स्वतंत्रता का अधिकार TPSG Monday, June 3, 2019, 02:52 PM समानता, स्वतंत्रता और न्याय का अधिकार महिला-पुरूष दोनों को समान रूप से दिया गया है। इसमें किसी प्रकार का कोई लिंग भेद नहीं है, परंतु कुछ जगह पर महिलाओं और पुरूषों का वर्गीकरण किया जा चुका है। स्वतंत्रता- समानता और न्याय के साथ-साथ महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षण का काम भी सरकार का कर्तव्य है। - महिलाओं को किसी भी कार्य के लिए मना करना उनके मौलिक अधिकार का हनन होगा और ऐसा होने पर वे कानून की मदद ले सकती है। महिलाएं देश के किसी भी कोने में आजादी से जा सकती है और अपना व्यवसाय का चुनाव भी स्वतंत्र रूप से कर सकती है। - महिलाओं की खरीद, बिक्री, वेश्यावृत्ति के धंधे में जबरदस्ती लाना, भीख मांगने पर मजबूर करना आदि दण्डनीय अपराध है। ये भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत सजा का प्रावधान है। - वे सभी महिलाएं जिनके साथ किसी भी प्रकार की घरेलू हिंसा की जाती है और उनको प्रताडित किया जाता है, वे सभी रिपोर्ट दर्ज करा सकती है। - हर महिला को काम काज के बदले वेतन प्राप्त करने का अधिकार है। केवल महिला होने के कारण किसी नौकरी के लिए अयोग्य कह कर घोषित करना लैंगिग भेदभाव माना जाएगा। - हर व्यक्ति को इज्जत के साथ जीने का मौलिक अधिकार संविधान द्वारा प्रदान किया गया है। अपनी देह व प्राण की सुरक्षा करना प्रत्येक का मौलिक अधिकार है। - प्रत्येक वयस्क महिला को वोट देने का अधिकार प्राप्त है। - दहेज लेना और देना दोनों ही अपराध है। अगर वधु पक्ष से दहेज दिया जाता है तो उन पर कडी कार्यवाही होगी, यही नियम वर पक्ष पर भी लागू है। Tags : justice equality government Independence women difference gender