रेलवे का निजीकरण TPSG Wednesday, August 7, 2019, 07:05 PM रेलवे का निजीकरण हबीबगंज स्टेशन का अनुभव बताता है कि रेलवे का निजीकरण करोड़ों यात्रियों के लिए घातक साबित होगा आधुनिकीकरण के नाम पर रेलवे स्टेशनों को निजी कंपनियों को सौंपने की पूरी तैयारी है, लेकिन देश के पहले तथाकथित मॉडल स्टेशन के शुरुआती अनुभव आम रेल यात्रियों के लिए डराने वाले हैं. कल्पना कीजिए कि आप ने अपनी मोटरसाइकिल रेलवे स्टेशन पर पार्किंग की है और जब वापस आते हैं तो दो दिनों के पार्किंग चार्ज के रूप में आपको 60 रुपये की जगह 480 रुपये का बिल थमा दिया जाता है. पिछले दिनों भोपाल स्थित हबीबगंज रेलवे स्टेशन पर यात्रियों ने अपने आपको इसी स्थिति में पाया जिसके बाद पांव के नीचे से जमीन खिसकनी ही थी. दरअसल बंसल पाथवे हबीबगंज प्राइवेट लिमिटेड ने हबीबगंज स्टेशन पर पार्किंग शुल्क कई गुना बढ़ा दिया था. जिसके बाद अचानक इस तरह से रेट बढ़ने से काफी विवाद हुआ और नागरिकों की तरफ से इसका कड़ा विरोध किया गया. इस पूरे मामले में देश का सबसे बड़ा सार्वजनिक उपक्रम भारतीय रेलवे बहुत बेचारा नजर आया. उसके अधिकारी बस यही कह पा रहे थे कि प्राइवेट कॉन्ट्रैक्टर पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिए मिली ताकतों का दुरुपयोग कर रहा है. पहले तो रेलवे के अधिकारियों के हस्तक्षेप के बावजूद कंपनी ने पार्किंग चार्ज घटाने से साफ इनकार कर दिया हालांकि बाद में इसमें थोड़ी कमी कर दी गयी लेकिन पार्किंग फीस अभी भी पहले के मुकाबले 10 गुना ज्यादा है. ऊपर से कंपनी के अधिकारियों की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि बढ़े हुए पार्किंग शुल्क में जितनी कमी हो सकती थी कर दी गई है अब और कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. दरअसल 1 फरवरी से कंपनी ने जिस तरह से पार्किंग शुल्क बढ़ाया था वो आम आदमी के लिए रूह कंपा देने वाला है. बढ़ोतरी के तहत दोपहिया वाहनों के लिए मासिक पास शुल्क 5,000 रुपये और चार पहिया गाड़ियों के लिए 16,000 रुपये कर दिया गया था. इसी तरह से दो घंटे के लिए दो पहिया वाहन खड़ा करने पर 5 रुपये की जगह 15 रुपये व चार पहिया वाहन के 10 की जगह 40 रुपये कर दिया गया था. यही नहीं हर दो घंटे बाद चार्ज बढ़ता जाएगा और इस तरह से 24 घंटे के लिए दोपहिया वाहन का चार्ज 235 रुपये और चार पहिया का चार्ज 590 रुपये कर दिया गया था. इसी के साथ ही पार्किंग में यह सूचना भी लगा दी गयी कि पार्किंग में खड़े वाहनों की सुरक्षा के लिए कंपनी जिम्मेदार नहीं है और पार्किंग के दौरान गाड़ी में कोई डेंट आने पर, कोई सामान चोरी होने पर कंपनी जवाबदार नहीं होगी. विरोध के बाद इसमें कमी की गई है लेकिन अभी भी रेट सिरर चकरा देने वाला है, अब दोपहिया वाहनों के लिए मासिक पास शुल्क 4,000 रुपये महीना और चार पहिया गाड़ियों के लिए 12,000 रुपये महीना कर दिया गया है. इसी तरह से हबीबगंज स्टेशन पर अब दोपहिया वाहन के लिए एक दिन का पार्किंग चार्ज 175 रुपये और चार पहिया वाहनों के लिए 460 रुपये चुकाने होंगे. हबीबगंज पहले से ही आईएसओ प्रमाणित रेलवे स्टेशन है लेकिन पिछले साल मार्च में सरकार द्वारा इसके पुनर्विकास व आधुनिकीकरण का फैसला