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सही दिशा (अनुरोध)

Siddharth Bagde
tpsg2011@gmail.com
Saturday, April 27, 2019, 06:49 AM
sahi disa

सही दिशा (अनुरोध)
एक बार एक व्यक्ति रात के समय जलती मोमबत्ती लेकर जा रहा था उससे वहां बैठे व्यक्तियों में से एक व्यक्ति ने पूछा  - श्रीमान जी आप इतनी रात को कहां जा रहे है। श्रीमान जी का उत्तर था इंसान ढूढ़ने। उन व्यक्तियों ने कहां क्या हम इंसान नहीं है। श्रीमान जी का उत्तर था - हां, आप लोग इंसान नहीं है। आपके तो रिश्तेदार है, दोस्त है। इंसान तो वह होता है जिसे के लिये दुनिया में पैदा होने वाला हर मनुष्य, जीव-जंतु समान हो सबके लिये वह एक नजर से प्रेम की भावना रखता हो। 
आज के समय में संतो की तो बात छोड़िये अपनो पर भी विश्वास नहीं कर पा रहे है, और इसका कारण यहीं है कि हम अपनी सुख सुविधाओ में खो गये है। हम ये भी नहीं देख पाते, सोच नहीं पाते की क्या सही है क्या गलत। और यदि हम सोचते भी है क्या गलत है क्या सही तो केवल अपने हित की बात इसके अतिरिक्त और कुछ नहीं। कब हम त्याग करने के बारे में सोचते है, यदि कभी हम किसी के लिये त्याग करते भी है तो उसमें हम आगे की कोई लाभ-हित की भावना छुपाये रखते है, फिर हम क्या इंसान कहलाने लायक है।
जिस प्रकार हम कई ढ़ोगी बाबाओ, संतो, पंडितों, पूजारियों पर विश्वास करते है क्यों? इसका कारण एक ही है कि हम कुछ हित चाहते है, और वह हित कई प्रकार के हो सकते है। कितने ही बार कई बाबाओं पर, कई संत महात्माओ पर हम विश्वास करते है, लेकिन अक्सर कहीं न कहीं धोखा हो जाता है, और फिर हम किसी दूसरे बाबाओं महात्माओं के सेवा में लग जाते है। कई लोग तो अपनी प्रार्थना, फरियाद पहुंचाने वाला इन्हे समझकर अपनी व्यथा बताते है, जबकि इन लोगों ने अपनी जिन्दगी में कभी ईश्वर नहीं देखा होगा, इससे अच्छे इंसान तो आप स्वयं है, आपको कब भगवान के दर्शन हुये। ये प्रश्न आप अपने आप से करके तो देखिये। जिसे हम छू सकते है, या महसूस कर सकते है वह हमारे पास मौजूद उसे पाने की कामना कर सकते है, लेकिन जो वर्षो किसी को न दिखे, ना महसूस हो सके, ना उसका कोई अस्तित्व हो वह कभी नहीं मिल सकती । अगर कोई वस्तू, तत्व, धरती पर मौजूद है उसे सिर्फ और सिर्फ अपने कर्म से प्राप्त कर सकते है। ईश्वर को पाना भी एक अंधविश्वास है, इसके बजाय अपने परिवार का, समाज का, देश का, विश्व का हित करने का सोचे और उस कार्य मे लग जाये।
सही जीवन जीने का मार्ग यदि दिखाया है तो केवल तथागत भगवान बुद्ध ने जितना शेष जीवन बचा है, केवल और केवल बुद्ध को समझने, पढ़ने और उनके विचारो को अपने जीवन में अधिक से अधिक आत्मसात करने में लग जाना चाहिये अन्यथा वैसे भी दुःखो से भरी जिन्दगी आप जी रहे है कम से कम उनको पढ़कर, समझकर सुख का अनुभव होने लग जायेगा ये मेरा स्वयं का दावा है।
मैं आपसे केवल अनुरोध करता हूॅ कि धम्म को यदि आप पढ़ेगें तो आप को अपने आप वैज्ञानिकता के विचार उत्पन्न होगंे और आप तेजी से तरक्की करेगें। यह कोई शक्ति की बात नहीं है। बुद्ध एवं उनके धम्म से मन के विचारों को सही दिशा मिलती है और वह व्यक्ति तर्क करके सही और गलत का अंदाजा करने लग जाता है, जब उसे सही गलत का अंदाजा होता है तो वह दिशा प्राप्त करता है।
- सिद्धार्थ बागड़े

 





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