चन्द्रशेखर आजाद की जाबांजी Sumedh Ramteke Saturday, May 4, 2019, 07:51 AM चन्द्रशेखर आजाद की जाबांजी शहीदे आजम भगत सिंह को फांसी कि सजा सुनाई जा चुकी थी, इस कारण चंद्रशेखर आजाद काफी परेशान और चिंतित हो गये। भगत सिंह कि फांसी को रोकने के लिए आजाद ने ब्रिटिश सरकार पर दवाब बनाने का फैसला लिया इसके लिए आजाद ने गांधी से मिलने का वक्त माँगा लेकिन गांधी ने कहा कि वो किसी भी उग्रवादी से नहीं मिल सकते। गांधी जानता था कि अगर भगत सिंह और आजाद जैसे क्रांतिकारी और ज्यादा जीवित रह गय तो वो युवाओ के हीरो बन जायेंगे। ऐसी स्थति में गांधी को पूछने वाला कोई ना रहता। हमने आपको कई बार बताया है कि किस तरह गांधी ने भगत सिंह को मरवाने के लिए एक दिन पहले फांसी दिलवाई। खैर हम फिर से आजाद कि व्याख्या पर आते है। गांधी से वक्त ना मिल पाने का बाद आजाद ने नेहरू से मिलने का फैसला लिया, 27 फरवरी 1931 के दिन आजाद ने नेहरू से मुलाकात की। ठीक इसी दिन आजाद ने नेहरू के सामने भगत सिंह कि फांसी को रोकने कि विनती कि। बैठक में आजाद ने पूरी तैयारी के साथ भगत सिंह को बचाने का सफल प्लान रख दिया। जिसे देखकर नेहरू हक्का -बक्का रह गया क्यूंकि इस प्लान के तहत भगत सिंह को आसानी से बचाया जा सकता था। नेहरू ने आजाद को मदद देने से साफ मना कर दिया, इस पर आजाद नाराज हो गये और नेहरू से जोरदार बहस हो गई फिर आजाद नाराज होकर अपनी साइकिल पर सवार होकर अल्फ्रेड पार्क कि होकर निकल गये। पार्क में कुछ देर बैठने के बाद ही आजाद को पुलिस ने चारो तरफ से घेर लिया। पुलिस पूरी तैयारी के साथ आई थी जेसे उसे मालूम हो कि आजाद पार्क में ही मौजूद है। आखरी साँस और आखरी गोली तक वो जाबांज अंग्रेजो के हाथ नहीं लगा, आजाद कि पिस्तौल में जब तक गोलिया बाकि थी तब तक कोई अंग्रेज उनके करीब नहीं आ सका। आखिर कार आजाद जीवन भरा आजाद ही रहा और आजादी में ही वीर गति प्राप्त की। अब अक्ल का अँधा भी समझ सकता है, कि नेहरु के घर से बहस करके निकल कर पार्क में 15 मिनट अंदर भारी पुलिस बल आजाद को पकड़ने बिना नेहरू कि गद्दारी के नहीं पहुच सकता। नेहरू ने पुलिस को खबर दी कि आजाद इस वक्त पार्क में है और कुछ देर वही रुकने वाला है। साथ ही कहा कि आजाद को जिन्दा पकड़ने कि भूल ना करे नहीं तो भगत सिंह कि तरफ मामला बढ़ सकता है। लेकन फिर भी कांग्रेस कि सरकार ने नेहरू को किताबो में बच्चो का क्रन्तिकारी चाचा नेहरू बना दिया और आज भी किताबो में आजाद को ‘‘उग्रवादी’’ लिखा जाता है। - संग्रहक - सुमेध रामटेके Tags : interpretation times situation Azad Bhagat Singh revolutionaries Gandhi