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आरक्षण के जनक लोकराजा शाहूजी महाराज

TPSG

Wednesday, May 1, 2019, 03:47 PM
Sahuji Maharaj

आरक्षण के जनक लोकराजा शाहूजी महाराज
लोकराजा राजर्षि छत्रपति शाहूजी महाराज का जन्म 26 जून 1874 को हुआ था। शाहूजी महाराज का अलसी नाम यशवंत था तथा लोग उन्हें बाबासाहब कहते थे। राजर्षि छत्रपति शाहू-महाराज का विवाह 17 वर्ष की उम्र में 1 अप्रैल, 1891 को बड़ौदा के गुणाजीराव खानविलकर की सुकन्या लक्ष्मीबाई से हुआ। उनका राजाभिषेक 2 अप्रैल 1894 अर्थात 20 वर्ष की उम्र में सम्पन्न हुआ। राजर्षि छत्रपति शाहूजी महाराज ने 1894 से 1922 मतलब 28 वर्ष राज्य का कार्यभार संभाला जिसकी भूरी-भूरी प्रसंशा सारे विश्व में हुई। शाहूजी महाराज ने अपने राज्य में राष्ट्रपति जोतिराव फुले का उद्देश्य सत्य की खोज और सत्य की प्रस्थापना करने वाले समाज का निर्माण करना था। और इसी के लिए उन्होंने शिक्षा की शुरूआत की। इसलिए शाहूजी महाराज ने अपने राज्य में इसकी शुरूआत की और अपने महान गुरू के कार्य को आगे बढ़ाया। उन्होंने सम्पूर्ण राज्य का दौरा कर निरीक्षण किया। राजर्षि छत्रपति शाहूजी महाराज के राज्यभिषेक के समय सिर्फ 158 गांवों में पाठशालाएं थी। जबकि मृत्यु के समय तक इनकी संख्या वे 579 तक पहुँचा चुके थे।
राजर्षि छत्रपति शाहूजी महाराज आरक्षण के आध जनक है। आरक्षण के नायक है। वे आधुनिक काल में सम्पूर्ण भारत में एकमात्र राजा है जिन्होंने ब्राह्राणेŸारों के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण दिया।
राष्ट्रपति जोतिराव फुले ने एक सलाह दी थी कि बहुजन समाज के होनहार व होशियार बच्चों को शिक्षा में सहायता करो। इस सलाह का शब्दशरू पालन राजर्षि छत्रपति शाहूजी महाराज व श्रीमंत सयाजीराव गायकवाड दोनों ने किया व अपनी रियासत की तरफ से बहुजन समाज के होशियार व होनहार बच्चों की शिक्षा में सहायता की। राजर्षि छत्रपति शाहूजी महाराज व श्रीमंत सयाजीराव गायकवाड ने बाबासाहब अम्बेडकर को विदेश में शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता की। 
राजर्षि छत्रपति शाहूजी महाराज ने न केवल गाँव के अन्दर के शूद्रों (पिछड़ा वर्ग) व गाँव के बाहर के अस्पृश्य वर्ग बलिक अपराधी जनजाति के लिए भी कार्य किया। समाज ने सैकड़ों वर्ष जिन्हें पास तक फटकने नहीं दिया वह अपराधी मानकर जिनकी सदियों तक उपेक्षा की उन घुमन्तू जातियों को भी उन्होंने अपने हृदय से लगाया। उनकी सैेकड़ों वर्षो की दरिद्रता दूर की व मनुष्य की तरह जीने का अधिकार दिया।
राजर्षि शाहूजी महाराज ने मुस्लिम बंधुओं की प्रगति के लिए विशेष प्रयास किए। मराठा बन्धुओं की तरह ही मुस्लिम समाज अनेक दृष्टि से पिछड़ा था। उस काल में स्वयं महाराज ने आगे आकर मुसिलम समाज के प्रतिषिठत लोगों की बैठक बुलाई व श्श्मोहमडन एजूकेशन सोसाइटी की स्थापना की वह उसके माध्यम से वे श्श्मुसिलम बोर्डिंग आरंभ किए। और इसमें विशेष बात यह थी कि महाराज स्वयं बोर्डिंग के अध्यक्ष बने। उनके राज्य में 1917 में विधवा सित्रयाँ के जीवन में उजाला भरने हेतु पुनर्विवाह का कानून बनाया। स्त्री शिक्षा के साथ ही उनके अधिकारों को सुनिशिचत करने व उनके विरूद्ध अत्याचारों को रोकने के विशेष प्रत्यन किए। विवाह का कानूनन पंजीकरण भी शुरू किया। राजर्षि छत्रपति शाहूजी महाराज हम सब को छोड़कर चले।
- राजेश मरार

 





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