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EVM से PNB तक का षडयंत्र

TPSG

Monday, January 25, 2021, 11:43 AM
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EVM से PNB तक का षडयंत्र                        
           (वोट-लूट से नोट-लूट तक)

अमरीका में जब EVM मशीन ने अपना खेल दिखाना शुरू किया तो वहां की मिशीगन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अलेक्स hilderman ने इलेक्शन कमीशन से EVM मांगी और फिर उसे अधिकारियों और पब्लिक के सामने आसानी से हैक करके दिखाया !!!
तो क्या हुआ ?
--- हुआ ये कि अमरीका के इलेक्शन कमीशन ने उन्हें  अपने फ्रॉड रिकग्निशन डिपार्टमेंट में जाँच अधिकारी का पद देते हुए सम्मानित किया !!!
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अब जब ये बात अपने भारत में हैदराबाद के एक सॉफ्टवेयर एक्सपर्ट " हरी प्रसाद " को पता चली तो उन्होंने अमरीका के इस प्रोफ़ेसर अलेक्स hilderman और netherland के एक हैकर रोबर्ट वेल्टीजिन को अपने खर्चे पर भारत बुलाया और भारतीय चुनाव आयोग से EVM में हैकिंग सिद्ध करने के लिए EVM उपलब्ध करवाने की मांग की  ....
🏻भारतीय चुनाव आयोग ने क्या कहा ?
--- चुनाव आयोग बोला कि भाई हमारी मशीन हैक हो ही नहीं सकती ,,, हम बहुत निष्पक्षता और पारदर्शी तरीके से काम करते हैं ,समझे तुम !!
हरी प्रसाद --- अरे आप जबतक EVM देंगे नहीं, तब तक कैसे पता चलेगा ?
ECI --- अरे भाई बोल दिया न , हमने जो बोला वो पत्थर पर लकीर है !!!
( कुल मिलाकर एक साल तक हमारे ECI वाले हरीप्रसाद और उनकी टीम को टरकाते रहे )......
फिर क्या हुआ ?
--- फिर हुआ ये कि हतोत्साहित होकर हरीप्रसाद ने मुम्बई के ओल्ड कस्टम हाउस के गोदाम से एक EVM को अपनी जान और केरियर पर खेलकर चुरा लिया और शांति से बैठकर अपनी टीम के साथ भारतीय EVM की घटियागिरी का पर्दाफाश किया कि कितनी आसानी से सरकारी संरक्षण प्राप्त लोग इसे हैक कर सकते हैं !!!... उन्होंने EVM हैकिंग का वीडियो अपनी वेबसाइट पर डाला और पूरा हैकिंग रिसर्च पेपर भी प्रकाशित किया !!! अब ये बात मीडिया को पता चली तो ECI तक भी पहुंची !!!
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तो ECI ने क्या किया ?
--- क्या क्या , ECI ने उठाकर हरीप्रसाद को जेल में डाल दिया और क्या !!!
( अब याद करो कि अमरीका में जिस व्यक्ति ने EVM हैक करके दिखाई थी, उसे अमरीका सरकार ने लोकतंत्र बचाने की खातिर सम्मानित किया था और अपने Election कमीशन में विशेषज्ञ के तौर पर ज्वाइनिंग भी दी थी ,, और अपने विश्वगुरु भारत में ? ...अपने यहाँ जेल मिली हरीप्रसाद को, मित्रों 
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फिर क्या हुआ ?
--- जेल में चक्की पीसिंग करके जब हरीप्रसाद बाहर निकले तो उन्हें वापिस अमरीका बुलाया गया और वहां SAN फ्रांसिस्को के एक इलेक्ट्रॉनिक फ्रंटियर फाउंडेशन ने भारतीय EVM पर रिसर्च करने के लिए 2010 में उन्हें सम्मानित किया !!!
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लेकिन ये सब हुआ कैसे, सही काम के लिए भी हरीप्रसाद को सम्मान की जगह अपमान क्यों मिला ?
--- ये हरीप्रसाद कांड है 2010 का और  इस कांड के बारे में 2010 और उससे पहले से ही आडवाणी , gvl नरसिम्हाराव और ये सुब्रमण्यम स्वामी, किरीट सोमय्या बोल तो बहुत दिनों से रहे थे कि EVM हैक हो रही है , EVM हैक हो रही है, लेकिन कोई भी टेक्निकल सबूत नहीं दे पा रहा था ,,,, हरीप्रसाद ने वो ही टेक्निकल सबूत उपलब्ध कराये और बाकायदा वीडियो भी दिखाया ECI को, उनके असली EVM हैकिंग का !!! ... इस बात पर उस समय के मुख्य चुनाव आयुक्त " नवीन चावला" भड़क गए और टेक्निकल सबूतों को साइड करते हुए बड़ी चालाकी से "EVM चुराने " के मामले में हरीप्रसाद को जेल में ठूंस दिया !!!
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अब ये नवीन चावला कौन हैं ?
--- ये जब 2010 में हरीप्रसाद ने EVM हैक करके दिखाई तो ये ही इंडिया के चीफ इलेक्शन कमिश्नर थे, इन पर भाजपा सरकार में वित्त मंत्री रहे जसवंत सिंह और तमाम whistleblowers ने आरोप लगाया था कि इस आदमी को CEC मत बनाओ। इस आदमी ने फ्रॉड किया है, ये सोनिया गांधी का पिछलग्गू है,  इन्हें जयपुर आदि में फ्री में ज़मीन आवंटित की गयी है,  इनके खिलाफ जयपुर पुलिस में FIR तक दर्ज हो गयी, बात राष्ट्रपति तक पहुँच गयी ,,,लेकिन हुआ क्या ? .... कुछ नहीं हुआ , पूरे टशन से इन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया,  हरीप्रसाद को जेल में सड़ाते हुये !!!!
