भीतर कुछ जलता है, सन्नाटा जैसे धधकती चिंगारी हो, चेहरे पर शांति का मुखौटा है, ....
ज़िंदगी एक युद्ध है, हर साँस लड़ाई है, सपनों को पुरा करने चलना है, कभी कलम से, ....
चल पड़ा हूं मगर रास्ता कहां से शुरू करूं ये दुविधा अक्सर रहती है मंजिल शुरू करन ....
जब लड़ने की क्षमता थी, लड़ न सका, कंधे उठे थे भारी—पर जमीर झुका रहा, भी ....
ख्वाहिश नहीं मुझे ....
गाँव बेचकर शहर खरीदा, कीमत बड़ी चुकाई है। जीवन के उल्लास बेच के, खरीदी हमने तन्हाई है ....
कैसे धैर्य रखूं कब तक चूप रहूं मैं ....
- फैसला अक्सर रहता है- ....
रास्ता कहां से शुरू करूं ये फैसला अक्सर रहता है मंजिल शुरू करने से पहले ये फैसला अक् ....
शशिप्रकाश की कविता - अगर तुम युवा हो ....
स्टीफेन स्पेण्डर की कविता - हम ....
A short Poem by Marshal Mangesh Gajbhiye Sir ....