तोड़कर बनाई गई धारा है वरना ऐसी कोई धारा हिंदी साहित्य में नहीं है।

हिंदी साहित्य की सबसे लंबी काव्यधारा संत काव्यधारा है, जो कभी टूटती नहीं है और यह धारा नामदेव, कबीर, रैदास जैसे कवियों ने स्थापित की।

संत काव्यधारा के कबीर, रैदास जैसे कवियों ने डंके की चोट पर अपनी जाति बताई, मगर जाति - पाँति नहीं की। लेकिन राम काव्यधारा के कवि तुलसीदास ने अपनी जाति नहीं बताई, मगर जाति - पाँति की।





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