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तो ये तो कांग्रेस टाइम में हुआ था , उसके बाद क्या हुआ ?
--- उसके बाद हुआ ये कि अचानक से अडवाणी चुप , gvl नरसिम्हा चुप और स्वामी भी चुप , फिर 2014 में कांग्रेस EVM से 2014 चुनाव हार गयी और  BJP उसी EVM से चुनाव जीत गयी !!!!
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तो अब क्या है लेटेस्ट ?
--- अब लेटेस्ट ये है कि ये अपने ECI वाले केन्या सरकार को यही फ्रॉड EVM बेच रहे हैं और वहां चुनाव करवा रहे हैं, तो जब मायावती ने बोला कि 2017 में, कि EVM हैक से चुनाव जीता गया है तो 2010 के बाद, फिर कुछ रिसर्चरों की नींद टूटी और क्योंकि भारत चुनाव आयोग किसी को EVM देता ही नहीं है, तो वो लोग पहुँच गये केन्या, कि यहाँ से EVM प्राप्त कर लेंगे और सबको इसे हैक करके दिखाएंगे ,,,, वहां जब ECI को इस बात की भनक लगी कि भारत से कुछ लोग यहाँ आये हैं EVM हैकिंग दर्शाने,  तो केन्या सरकार पर दबाव डालकर, उन सभी को वहां से भगाया गया , इसमें केजरी गुरु की आप पार्टी के भी कुछ लोग थे !!!... इससे खिन्न होकर उन्होंने एक EVM डेमो बनाया और उसे दिल्ली विधानसभा में मात्र 90 सेकंड में हैक करके दिखाया !!!
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फिर क्या हुआ , और नालायकियां उजागर करो ?
--- आगे ये हुआ कि जब ज्यादा ही रायता फेल गया तो भारतीय चुनाव आयोग को अंततः कुछ शर्म आयी और उन्होंने सभी पार्टियों को सीना ठोककर ओपन चैलेंज किया कि आओ और निकाल लो अपनी भड़ास , आओ दम है तो हैक करके दिखाओ !!!
फिर , आगे क्या हुआ , कोई पहुंचा कि नहीं ?
--- सब पहुंचे , लेकिन जब पहुंचे तो हमारे निष्पक्ष पारदर्शी और लोकतंत्र बचाने का ठेका लेनेवाले माननीय चुनाव आयोग ने बेशर्मी की सारी हदें पार करते हुए वहां पहुंचे हुए लोगों से बोला कि भाई लोगों आप EVM हैक तो करके दिखा सकते हो, लेकिन हम इसे आपको छूने नहीं देंगे !!!!... क्यों ? क्योकि हम निष्पक्ष, पारदर्शी और बेहतरीन चुनाव करवाते हैं, ये सबको पता है,  आपको हम पर विश्वास करना ही होगा !!!!!!
फिर वो सब लोग दीवारों में सिर मारकर घर वापिस आ गये और जी न्यूज और इंडिया टीवी पर तिरंगा यात्रा का लाइव प्रसारण देखने लग गये !!!
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तो अब आगे क्या ?
--- आगे यही है कि वो जो समोसों और गोलगप्पों में से बगैर हाथ लगाये कृपा निकालकर लोगों पर चढ़ा देता है, उस निर्मल बाबा को पकड़ो, आसाराम को जेल से निकालकर उसकी सेवाऐं लो या फिर रामपाल महाराज के चरणों में लोटकर इनसे अनुनय विनय करो, क्योंकि दुनिया में मात्र यही कुछ लोग हैं जो किसी भी चीज या मशीन को बिना छुये  प्रभावित कर सकते हैं ,,,, ये ही हैक कर सकते हैं EVM को बिना खोले, मात्र देखने भर से,  चुनाव आयोग की शर्तों अनुसार..!!!! बहुत दिव्य दृष्टि का मामला है भैया EVM !!!!!
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और भी कुछ है आगे या बात खत्म ?
--- नहीं नहीं एक और बात है,  हुआ ये कि ये 2010 में, जब नवीन चावला मुख्य चुनाव आयुक्त थे, तब ही हमारे एक डिप्टी इलेक्शन कमिश्नर हुये " अलोक शुक्ला " ,,, ये कालर खड़ा करके गये अमरीका जहाँ एक कॉन्फ्रेंस में EVM पर डिस्कशन होना था,  वहां इन्होंने जाकर भाषण पेल दिया कि वही पुरानी बात कि हम भारत में  " निस्पक्ष, पारदर्शी और सुरक्षित " चुनाव करवाते हैं और भारतीय EVMs तो महा सेफ हैं , उनमें कोई चालबाजी हो ही नहीं सकती !!!!
अब इन बेचारों का दिन खराब था,  क्योंकि इन्हें उसी कॉन्फ्रेंस में मिल गये, अलेक्स हिल्डेर्मन, जिन्होंने हरीप्रसाद के साथ भारतीय EVM को हैक करके दिखाया था ,,,,,,,, अलेक्स ने वहां इनकी सही से क्लास ली कि क्यों भैया यहाँ आकर ज्ञान झाड़ रहे हो, झूठ बोल रहे हो, शर्म नहीं आ रही क्या,  हरीप्रसाद का क्या हाल किया तुमने, क्या किसी को पता नहीं,  किसने जेल में सड़ाया इतने बुद्धिमान आदमी को ? ...... वहां, भयंकर बवाल हुआ, क्योंकि ये महाशय वही बात रिपीट कर रहे थे कि ECI निष्पक्ष पारदर्शी और सुरक्षित चुनाव करवाता है ..... !!!
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आगे क्या अब ?
--- आगे कुछ नहीं। बस बात ये है कि evm तो 2010 में ही बंद हो जाती अगर ये नवीन चावला मुख्य चुनाव आयुक्त जिन पर फ्रॉड के बेहद सीरियस केस लगे थे, तभी हरीप्रसाद को जेल में डालने के बजाय सम्मानित कर देते, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, अब क्यों नहीं किया, ये हम सब जानते हैं और कोई जानता भी नहीं, ये कांग्रेस का अपॉइंटमेंट वैसे ही था जैसे अब बीजेपी ने अपॉइंटमेंट किये हैं,  जिनकी वजह से PNB घोटाला हुआ है
