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अक्से खुशबू हूं, बिखरने से न रोके कोई

TPSG

Tuesday, May 21, 2019, 09:06 AM
Gulab

अक्से खुशबू हूं, बिखरने से न रोके कोई
और बिखर जाऊ तो मुझको न समेटे कोई
कांप उठता हूं मैं यह सोच के तन्हाई में
मेरे चेहरे पर तेरा नाम न पढ़ ले कोई।
जिस तरह ख्वाब मेरे हो गए टुकड़े-टुकड़े
इस तरह से न कभी टूट के बिखरे कोई।
अब तो इस राह से वो शख्स गुजरता भी नहीं
अब किस उम्मीद पर दरवाजे से झांके कोई
कोई आहट, कोई आवाज कोई चाह नहीं
दिल की गलियां बड़ी सुनसान हैं, आए कोई।
- टीपीएसजी





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