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महाबोधी ब्लास्ट एक बड़ी साजिश

TPSG

Monday, April 29, 2019, 10:19 PM
Bodhgaya-blast

महाबोधी ब्लास्ट एक बड़ी साजिश
पटना (गया)- मुस्लिम को फंसाने के लिए एक और ड्रामा रच दिया गया। देश में किये गये दूसरे धमाकों की तरह ही रविवार सुबह बिहार राज्य के बोधगया में महाबोधि मंदिर के पास एक के बाद एक 8 सीरियल ब्लास्ट किये गये । इन धमाकों में 5 लोगों के मामूली घायल होने की खबर है। हालांकि मंदिर को इन धमाकों से कोई बडा जानी माली नुकसान नही हुआ है। यह हमला किसने कराया, अभी धमाके से उत्पन्न राख और मलवा भी ठण्डा नही हुआ था, लेकिन मीडिया, आईबी और भाजपा उपासक नितिश पुलिस से उम्मीद है कि इन धमाकों के असल कर्ताधर्ताओं को बचाने के लिए अपने ही दिमागों की उपज इस्लामी नामों वाले संगठनों में से इण्डियन मुजाहिदीन के नाम की घोषणाये शुरू कर दी, जाहिर है कि हमेशा की ही तरह थोकभाव में मुस्लिमों को उठाया जायेगा।
    बोधगया के महाबोधी मंदिर के बाहर रविवार सुबह 6 बजकर 5 मिनट पर पहला धमाका हुआ और इसके बाद लगातार 7 और धमाके हुए। पुलिस ने धमाको की पुष्टि करते हुए कहा है कि मंदिर सुरक्षित है। अजीब सी बात है कि कोई मुस्लिम धमाके करे लेकिन इसका पूरा ध्यान रखे कि कोई जानी माली नुकसान भी न हो, मंदिर को भी किसी तरह की हानि न पहुंचे, ऐसा कैसे हो सकता है कि सिर्फ आवाज वाले पटाखे छोडे गये, किसी मुस्लिम को मंदिर को बचाने की या उसमें मौजूद लोगों को बचाकर धमाके करने की क्या जरूरत होगी, क्यों करेगा कोई पाकिस्तानी ऐसा? वह भी तब जबकि इतना आसान मौका मिला हो कि आराम और तसल्ली से मंदिर परिसर में जगह जगह बम लगा दिये? हर समय भरे रहने वाले मंदिर परिसर में कोई बाहरी व्यक्ति बम लगाता हो, एक दो नही बल्कि पूरे आठ बम फिर भी उसे किसी ने देखा नही? क्या बम लगाने वाला, नांदेड बम धमाके करने वाले संघ कार्यकर्ता राजकोडवार जैसा था कि उसके पास से नकली दाढी, शेरवानी, कुर्ता पायजामा बरामद हुआ। गौरतलब यह भी है कि हर धमाके की तरह ही इस धमाके की खबर आईबी को थी कि इस मंदिर पर हमला हो सकता है लेकिन किसी तरह की सुरक्षा का कोई बन्दोबस्त नही किया गया क्या? और आईबी तो बडी बात है मीडिया का कहना है कि इसकी सूचना मंदिर के मुख्य पुजारी को भी थी, इसी को बहाना बनाते हुए उसने हथियार की मांग भी की थी, अजीब सी बात है कि आतंकी हमले की सूचना पर एक पुजारी (धार्मिक व्यक्ति) हथियार की मांग करता है नाकि पुलिस सुरक्षा की, क्यों? आखिर क्या खेल खेला जा रहा था। धमाके हुए बमों की आवाज सुनाई पढने से पहले ही गुजरात व संघ पोषित मीडिया ने जिम्मेदारों के नाम की घोषणा कर दी। आईबी का भी इशारा इसी तरफ है यह अलग बात है कि स्थानीय पुलिस मौके पर मौजूद सबूतो के मुताबिक जांच के बदम बढा रही है जो कि काफी सही दिशा में चल रही है। हालांकि अमरीका और गुजरात पोषित मीडिया और आईबी अभी भी अपने दिमागों की उपज मुस्लिम नामों वाले संगठनों का ही राग अलाप कर मालेगांव, अजमेर