पार्ट 2 -- EVM से PNB तक
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RBI को क्यों नही पता चला PNB घोटाला ?
-- ये अपने गवर्नर साहब उर्जित पटेल जी जो हैं ये गवर्नरी से पहले मुकेश अंबानी की रिलायंस इडस्ट्रीज में बिज़नस डेवलपमेंट शाखा के प्रेसीडेंट थे !!.. तो इनके आका मुकेश अंबानी जी की भतीजी की शादी नीरव मोदी के सगे भाई के साथ हुई है , इसलिए मामला रिस्तेदारी का बना न 
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ED  एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट मतलब जिस पर छापेमारी का जिम्मा है, उन्होंने क्या किया ?
--- इन्होंने बताया है कि हमें जब पता चला, अभी कल परसों, तो हमने धड़ाधड़ छापे मारे, नीरव के डायमंड showrooms पर और 5000 करोड़ के हीरे जब्त कर लिये !!! ...अब मजा इसमें ये है कि नीरव मोदी ने पहले अपनी पत्नि को चुपके से देश से बाहर किया,  फिर अपने भांजे को और फिर खुद चुपके से 1 जनवरी को हैप्पी न्यू ईयर टाटा बाई बाई कहता हुआ देश से निकल गया , और कम्बख्त इतना बेवकूफ था कि देखो 5000 करोड़ तो ऐसे ही छोड़ गया सड़कों पर !!! ... कमाल की बात कर रहे हैं ED वाले भी न 
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CVC मतलब केंद्रीय सतर्कता आयोग को क्यों नहीं पता चला PNB घोटाला ?
--- CVC के अध्यक्ष हैं माननीय KV चौधरी, इनका देश की प्रगति में ये योगदान है कि इन्होंने सहारा बिरला केस में मोदी जी का जो 40 करोड़ रिश्वत मामले में नाम आ रहा था उसको छिपाने में अहम रोल अदा किया !!... इन्होंने भी पूरी निष्ठा दिखाई है PNB मामले में, कैसे ? ...ऐसे, कि पिछले साल लगातार 3 अवार्ड दिये PNB को कि भाई ये बैंक बहुत ही साफ स्वच्छ पारदर्शी और इंटेलीजेंट तरीके से काम कर रही है !!!
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CBI को क्यों नहीं पता चला PNB घोटाला ?
--- CBI में गुजरात के अफसर राकेश अस्थाना को " स्पेशल डायरेक्टर " मतलब डायरेक्टर से भी ऊपर डायरेक्टर बनाया गया है सरकार द्वारा , इनकी योग्यता ये है कि CBI खुद इनके ही खिलाफ 2000 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग केस में खोजबीन कर रही थी, इनके अपॉइंटमेंट से पहले !!!...CBI डायरेक्टर ने बोला भी था कि भाई दागी आदमी को हमारे सर पर क्यों बिठा रहे हो ? ... लेकिन वो बैठे ,और अब तक बैठे हैं , मजे से !!
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अब विजय माल्या कैसे भागा था ?
--- उसमें हुआ ये था कि सरकार ने सभी एयरपोर्ट जहाज बंदरगाहों को अलर्ट किया था कि देखो ये आदमी भागने न पाये , फिर भी वो बाकायदा 17 सूट केस में माल भर कर आराम से निकल गया !!! कैसे ? ... ये पूछा गया सरकार से तो बताया कि अरे वो थोड़ी गलती हो गयी थी , वो लुक आउट नोटिस में किसी की गलती की वजह से ढील हो गयी थी, जिसकी वजह से अधिकारियों को पता तो चला कि देखो विजय माल्या भाग रहा है, लेकिन वो उसे रोक नहीं पाये !!!
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अब हम क्या करें तो ?
हमें बाबासाहेब अंबेडकर को याद करना चाहिए कि " किस भी देश का संविधान अंततः बुरा ही साबित होगा अगर उसका इस्तेमाल करने वाले लोग बुरे होंगे ,,,, और एक बुरा संविधान भी अच्छा साबित होगा अगर उसका इस्तेमाल करने वाले लोग अच्छे होंगे " ..... मतलब सबकुछ हमारी जागरूकता पर ही depend करता है !!!
* नीदरलैंड ने पारदर्शिता न होने के कारण ईवीएम बैन कर दी थी।
* आयरलैंड ने 51 मिलियन पाउंड खर्च करने के बाद 3 साल की रिसर्च कर भी सुरक्षा और पारदर्शिता का कारण देकर ईवीएम को बैन कर दिया था।
* जर्मनी ने ईवोटिंग को असंवैधानिक कहा था क्योंकि इसमें पारदर्शिता नहीं है।
* इटली ने इसलिए ईवोटिंग को खारिज कर दिया था क्योंकि इनके नतीजों को आसानी से बदला जा सकता है.
* यूएस- कैलिफोर्निया और अन्य राज्यों ने ईवीएम को बिना पेपर ट्रेल के बैन कर दिया था.
* सीआईए के सिक्योरिटी एक्सपर्ट मिस्टर स्टीगल के अनुसार वेनेज्यूएला, मैसिडोनिया और यूक्रेन में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें कई तरह की गड़बड़ियों के कारण इस्तेमाल होनी बंद हो गई थीं।
* इंग्लैंड और फ्रांस ने तो इनका उपयोग ही नहीं किया।
जापान, जर्मनी, नीदरलैंड, इंग्लैंड, फ्रांस जैसे developed देश बैलेटपेपर पर चुनाव कराते और भारत में जहाँ 80 करोड़ गरीब भूखे नंगे लोग रहते हैं वो देश EVM मशीन से चुनाव क्यों कराता है ,
जानते हो क्यों ?
EVM के पीछे की कहानी!