किया गया. रेलवे स्टेशन को आधुनिक बनाने के लिए बंसल ग्रुप को ठेका दिया गया और इस तरह से भारतीय रेल स्टेशन विकास निगम लिमिटेड (आईआरएसडीसी) और बंसल ग्रुप के बीच समझौते पर हस्ताक्षर के बाद से यह देश का पहला प्राइवेट रेलवे स्टेशन बन गया है. समझौते के तहत रेलवे ने अपने आपको केवल गाड़ियों के संचालन तक ही सीमित कर लिया है जबकि कंपनी स्टेशन का संचालन करेगी जिसमें स्टेशन पर पॉर्किंग, खानपान आदि का एकाधिकार तो कंपनी के पास रहेगा ही इसके अलावा कंपनी स्टेशन पर एस्केलेटर, शॉपिंग के लिए दुकानें, फूड कोर्ट और अन्य सुविधाओं का विस्तार भी करेगी. हबीबगंज का अनुभव बताता है कि रेलवे का किसी भी तरह का निजीकरण करोड़ों यात्रियों के लिए घातक साबित हो सकता है. आम आदमी के लिए रेलवे जैसा सुलभ साधन उनके हाथ से बाहर निकल जाएगा. हबीबगंज जंक्शन के प्राइवेट लिमिटेड बनने का फायदा सिर्फ एक कंपनी को होगा लेकिन इसका खामियाजा लाखों यात्रियों को उठाना पड़ेगा. (लेखक स्वतंत्र पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता हैं) रेलवे में निजीकरण होने के पर_* *रेलवे टिकट खिड़की पर:*... *यात्री:* सर दिल्ली से लखनऊ का एक रिजर्व टिकट चाहिए। *क्लर्क:* ₹ 750/- *ग्राहक:* पर पहले तो 400/- था ! *क्लर्क:* सोमवार को 400/- है, मंगल बुध गुरु को 600/- शनिवार को 700/- तुम रविवार को जा रहे हो तो 750/- *ग्राहक :* ओह! अच्छा लोवर दीजियेगा, पिताजी को जाना है। *क्लर्क* फिर 50 रुपये और लगेंगे। *ग्राहक :* अरे! लोवर के अलग! साइड लोवर दे दीजिए। *क्लर्क:* उसके 25 रुपये और लगेंगे। *ग्राहक:* हद है! न टॉयलेट में पानी होता है, न कोच में सफ़ाई, किराया बढ़ता जा रहा है। *क्लर्क:* टॉयलेट यूज का 50 रुपये और लगेगा, शूगर तो नहीं है ना? 24 घंटे में 4 बार यानी रात भर में 2 बार से ज़्यादा जाएंगे तो हर बार 10 रुपये एक्स्ट्रा लगेंगे। *ग्राहक:* हैं! और बता दो भाई, किस-किस बात के पैसे लगने हैं अलग से। *क्लर्क:* देखो भाई, अगर फोन चार्ज करोगे तो 10 रुपये प्रति घंटा, अगर खर्राटे आएंगे तो 25 रुपये प्रति घंटा,और अगर किसी सुन्दर महिला के पास सीट चाहिए तो 100 रुपये का अलग चार्ज है। अगर कोई महिला आसपास कोई खड़ूस आदमी नहीं चाहती है, तो उसे भी 100 रूपये अलग से देना पड़ेगा। एक ब्रीफकेस प्रति व्यक्ति से अधिक लगेज पर, 20 रुपये प्रति लगेज और लगेगा। मोबाइल पर गाना सुनने की परमिशन के लिए 25 रुपये एक मुश्त अलग से। घर से लाया खाना खाने पर 20 रुपये का सरचार्ज़। उसके बाद अगर प्रदूषण फैलते हैं तो 25 रुपये प्रदूषण शुल्क। *ग्राहक*(सर पकड़ के): ग़ज़बै है भाई, लेकिन ई सब वसूलेगा कौन ? *क्लर्क:* अरे भाई निजी कंपनियों से समझौता हुआ है, उनके आदमी वसूलेंगे । *ग्राहक:* एक आख़िरी बात और बता दो यदि तुम्हें अभी कूटना हो तो कितना लगेगा ? *क्लर्क:* काहे भाई ! जब रेलवे का निजीकरण हो रहा तब तो बड़े आराम से घर में बैठे थे और सोच रहे थे कि हमारा तो कुछ होने वाला है नहीं अब भुगतो औऱ पब्लिक क्या सोचती है निजीकरण का असर सिर्फ कर्मचारियों पर होगी । रेल का निजीकरण हर भारतीय पे असर डालेगा। Tags : experiences modernization private companies railway stations preparation complete