शरीफ, मक्का मस्जिद, समझौता एक्सप्रेस के मामलों की तरह ही एक सोची समझी साजिश को कामयाब कराने की जुस्तजू में दिखाई पड रही है। यह हकीकत लगभग सारी दुनिया ही जान चूकी है कि भारत में धमाके करता कौन है और फंसाया किसे जाता है इस बार भी यही कोशिशे की जा रही है कुछ अखबारों ने तो यह तक बता दिया कि आईएम ने जिम्मेदारी ले ली है, मजे की बात तो यह है कि बार भी साईबर का सहारा लिया जा रहा हैं सभी को याद होगा कि दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर धमाकों की धमकियों और बाद में जिम्मेदारी लेने के ईमेल संघ पोषित एक न्यूज चैनल के पास आने की चीख पुकार की जा रही थी। ईमेल, या किसी भी सोशल नेटवर्क साइट पर अपना एकाउन्ट बनाने के लिए किसी तरह के पहचान पत्र को प्रमाणित कराकर देना नही होता। सभी जानते है कि कोई भी किसी के भी नाम पते से अकाउन्ट बना लेता है, ऐसे में इस बात का क्या सबूत है कि जिस ईमेल पते से उस चैनल के पते पर ईमेल भेजी गई थी वह वास्तव में ही किसी मुसलमान का था, हो सकता है कि संघ या संघ पोषित कोई सरकारी या गैरसरकारी अमला मुस्लिम नामों से अकाउन्ट चलाता है, या फिर चैनल ही खुद इस तरह की आईडी बनाकर काम दिखाता हो? इसी तरह इस बार ईमेल की जगह ट्वीटर का सहारा लिया जा रहा है। जिस तरह ईमेल आईडी में उसका बात का कोई प्रमाण नही होता कि जो अकाउन्ट बनाने और चलाने वाला अपनी ही नाम पते से बना व चला रहा है इसी तरह ट्वीटर व अन्य दूसरी नेटवर्किंग साइटो पर भी अकाउन्ट बनाने व चलाने के समय किसी तरह के पहचान प्रमाणित करने की जरूरत नही होती। हम यहां ईमेल, ट्वीटर, फेसबुक की एक एक आई लिख रहे है। क्या कोई यह प्रमाणित कर सकता है कि इन तीनों अकाउन्ट को बनाने व चलाने वाला हिन्दू है या मुसलमान, शरीफ है या अपराधी? देखिये और बताई, जवाब के लिए नीचे हमारी ईमेल लिखी जा रही है।
Emai-kadwi.baat@gamil.com, Facebook A / c Ramesh Gupta, Twiter A / c AdilShamsi @ MERI_CHUNAUTI
क्या कोई बता सकता है कि ये अकाउन्ट किस किस व्यक्ति के है इन अकाउन्टों में दी गयी जानकारियां सही है या झूठी? हम दावे के साथ कह सकते है कि किसी भी ईमेल, ट्वीटर, फेसबुक अकाउन्ट को बनाने इस्तेमाल करने वाले की वास्तविक पहचान कोई नही बता सकता केवल यह जरूर पता लगाया जा सकता है कि किस कनेक्शन (फोन नंबर) से चलाया जा रहा है वह भी तब जबकि प्रयोगकर्ता एक ही नंबर से चलाये लेकिन कैफे सुविधा के दौर में यह बताना भी नामुमकिन है कि किस नंबर से चलाया जा रहा। साथ ही हम चैलेंज के साथ कह सकते है कि देश में आज भी 50 फीसद से ज्यादा मोबाइल कनेक्शन फर्जी पहचान पत्रों से चल रहे है ऐसी स्थिति में अंसल गुनाहगार की पहचान करना मुश्किल ही नही।