11 मार्च 2017 को टीवी पर चुनावी नतीजे देख रहा था तो आचनक न्यूज़रूम से एंकर मायावती की प्रेस कांफ्रेंस की तरफ ले गया और उन्होंने अपनी हार के लिए EVM मशीन को जिम्मेदार बता दिया । लाइव प्रसारण बीच में काटते हुए एंकर ने एक एक्सपर्ट को सवाल पूछा तो उसने जवाब दिया 'खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे.'

अब सवाल यह है कि आखिर भारत में EVM इतने विवादों के बावजूद चुनाव कंडक्ट करवाने का साधन क्यों है? यह मौलिक सवाल जिसका जवाब ढूंढना ही होगा. इस सवाल के जवाब में सारे उत्तर छिपे हैं.
जब पूरा यूरोप इन मशीनों को उपयोग करने से इंकार कर रहा था..उस समय भारत में पिछड़े वर्ग (obc) में बड़े पैमाने पर राजनीतिक चेतना का निर्माण हो रहा था। हम सभी जानते हैं कि भारत में आपातकाल का कारण जेपी आंदोलन नहीं  था वरन् उस आंदोलन के कारण जो हाशिये पर स्थित सामाजिक समूहों में सत्ता की लालसा पैदा हुई, यह 1975 का दौर था। आपातकाल के बाद जो सरकार बनी उसने कालेलकर कमीशन की अनुशंसायें लागू करने का वादा किया था जिसकी वजह से भी हंगामा शुरू हुआ था।

