पुरानी डायरी का एक किस्सा TPSG Saturday, May 4, 2019, 08:04 AM पुरानी डायरी का एक किस्सा कभी-कभार ऐसा होता है कि आप जिससे अपनी बात कह रहे हैं, वह उसमें रूचि नहीं दिखाता है। ऐसा होने पर अक्सर क्रोध का अनुभव होने लगता है। हर व्यक्ति का स्वभाव अलग होता है और आप हर किसी को अपने अनुसार नहीं बदल सकते। 80 साल के एक वृद्ध व्यक्ति घर में अपने 45 साल के उच्च शिक्षित बेटे के साथ सोफे पर बैठे थे। एकाएक एक कौआ आकर खिड़की के पास बैठ गया। पिता ने बेटे से पूछा - वह क्या है? बेटे ने जवाब दिया- वह कौआ हैं। कुछ देर बाद पिता ने बेटे से फिर पूछा- वह क्या है। बेटा बोला- मैंने अभी-अभी बताया न कि वह कौआ हैं। कुछ समय बाद पिता ने तीसरी बार बेटे से वही सवाल किया। इस बार बेटा झंुझला गया। उसने चिल्लाते हुए कहा कि मैंने कितनी बार आपको कहा कि यह कौआ हैं। क्या यह बात आपको समझ में नहीं आ रही? कुछ समय बाद पिता कमरे में गए और एक डायरी लेकर आए। डायरी का एक पन्ना पलटते हुए उन्होंने अपने बेटे से पढ़ने के लिए कहा। उसमें लिखा था- आज मेरा 3 साल का बेटा घर में सोफें पर बैठा था कि तभी एक कौआ खिड़की पर आकर बैठ गया। मेरे बेटे ने 23 बार मुझसे पूछा कि वह क्या हैं? और मैंने हर बार उसे यही जवाब दिया कि वह कौआ है। मैंने हर बार उसे बड़े प्यार से बताया था और एक बार भी उस पर झुंझलाहट नहीं हुई, लेकिन बेटा तीसरी बार में ही अपने पिता पर बिफर पड़ा। दरअसल, मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और वह सबसे अलग- थलग नहीं रह सकता। हमें दूसरों के बारे में भी विचार करना होगा और वह सजग रहना होगा। हर मनुष्य की परेशानी एक-दूसरे से जुड़ी होती है। इसलिए उसका आपस में समाधान किया जाना चाहिए और अपने व्यवहार में बदलाव लाने की कोशिश करनी चाहिए। - टीपीएसजी Tags : own change different anger happens interested person Occasionally