समय विज्ञान की पकड़ से परे एक चेतन अनुभव Siddharth Bagde tpsg2011@gmail.com Friday, June 20, 2025, 05:53 PM समय: विज्ञान की पकड़ से परे एक चेतन अनुभव यदि समय कोई वस्तु होता, तो विज्ञान अब तक उसे नियंत्रित कर चुका होता। विज्ञान ने सैकड़ों वर्षों की खोज के बाद प्रकृति की कई शक्तियों पर नियंत्रण पा लिया है—चाहे वह ऊर्जा हो, गति हो या द्रव्य। लेकिन समय को लेकर विज्ञान की स्थिति अब भी अधिकतर सैद्धांतिक ही है। यदि समय वास्तव में किसी वस्तु की तरह होता, तो मनुष्य अब तक उसे थामने, उसकी दिशा बदलने, या कम से कम उसे थोड़ी देर के लिए रोकने में सक्षम हो गया होता। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। विज्ञान समय को समझने के लिए गणनाएं करता है—सेकंड, मिनट, घंटे, वर्ष। लेकिन यह केवल यंत्रों से मापा जाने वाला समय है, जिसे हम 'घड़ी का समय' कहते हैं। यह भौतिक समय है, जिसे विज्ञान सटीक रूप से माप सकता है, पर जो बात विज्ञान नहीं समझ सका, वह है ‘भीतर का समय’—वह समय जिसे एक मनुष्य अपने अनुभव से जीता है। हम सबने यह महसूस किया है कि खुशी के क्षण बहुत तेजी से बीत जाते हैं, और दुःख के पल मानो रुक जाते हैं। एक बच्चा जब किसी खेल में डूबा होता है, तो उसे घंटे चंद मिनटों की तरह लगते हैं, वहीं परीक्षा में बैठा छात्र एक-एक मिनट की प्रतीक्षा करता है। यही समय का मनोवैज्ञानिक पहलू है, जो हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग होता है। यही कारण है कि एक ही घड़ी के भीतर रहने वाले दो व्यक्ति, समय को एक समान नहीं जीते। अब आइए विज्ञान के उस सिद्धांत पर नज़र डालते हैं जो समय के व्यवहार को भौतिक रूप से समझाता है। आइंस्टीन का सापेक्षता सिद्धांत (Theory of Relativity) कहता है कि समय की गति स्थिर नहीं है; यह किसी वस्तु की गति और उस पर लगने वाले गुरुत्व बल पर निर्भर करती है। इसका एक प्रसिद्ध उदाहरण है—यदि कोई अंतरिक्ष यात्री बहुत तीव्र गति से अंतरिक्ष में यात्रा करता है और लौट कर पृथ्वी पर आता है, तो उसे ऐसा प्रतीत हो सकता है कि पृथ्वी पर अधिक समय बीत चुका है जबकि उसके लिए कम। इसे टाइम डाइलेशन कहा जाता है। यह सिद्धांत यह तो बताता है कि समय का प्रवाह परिस्थिति पर निर्भर करता है, परंतु यह अब भी "बाहरी समय" की व्याख्या है, न कि "आंतरिक अनुभव" की। यदि समय वास्तव में वस्तु होता, तो शायद अब तक वैज्ञानिकों ने उसे किसी बोतल में बंद कर लिया होता, या अतीत की घटनाओं तक पहुंचकर इतिहास को बदल देने की कल्पनाएं पूरी कर ली होतीं। परंतु ऐसा नहीं हो पाया, क्योंकि समय वस्तु नहीं, बल्कि एक चेतना की प्रक्रिया है—हमारे मन और मस्तिष्क में निरंतर घटती अनुभूति। विज्ञान घड़ी में चलती सुइयों को देख सकता है, पर उस सुई के पीछे जो मनुष्य का अनुभव है—जिसमें स्मृतियाँ हैं, आशाएँ हैं, प्रतीक्षा है, और मोह है—उसे नहीं पकड़ सकता। विज्ञान समय की गणना कर सकता है, पर मनुष्य का ‘वर्तमान क्षण में जीना’, ‘भूत की पीड़ा’, या ‘भविष्य की चिंता’—इन सबका कोई सूत्र विज्ञान के पास नहीं है। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि समय विज्ञान के लिए एक सैद्धांतिक विषय है, पर मनुष्य के लिए यह एक जीवंत अनुभव है। विज्ञान समय को पकड़ने की कोशिश करता है, जबकि मनुष्य उसे हर पल जीता है—कभी संतोष से, कभी भय से, कभी अधीरता से। यही समय की सबसे बड़ी विशेषता है: वह दिखाई नहीं देता, पर महसूस होता है; वह चलता है, पर कहीं नहीं जाता; वह सबका है, पर सबके लिए अलग है। Tags : 'clock time' instruments time measured years hours minutes calculations Science