जब यह कमीशन बना था तब इस कमीशन को समझने वाला भी कोई पिछड़े वर्ग का नेता नही था। केवल बाबासाहब अम्बेडकर के कारण ही यह कमीशन बना था। मगर जेपी आंदोलन के बाद पिछड़े समुदाय में आये राजनैतिक चेतन्य ने बड़े पैमाने पर राजनैतिक समीकरणों को प्रभावित करना शुरू किया और परिस्तिथियां ऐसी आयीं कि जनता पार्टी को अपने मैनिफेस्टो में इस बात को रखना पड़ा। बाद में जनता पार्टी की सरकार बनती है और मण्डल आयोग का गठन होता है।

यहीं से EVM का खेल शुरू होता है. क्योंकि शासक वर्ग को लग रहा था अगर पिछड़े वर्गो में चेतना का निर्माण इसी गति से होता रहा तो एक दिन हमारी शासन सत्ता का अंत निश्चित है। इतना ही नहीं 1972 में कांशीराम जी ने बामसेफ बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी और यह तो समस्त दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक जनता को एक समाज कायम करने का अभियान था। इसलिये उनके लिये यह और भय पैदा करने वाली बात थी।

इसी परिपेक्ष्य में आप अगर देखें तो 1982 में केरल विधानसभा के चुनावों में EVM मशीन को प्रयोग किया गया। शासक वर्ग ने अपना शासन सत्ता को बचाने के लिए हजारों षडयंत्र किये उसमे सबसे बड़ा षडयंत्र EVM प्रयोग का था।

इसी दौर में EVM के ऊपर आयरलैंड में विवाद चल रहा था । इसी समय ब्रिटेन की संसद इसे नकार रही थी। मगर भारत का चुनाव आयोग इसे भारत में लाता है। यह वाकई कमाल की बात थी।

1984 में जब बसपा का उदय हुआ तो शासक वर्ग को लगा कि अगर लोग 'बहुजन' कांसेप्ट को स्वीकार करते हैं तो वह दिन दूर नहीं जब हमारी सत्ता समाप्त हो जाएगी। तब 1989 में उन्होंने 'People representative Act 1951 में अमेंडमेंट करके EVM को बैलट पेपर का विकल्प बनाने की बात कही गयी.

आप यह टाइमिंग देखिये. अगर आप भारत की राजनीति के साम-दाम-दण्ड -भेद के सिद्धान्त को समझते हैं तो आप तुरन्त समझ जायेंगे कि EVM क्यों लाया जा रहा था..जबकि ठीक इसी समय दुनिया के कई देश इसको प्रयोग करने से इनकार कर रहे थे.