    इन सारी सच्चाईयों को जानने के बाद भी दिल्ली हाईकोर्ट ब्लास्ट के संबंध में सिर्फ एक ही चैनल को मिलने वाली मेल का विस्वास कैसे किया जा सकता है? अब बोधगया के मामले में ट्वीटर अकाउन्ट की बात की जा रही है तो क्या गारन्टी है कि यह अकाउन्ट फर्जी नही है ब्लास्ट करने कराने वाले ने ही यह अकाउन्ट बनाया हो जिससे कि मुस्लिमों को आसानी से फंसाया जा सके, जैसा कि मीडिया, संघ, आईबी कोशिशे करती नजर आ भी रही है। संघ लंांबी ने कहा कि म्यामार के बदले में किये गये धमाके । क्या बात है सारे अन्तरयामी इकट्ठे हो गये संघ लांबी में। म्यामार आतंकवाद का बदला अब एक साल बाद लेंगे मुसलमान ? चलिये इन अन्तरयामियों की बात ही मान लेते है तो याद करे कि म्यामांर में आतंकियों ने सैकडो बेगुनाह मुसलमानों का कत्लेआम किया था, बोधगया में तो एक भी नही मारा गया, क्यों? क्योंकि पिछले सभी धमाकों की तरह ही ये धमाके भी मुसलमानों को फंसाने और इस्लाम को बदनाम करने के लिए पूरी सूझबूझ व एहतियात के साथ किये गये जिससे कि न मंदिर को नुकसान पहुंचे और नही वहां आने वाले श्रद्धालुओं को। इसी तरह गुजरे दिनों अफजल गुरू के कत्ल के बाद मौके का फायदा उठाते हुए हैदराबाद में भी धमाके किये गये और बडी ही आसानी से मुसलमानों को जिम्मेदार ठहराकर जुल्म शुरू कर दिये गये। मालेगांव के बम धमाके आतंकी कर्नल श्रीकांत, अतंकी प्रजा सिंह ठाकुर और उसके गैंग ने किये शुरू में ही दर्जनों मुस्लिमों को फंसाया गया, लेकिन हेमन्त करकरे ने बेनकाब कर दिया।
    अजमेर दरगाह में बम विस्फोट आतंकी असीमानंद, आतंकी इंद्रेश कुमार (आरएसएस का सदस्य) आतंकी देवेन्द्र गुप्ता, आतंकी प्रजासिंह, आतंकी सुनील जोशी, आतंकी संदीप डांगे, आतंकी रामचंद्र कलसांगरा उर्फ रामजी, आतंकी शिवम धाकड, आतंकी लोकेश शर्मा, आतंकी समंदर, आतंकी आदित्यनाथ ने किये शुरू में इन धमाकों की जिम्मेदारी मुसलमानों पर थोपने की भरपुर कोशिशे की गयी लेकिन ईमानदार अफसर ने जल्दी ही साजिश से पर्दा उठा दिया। इसी तरह मक्का मस्जिद और समझौता एक्सप्रेस के बम विस्फोट भी आतंकी असीमानंद और उसके गिरोह ने किये। नांदेड बम विस्फोट संघ कार्यकर्ता राजकोडवार ने किये उसके पास से नकली दाडी और शेरवानी, कुरता, पायजामा भी बरामद हुआ। गोरखपुर का सिलसिलेवार बम विस्फोट को आफताब आलम अंसारी पर थोपा गया लेकिन इशरत जहां और अफजल गुरू के मामलों में तैयार किये गये सबूत और अस्लाह बारूद का इन्तेजाम न कर पाने की वजह से पुलिस अंसारी को पूरी तरह नहीं फंसा सकी, बाइज्जत बरी कर दिये गये। असल जिम्मेदारों को बचाने के लिए मामला अज्ञात में तरमीम कर दिया। मुबई ट्रेन बम विस्फोट काण्ड, घाटकोपर में बेस्ट की बस में हुए बम विस्फोट, वाराणसी बम विस्फोट, में किसी मुस्लिम को फंसाने के लिए पूरा इन्तेजाम नही हो सकात तो अज्ञात में दर्ज करके दबा दिया गया। कानपुर बम विस्फोट बजरंग दल कार्यकर्ता आतंकी भूपेन्द्र सिंह छावडा और राजीव मिश्रा ने किया। गौरतलब बात यह है कि इन सभी आतंकियों सरकार दस दस साल से सरकारी महमान बनाकर पाल रही है आज तक अदालत सजा सुनाने तक नही पहुंची जबकि कसब और अफजल गुरू के मामलों दो साल के अन्दर ही सजा सुनाकर ठिकाने लगा दिया गया।
