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उदर रोगों का दुश्मन पपीता

TPSG

Monday, June 3, 2019, 03:34 PM
Papaya

    कहा जाता है कि पपीते की तुलना में शीघ्र लाभदायक और प्रभाव दिखलाने वाला अन्य खाद्य पदार्थ शायद ही दूसरा कोई हो। स्वाद की दृष्टि से भी यह सभी को सहज ही पसंद आता है। इसे गरम देशों की एक अमूल्य निधि के रूप में माना जाता है।
    इसके वैज्ञानिक विश्लेषण से यह पता लगा कि यह शरीर का क्षार संतुलित रखता है। इसमें विटामिन ए और सी प्रचुर मात्रा में पाए जाते है। इसमें विटामिन बी काफी मात्रा में और डी अल्प मात्रा में पाया जाता है। इसके नियमित उपयोग से शरीर में इन विटामिनों की कमी नहीं रहती।
अन्य विटामिनों की मात्रा-
    पपीते में विटामिन बी और सी तो अच्छी मात्रा में पाए ही जाते है, साथ ही विटामिन डी भी अल्पमात्रा में होता है। इसमें फास्फोरस, मैग्नेशियम सोडियम तथा अन्य खनिज-लवण भी उपस्थित रहते है, जो सभी शरीर के स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक होते है।
पाचन क्रिया करता है तेज-
    इसमें पेप्सिन नामक तत्व पाया जाता है, जो बहुत ही पाचक होता है। यह पेप्सिन प्राप्त करने का एकमात्र साधन हैं पपीते का रस प्रोटीन को आसानी से पचा देण्ता हैं इसलिए पपीता पेट एवं आंत संबंधी विकारोंा में बहुत ही लाभदायक है।
    यह सर्वविदित तथ्य है कि अधिकांश रोगों की उत्पत्ति पेट के विकारों से ही होती है। कुछ रोग अपवाद हो सकते है। उदर संबंधी विकार कई रोगों के आरंभिक लक्षण है। यदि इन विकारों को दूर कर दिया जाए तो उन रोगों से बचा जा सकता है। उदर के रोग दूर करने में पपीता बेजोड़ है।
उदर व आंतो की सफाई-
    यह उदर और आंतो की सफाई का क्षार का प्राकृतिक स्तर बनाने का काम उत्तम ढंग से करता है। यदि आंते स्वच्छ रहें तो भोजन में आनंद आने लगता है तथा रूचिपूर्वक भोजन करने से उसका पाचन भी होता है। इस प्रकार के भोजन से तृप्ति भी मिलती है और स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। आंते साफ हो जाने से सारे शरीर की सफाई हो जाती है और शरीर की समस्त प्रणालियां सशक्त होकर अपना कार्य सुचारू रूप से करने लगती है।
विटामिन ए का अच्छा स्रोत-
    पपीते में पाया जाने वाला विटामिन ए त्वचा एवं नेत्रों के लिए बहुत आवश्यक होता है। इस विटामिन से त्वचा स्वस्थ, स्वच्छ और चमकदार रहती है। नेत्र रोगों से रक्षा करने में विटामिन ए का योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण है। बच्चों की वृद्धि में और रोगों से बचाव की क्षमता बढ़ाने में भी विटामिन ए की आवश्यकता रहती है।
कैल्शियम की कमी में-
    पपीते में कैल्शियम भी अच्छी मात्रा में होता है, जो रक्त एवं तंतुओं के निर्माण एवं हृदय, नाड़ियों तथा पेशियों की क्रिया ठीक रहने में सहायक होता है। कैल्शियम नेत्रों के लिए भी आवश्यक माना जाता है एवं माताओं के दूध बनने तथा उसकी मात्रा बढाने में सहायक माना जाता है। शिशुओं और बच्चों के अस्थि निर्माण में भी कैल्शियम का महत्वपूर्ण स्थान है। कैल्शियम के अभाव में अस्थियां कमजोर रह सकती है। अस्थियों और दांतों की बाढ़ प्रभावित होकर कई दोष भी पनप सकते है, मसूड़ों पर भी कुप्रभाव होता है।





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