यह बहुत ही रोचक तथ्य है. जैसे उनको लगा है कि EVM का उपयोग उनके लिए बहुत उपयुक्त है तो पहली बार 2004 के आम चुनावों में इसे पूरे भारत में इंट्रोड्यूस किया गया. चुनाव हुये। कांग्रेस गठबंधन जीत गया । फिर EVM से चुनाव हुए 2009 में..फिर बहुत ज्यादा अलोकप्रिय हो चुकी यूपीए सरकार चुनकर आ गयी। इस बार उसे 207 सीटें मिलीं..यह आश्चर्य का विषय था.

इसी समय भाजपा के द्वारा इसका खुलकर विरोध किया गया । स्वामी इस मुद्दे को सुप्रीमकोर्ट ले गये। देश के शीर्ष कोर्ट द्वारा 8 अक्टूबर 2013 को निर्णय दिया कि EVM से सही, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सम्भव नहीं है। देश की शीर्ष अदालत के इस फैसले के बाद अब यह विवाद का मुद्दा ही नहीं रहा कि EVM टेम्पर या हैक हो सकती है या नहीं.

अब हमें जिन सवालों के उत्तर चाहिये वह निम्न है।

1. जब शीर्ष अदालत ने मान लिया कि EVM से फ्री फेयर एन्ड ट्रांसपेरेंट चुनाव सम्भव नहीं है तो ECI ने चुनाव 2014 EVM से क्यों करवाये?

2. जब बीजेपी के नेताओं द्वारा लगाए गये केस पर शीर्ष अदालत ने यह फैसला दिया. परन्तु जब 2014 में फिर से चुनाव EVM से होने वाले थे तो भाजपा ने विरोध क्यों नहीं किया?

3. दुनिया के सुपर तकनीकी देश या तो EVM उपयोग नहीं करते, अगर करते हैं तो VVPAT मशीन के साथ। यह अधिकांशत: विकासशील देशों द्वारा उपयोग में लाया जाता है..मेरी यह भी शंका है कि क्या कोई ऐसा अंतरराष्ट्रीय गिरोह है जो अपनी मनचाही सरकारें EVM के माध्यम से बनवाने में लगा है?

यह सवाल मौलिक है. पूछे जाने योग्य है.

1993 में बैलेट पेपर से हुये चुनाव से जब सपा-बसपा ने यूपी से कांग्रेस भाजपा दो बड़ी पार्टी "कांग्रेस-बीजेपी" दोनों को ख़त्म कर दिया था तब कांग्रेस,भाजपा घबरा गयीं कि अगर लोग सपा बसपा से जुड़ गये और इसी तरह बैलेट पेपर से चुनाव होते रहे तो कांग्रेस बीजेपी पूरे देश से ख़त्म हो जायेगी ,इसलिए ब्राह्मणों ने EVM मशीन से चुनाव कराने का षड्यंत्र रचा और उसी समय जिस EVM मशीन को यूरोप में गड़बड़ी के चलते बंद किया जा रहा था उसी मशीन को कांग्रेस, भाजपा 1999 में भारत ले आये ताकि EVM मशीन में गड़बड़ी कर धीरे धीरे सपा बसपा को यूपी से भी ख़त्म किया जा सके। पार्टियों का मतलब कांग्रेस बीजेपी का राज लाया जा सके ।  कांग्रेस और भाजपा ने मकसद 2017 में पूरा किया ,जानबूझकर धीरे धीरे किया ताकि किसी को शक न हो ।

सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार मुख्य चुनाव आयुक्त EVM को VVPAT मशीन से जोड़नेवाले हैं। उससे मतदाता को अपना वोट किसे दिया यह दिखेगा। लेकिन EVM और VVPAT की पर्ची की गिनती इकट्ठी हो, ऐसा आदेश नहीं है। इसका मतलब मतदाताओं को बेवकूफ बनाने  के सिवाय VVPAT का कोई अर्थ ही नहीं।

बाबासाहब ने कहा था लोकशाही शासनकर्ताओं की नियत (मंशा) पर निर्भर होगी। अभी के शासनकर्ता कांग्रेस और भाजपा की नियत में खोट है। बहुजनों को सत्ता से दूर रखने के लिए EVM के अलावा शासकों के पास दूसरा रास्ता नहीं। और बहुजनों के पास EVM Ban या EVM Break के अलावा रास्ता नहीं।





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