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बुद्ध धम्म का पहले ज्ञान लो (अनुरोध)

Siddharth Bagde
tpsg2011@gmail.com
Friday, April 26, 2019, 09:00 AM
Margdata

बुद्ध धम्म का पहले ज्ञान लो (अनुरोध)
हम अपने आप को बौद्धिष्ट कहते है, बाबासाहब के अनुयायी कहते है, जब हमारे सामने दूसरे समाज को व्यक्ति कहता है कि हमें बुद्ध के बारे में बताये तो हम अपने ज्ञान के स्तर से जवाब देते है और सही जानकारी नहीं दे पाते है क्योंकि हम बुद्ध के उपासक-उपासिका है ये तो मान लेते है या अपने आपको ज्ञानी भी मान लेते है लेकिन हम सही ज्ञान सही दिशा लेना नहीं चाहते। यदि कोई पूछे तो हमें सही दिशा सही ज्ञान देना है तो हमें लगातार सही पुस्तको को पढ़ना होगा तब जाकर हम बुद्ध की बात बाबासाहब की बात दूसरे लोगो के सामने रख सकते है अन्यथा आप अपने अंदर ही अंदर अपने  आप को ज्ञानी समझते रहेगें और कोई अपने ही समाज का व्यक्ति आकर कहतो है कि बुद्ध भगवान ने ऐसा कहा था, बाबासाहब ने ऐसा कहा था तब हम उससे कहते है, हमें सब मालूम है, हमें सब ज्ञान है।
आजकल दूसरे समाज के लोग बुद्ध को जानना चाहते है, बाबासाहब के विचारो को जानना चाहते है, वे लोग आने वाले समय में विहारो में आयेगें जब उन्हें सही ज्ञान सही दिशा नहीं मिलेगी तो वह वापस अंधकार में लौट जायेगें।
मेरे भाईयो बहनों हमें कभी अपने आपको ज्ञानवान न समझना जितना ज्ञान बुद्ध का, बाबासाहब का ले सको लो, किताबे पढ़ो, भंदो से सुनो, क्रार्यक्रमों में शामिल हो और तर्क के अनुसार जो सही बात लगे आत्मसात कर लो और गहन अध्ययन करो, मनन करों, चिंतन करो फिर वहीं बात लोगों से कहों तब आप सही विद्वान होगें यह बलिदान नहीं, त्याग नहीं यह आपका अपना फर्ज है, जिस समाज में हम रहते है, उसका यह कर्ज है, जिसे इस प्रकार से भी चुकाया जा सकता है।
बाबासाहब ने बुद्ध के ज्ञान को लगातार 20 वर्ष गहन अध्ययन करके समझा, पढ़ा और इतने वर्षो बाद वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे की यही धर्म (धम्म) सही है और इसे सभी को अपनाना चाहिये और सभी को बताना चाहिये ।
- सिद्धार्थ बागड़े





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