आ गया गब्बर सिंह Siddharth Bagde tpsg2011@gmail.com Wednesday, May 1, 2019, 08:10 AM आ गया गब्बर सिंह गब्बर - क्यों रे कालियां कितने आदमी थे ? कालिया - सरदार कितनी बार कह चुके है, दो थे, दो थे फिर भी तुम हर बार पूछते हो कितने आदमी थे, कितने आदमी थे। गब्बर - वो दो थे और तुम तीन। फिर भी तुम खाली हाथ वापस आ गये। कालिया - क्या करते हम सरदार। उनकी बंदूके लेटेस्ट आ गई है, और तुमने हमें पटाखा फोडने वाली बंदूके दे रखी है, इससे तो कुत्ते भी नहीं डरते। आजकल वे लोग घोड़े छोडकर तेज दौड़ने वाली बेहतरीन कारों से घुमते है और तुमने हमें मरियल घोड़े दे रखे है। कभी कभी तो इन घोड़ो को ठेलो पर उठाकर लाना पड़ता है। गब्बर - कितनी गोलियां है, इस बंदूक में। कालिया - सरदार ! अब हम डरने वाले नहीं है, तुम्हे डायबटीज हो गया है, तुम्हे दवाई-गोलियां खाने की जरूरत है। तुम्हारे हाथ पैर भी नहीं चलते। तुम एक खटिया पर बैठे रहते हो, तंबाकू खाते हुये और वहीं बैठकर क्यों रे सांभा और क्यों रे कालिया करते रहते हो। इसके अलावा तुम्हारा कोई काम नहीं है। गब्बर - क्यों रे सांभा कब है होली। सांबा - (नीचे उतरकर) सरदार! ये रहा कैलेण्डर इसे देखा कब है होली और कब है दीवाली। जब देखो तब कहते हो कब है होली, कब है होली चिल्लाते रहते हो। हर साल होली की तारिख बदल जाती है, नये कैलेण्डर खरीद लिया करो। गब्बर - मुझे ठाकुर के पास ले चलो। मुझे उससे काम है। (गब्बर ठाकुर के पास पहुंचकर) ठाकुर - आ गये तुम ठाकुर के पास। क्या सोच के आये कि ठाकुर खुश होगा शाबासी देगा। गब्बर - अरे ठाकुर! ये मेरा डायलाग मारना बंद करो, और ये हाथ मुझको दे दो। ठाकुर - हाथ पहले ही काट चुके थे तुम गब्बर। ये हाथ तो मैने प्लास्टिक के लगाये है। गब्बर - ठीक है! जय और वीरू को मेरे हवाले कर दो। ठाकुर - अरे गब्बर! जब तेरे साथियो ने जय को मार दिया था तब वीरू तेरे अड्डे पर आया और उसने तुम्हे कुत्ते की तरह मारा। भूल गया क्या। और ये भी भूल गया क्या कि मैंने नुकीले कील लगे जुतो से तुझे मारा था। उन किलो से जितनी चोट तुम्हे नहीं लगी उससे कहीं ज्यादा कीले मेरे पांव में घुस गई। आज तक लंगड-लंगड कर चल रहा हूॅ। जा अब अपने अड्डे पर जा। सब खेल खत्म हो गया। बैठकर तंबाकू खाना। - सिद्धार्थ बागड़े Tags : picked horse excellent people Nowadays crackers latest arrived