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संस्कारित बच्चे अधिक सफल होते हैं

Sumedh Ramteke

Saturday, June 15, 2019, 04:18 PM
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संस्कारित बच्चे अधिक सफल होते हैं
नैतिक शिक्षा पढ़ाने वाले एक अध्यापक ने बच्चों के लिए चाॅकलेट मंगाई। उन्होंने सभी बच्चों को पंक्ति बनाकर आने के लिए कहा। बच्चों ने पंक्ति बना ली। जैसे ही अध्यापक चाॅकलेट बांटने को हुए चपरासी ने आकर कहा- ‘प्राचार्यजी आपको अभी बुला रहे हैं।’ अध्यापक ने चाॅकलेट का डिब्बा वैसा ही छोड़ा और बच्चों से बोले- ‘मैं चाहता था कि तुम्हें अपने हाथों से चाॅकलेट दूं, किंतु अभी तो जाना पड़ेगा। यदि तुम लोग चाहो तो अपने हाथ से चाॅकलेट ले सकते हो, अन्यथा मैं आकर दूंगा।’ यह कहकर अध्यापक चले गए। कुछ छात्रों ने सोचा कि अवसर अच्छा है। उन्होंने चाॅकलेट उठाकर खा ली। वहीं कुछ छात्रों ने यह विचार किया कि अध्यापक की इच्छा स्वयं अपने हाथ से चाॅकलेट देने की है, तो फिर कुछ देर रुककर उनकी प्रतीक्षा कर लेना अच्छा होगा। सो उन्होंने चाॅकलेट को हाथ नहीं लगाया। जब अध्यापक लौटकर आए तो उन्होंने पूछा- ‘अरे! ये चाॅकलेट आप लोगों ने खाई नहीं?’ जिन बच्चों ने चाॅकलेट खाई थी, उन्होंने तत्काल कहा- ‘हमने खा ली, सर।’ शेष बच्चों की अध्यापक ने बड़े स्नेह से चाॅकलेट बांटी। फिर उन्होंने अपनी स्मृति में दोनों प्रकार के बच्चों के नाम अंकित कर लिए। वयस्क होने पर अध्यापक ने खोजबीन की तो पाया कि उनके बिना चाॅकलेट न खाने वाले बच्चे सामान्य ओहदे पर थे। भावी पीढ़ी को अध्यापक ने यह घटना संस्कारों की महत्ता के उदाहरण स्वरूप बताई। संस्कारवान सदा प्रशंसा पाते और सफलता हासिल करते हैं, जबकि असंस्कारी इनसे या तो वंचित रहते हैं या अल्प समय के लिए प्राप्त कर पुनः खो देते हैं।
- संग्रहक - सुमेध रामटेके





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