वंचितो के अधिकार (अनुरोध) Siddharth Bagde tpsg2011@gmail.com Saturday, April 27, 2019, 10:30 AM वंचितो के अधिकार (अनुरोध) मनुवादी लोग अच्छी तरह से जानते है कि भारत देश के लोग धर्म से तो जुड़ा रहना चाहते है, लेकिन धर्म की राह पर सभी चल नहीं सकते। धर्म में दी गई नैतिक शिक्षा पर चल नहीं सकते। चाहे धर्म कौन सा भी हो। लाखो में एक व्यक्ति ही धर्म को आचरण में लेकर उसके तथ्यों की पूर्ति करता है। बाकी अंधविश्वासी बनकर धर्म में लिखी गई तर्क असंगत बात को भी स्वीकार करता है, क्योंकि धर्म के नाम पर केवल वह इतना सिख पाता है कि धर्म में वह हिन्दू है, या मुस्लिम है या सिख है इसके अतिरिक्त वह कुछ ज्यादा सिखना नहीं चाहता या सिखने की कोशिश भी नहीं करता। ऐसे व्यक्ति को हम धर्म का अज्ञानी कहते है। ऐसे व्यक्ति को यदि कोई दूसरे धर्म के बारे में अच्छी नैतिक संस्कार की बात भी बताई जाये तो वह स्वीकार नहीं पाता। मनुवादी ऐसी व्यवस्था बनाये रखते है कि वह उस धर्म के संस्कार से कभी निकल ही न सके। चाहे वह संस्कार किसी भी रूप में स्वीकारने योग्य न हो। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी ईश्वर व अल्लाह पर विश्वास करने वाले धर्म है, किंतु बुद्ध का धर्म ही एक ऐसा धम्म है, जो ईश्वर न होने पर विश्वास करता है। यही धम्म सिखाता है कि तुम्हारे अंदर मन एक ऐसी शक्ति है, जो सभी अच्छे बुरे कार्य कराती है। इसी मन से जैसा सोचोगे वैसा बनोगे। ये बात मनुवादी अच्छी तरह से जानते है, लोगो के मन को कसकर रखो और उन्हें जिधर का रास्ता दिखाओगे वह उधर चल देगें। लेकिन यह बात हर वह मनुवादी जान लें कि परिवर्तन होना निश्चित हैं, क्योंकि 2200 वर्ष पहले बुद्ध के 300 वर्ष पश्चात से लोगो से पढ़ने का अधिकार, संपत्ति रखने का अधिकार छिन लिया गया था। 1950 को संविधान लागू होने के बाद शिक्षा की रफ्तार बढ़ी है, लोग जागरूक हो रहे है। ये 2500 साल की गुलामी 1950 के बाद टूटी है, आजादी प्राप्त हुई है, लोग खुशी से जी रहे है, जी भरकर जीना चाह रहे है, जब ये लोग जी भर कर जी लेंगे तब ये लोग क्रांति की ओर बढ़ेगे। चाहे कितनी मंहगाई करा लो चाहे कितनी जमीन, मकान की समस्या पैदा कर लो। ये लोग एक दिन मनुवादियों का खून पियेंगे और जितनी मनुवादियों की चीजे है, उसे ये जमिनदोंज कर देंगे। ये समय जल्द ही आने वाला है, वंचितो के अधिकार देना शुरू कर दो मनुवादियों बचने का यही तरीका है, ऐसा मैं अनुरोध करता हूॅ। - सिद्धार्थ बागड़े Tags : conducting education path walk religion people Manuvian