मैं का अंहकार (अनुरोध) Siddharth Bagde tpsg2011@gmail.com Friday, April 26, 2019, 02:59 PM मैं का अंहकार (अनुरोध) आज की दुनिया में व्यक्ति दूसरो को सच को सच बोलते देखना चाहता है, यदि दूसरा व्यक्ति झूठ बोले तो वह व्यक्ति बुरा मान जाता है या इस बात के लिये लड़ने को तैयार हो जाता है। क्या कभी हम स्वयं झूठ नहीं बोलते। हम अक्सर अपने लाभ के लिये अपने हित के लिये झूठ बोलते है, और इस बात की सच्चाई को जरा सा भी स्वीकारना नही चाहते। कभी कभी हमें अहसास हो जाता है कि हम ज्यादा ही झूठ बोल रहे है तो हम इसे मनोरंजन की बात कह कर स्वयं ही टाल देते है वहां पर भी स्वीकार नहीं पाते कि हम कहां तक झूठ बोल गये। हमसे कोई कहता है कि क्या तुम ये काम कर लोगो तो हम यदि उस काम के बारे में नहीं जानते और दूसरा व्यक्ति खड़ा है जिसके सामने अपना सम्मान गिर रहा हो तो हम जोश में कह देते है कि हम कर लेगंे। और फिर सामने वाले व्यक्ति का काम न करने की बात बाद में कई बहाने बनाकर टाल देते है कि ऐसा अक्सर हम करते है। यदि हम अपने आप में खोये रहेगें अपने परिवार के लिये ही करते रहेगें और पूरे 24 घंटे खुश होने के लिये झूठ का सहारा लेगें तो फिर वह खुशी किस काम की। सुबह उठना है, फे्रश होना है, चाय-नाश्ता करना है, फिर कुछ काम किया या टी.व्ही. देखी खाने का समय हुआ खाना खा लिया, दिन में काम पर चले गये शाम हो गई शाम के समय मनोरंजन कर लिया। रात को खाना खा लिया फिर टहलने निकल गये। रात हो गई फिर सो गये। इसके बाद दूसरा दिन वैसे ही निकल जायेगा। और इस प्रकार शायद सारी जिंदगी निकल जायेगी। तुम्हारे द्वारा समाज में रहते हुये समाज के सहयोग के लिये कितना समय दिया। इसके लिये भी झूठ बोलना पडेगा कि हम ऐसे-वैसे सहयोग करते है क्या अब भी स्वीकारना शेष रह गया है जिनके लिये झूठ स्वीकारना रह गया है वे इस अनुरोध को शायद कभी नहीं समझ पायेगें। लेकिन जो समझ जायेगें वह भी शायद नाराज हो जायेगें लेकिन जो वाकई में समय देकर सच के साथ, ईमानदारी के साथ समय दे रहा है, वे एक न एक दिन इस लेख के लिये शाबाशी देगें क्योंकि कठोर से कठोर मेहनत करके अपने आपको बड़ा आदमी बना लेना कोई बड़ी बात नहीं है, बड़ी बात तो ये है कि बड़ा आदमी बने या न बने रोज के समय में 02 घंटे समाज को देने वाला व्यक्ति ही बड़ा है, उसके अमीर होने से समाज को कौन सा लाभ हो गया उसका गरीब रहकर दो घंटे रोज समाज के लिये कार्य करने से समाज का उत्थान होता और आने वाली पीढ़ि को और विकाशिलता की ओर ले जाने का उसका यह महान कार्य होता। यही सच्चाई को उसे स्वीकारना होगा अन्यथा झूठ बोले के कई बहाने है। एक अकेला व्यक्ति समाज के उत्थान का कार्य नहीं कर सकता, और थोड़े से व्यक्ति समाज को उत्थान की ओर तेजी से नहीं ले जा सकते इसमें समाज के प्रत्येक व्यक्ति का सहयोग चाहे धन, तन, मन से होना आवश्यक है तभी तुम दूसरे समाज के लिये मिसाल बन सकते हो। इसके लिये ( मैं ) के अंहकार को छोड़ना पडेगा क्योंकि इस मैं के लिये ही तो व्यक्ति झूठ के शिकंजे से निकल नहीं पाता है। सबसे पहले ( आप ) की भावना रखे। मेरा विश्वास मानिये की पहले आप पहले आप में टेªन कभी नहीं छूटेगी, बल्कि जब तक सब लोग ट्रेन में चढ़ नहीं जाते तब तक टेªन रूकी रहेगी और जिस मंजिल पर पहुंचना है वहां पहुंचा कर ही रहेगी। - सिद्धार्थ बागड़े Tags : evening time TV breakfast morning happy hours family continue