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नक्सलवाद के नाम पर आदिवासियों का सफाया

Dinesh Bhaleray

Friday, June 21, 2019, 07:34 AM
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नक्सलवाद के नाम पर आदिवासियों का सफाया
    रायपुर। केन्द्र सरकार छत्तीसगढ़ को नक्सलियों से खाली कराने के अभियान के बहाने अपनी ब्राह्मणवादी एवं पूंजीवादी योजनाओं की पूर्ति करने में लगी हुई हैं। दिखावा कुछ और कार्य कुछ और हो रहा है।
    आजाद भारत में आम आदमियों को भेंड-बकरी की तरह काटा जा रहा है। सिर्फ निजी मंसूबों की पूर्ति के लिए अपने हक और अधिकारों की मांग करने वाले तथा अपनी जमीनों जंगलों को बचाने वालों के साथ बर्बता पूर्ण व्यवहार सरकार किस उद्देश्य से कर रही है ? देश में अत्याचार का पर्याय बन चुकी केन्द्र सरकार ब्राह्मणवादी मनुवादी नीतियों को पूरा करने के लिये मानवीय बर्बता की सारी सीमा लांघ चुकी है। हिंसा को बढ़ावा देने वाली ब्राह्मणवादी सरकार समझौता और बातचीत के जरिये हल क्यों नहीं निकालना चाहती है ? जबकि भारत की न्यायपालिका ने भी इस सरकार को ऐसी कार्यवाही को रोकने के आदेश जारी कर चुकी है। लेकिन कोर्ट के फैसले को अनदेखा कर ब्राह्मणवादी सरकार अपने मनसूबों को पूरा करने में दिन रात लगी हुई है।
    छत्तीसगढ़ दंतेवाड़ा के घने जंगलों में नक्सलियों के खिलाफ सीआरपीएफ को लगाकर आदिवासियों को नक्सली घोषित कर उन्हें मारने की योजना पर विराम सरकार क्यों नहीं लगाना चाहती है ? जब उन्हीं आदिवासी लोगो द्वारा सरकार के ही ब्राह्मण अधिकारी को अपने समस्याओं को दिखाने के लिए अपहरण किया परन्तु सरकार ने एक ब्राह्मण को बचाने के लिए सारे हथकंडे अपनाने लगी। लेकिन 20-25 स्त्री-पुरूषों को नक्सली कहकर उनके ऊपर गोली चलवाने वाली सरकार क्या यह नहीं जानती है कि वह भी भारतीय है ? उनके साथ ऐसा व्यवहार सरकार जान बूझकर क्यों कर रही है ?
    2010-11 में जब गृहमंत्रालय ने ग्रीनहंट योजना बनाई और उसे सेना के माध्यम से पूरा करने का अभियान चलाया तो इस पर सेना प्रमुख की टिप्पणी के कारण रोक लगी और सरकार का मनसूबा कुछ समय के लिए रूका। मगर अब देश के सारे नेताओ तथा जनता का ध्यान राष्ट्रपति चुनाव की तरफ आकर्षित करके नक्सली के नाम पर आदिवासियों को मारने का अभियान तेज कर दिया है।
    देश को लूटने वाले ब्राह्मण-बनिया पूंजीपतियों द्वारा इन भोले-भाले आदिवासियों को मारने का आदिवासियो के हाथ में हथियार देकर कर सरकार मूलनिवासियों द्वारा मूलनिवासियों की हत्या खुलेआम कर रही है और देश के तलवे चाट चाटुकार नेता और अधिकारी अपनी आँखे मूंद रखे है और वह ब्राह्मणवाद को कायम करने वाले ब्राह्मण को भारत का प्रथम नागरिक बनाने में जुटे हुए हैं। यूरेशियन ब्राह्मणों की असलियत दिन-प्रतिदिन जनता के सामने आ रही है।
मौजुदा व्यवस्था
    मौजुदा व्यवस्था में नीची जाति के हिस्से में सिर्फ अशिक्षा, अयोग्यता, कर्ज व बीमारी आये। क्या बहुजन भाई अपने बच्चों के लिए एक अच्छी विरासत छोड़ते है ? क्या वे अपनी अशिक्षा के इस स्तर से अच्छी नौकरियां प्राप्त कर सकते है ? वास्तव में यह दुर्भाग्य कि बात है कि गैर ब्राह्मण अपनी उस शक्ति व क्षमता का अनुभव नहीं करते जो उनके निजी लाभ के लिये प्रयूक्त की जा सकती है। ऐसा दिखता है कि लोकतंत्र और धर्म निरपेक्षता नामक शब्द से जनता को मूर्ख बना रहा है। क्या भारत वास्तव में धर्म निरपेक्षता है ? क्या बहुसंख्यको के बजाय अल्प संख्यको के नाम पर लोकतंत्र का दुरूपयोग नहीं हुआ है।
- दिनेश भालेराय





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