    दरअसल देश में धमाके करने वाले यह जानते है कि अब कोई दूसरा हेमन्त करकरे पैदा नही होगा जो इनके चेहों से नकाब हटाकर दूध का दूध पानी का पानी करके दिखा दे, और हरेक मामले की जांच भी सीबीआई से नही कराई जाती इसलिए साजिशे करने वालों सभी रास्ते पूरी तरह आसान हो गये है, पूरे इत्मिनान के साथ बम लगाकर धमाके कर रहे है। ऐसा नही कि मुसलमानों के खिलाफ की जा रही साजिशों में सिर्फ आरएसएस, आईबी, मीडिया ही शामिल हो बल्कि इसमें कांग्रेस भी पूरी तरह से शामिल हैं गुजरात आतंक के हाथो किये गये मुस्लिम कत्लेआम से खुश होकर मास्टर माइन्ड को सम्मानन व पुरस्कार दिये जाने की कांग्रेसी करतुत को देख ले या इशरत जहां के कत्ल का मामला ही उठाकर देखे, आईबी, सोनिया गांधी नामक रिमोट से चलने वाले केन्द्र की कांग्रेस बाहुल्य यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार के नियन्त्रण में है और इसके बावजूद आईबी ने बेगुनाह लडकी इशरत जहां के कत्ल की साजिश रीचकर उसका कत्ल करा दिया, हैदराबाद ब्लास्ट को लेकर भी मुस्लिमों को फंसाने के साथ ही अब बोधगया मंदिर में ब्लास्ट करने वालों को बचाने के लिए मुस्लिमों को जिम्मेदार ठहराना शुरू कर दिया, और केन्द्र सरकार आईबी की कारसाजियों को देखकर गदगद हो रही है। क्या नही रोक रही आईबी को मुसलमानों के खिलाफ संघ लांबी के साथ मिलकर साजिशे रचने से? क्योंकि कांग्रेस आरएसएस का ही दूसरा रूप है और सोने पर सुहागा कांग्रेस की लगाम हमेशा से ही नेहरू परिवार के हाथों में रही है नेहरू की मुसलमानों के खिलाफ साजिश का ही नतीजा है कि देश का बंटवारा हुआ।
    खैर, अब बात करे बोधगया मंदिर में किये गये धमाकों की। सवाल यह है कि बोधगया में धमाके करने का उद्देश्य क्या था? हम बताते है इन धमाको का उद्देश्य क्या है। धमाके कराने के दो मुख्य उद्देश्य है पहला यह कि मंदिर जैसे धार्मिक स्थान पर धमाके होने से हिन्दू वोट का एकीकरण होगा जिसका पूरा पूरा फायदा आगामी लोकसभा चुनावों में आरएसएस यानी (बीजेपी) को होना तय है और बीजेपी की सीटे बढने का मतलब है प्रधानमंत्री की कुर्सी हासिल करके पूरे देश में गुजरात आतंकवाद को दोहराये जाने की योजना। दूसरा मकसद यह कि मंदिर में धमाके की जिम्मेदारी आईबी और मीडिया के साथ मिलकर मुसलमानों पर थोंपकर मुसलमान और इस्लाम को पूरी तरह से आतंकी मजहब घोषित कर देने की योजनाये। धमाके करने वालों की मजबूती यह है कि वे जानते है कि न तो इन धमाकों की जांच सीबीआई से कराई जायेगी और न ही अब हेमन्त करकरे वापिस आकर असल आतंकियों को बेनकाब करेंगे।
    कुल मिलाकर अब मुसलमान को सोचना होगा कि उसे क्या करना है? वोटों  के सौदागर मुल्लाओं के झांसे में आकर वोट बर्बाद करके पूरे देश में गुजरात कायम कराना है या फिर गुजरे उ0प्र0 विधानसभा चुनावों की तरह ही लोकसभा चुनावों में भी मुस्लिम वोट की ताकत का एकसास कराना है। हमारा मतलब यह नही कि इस लोकसभा चुनावों में भी सपा को ही चुना जाये बल्कि मतलब यह है कि अपने अपने क्षेत्र में सिर्फ उस प्रत्याशी को एकजूट होकर वोट करें जो बीजेपी प्रत्याशी को हराने की स्थिति में हो, साथ ही कांग्रेस से बच कर रहने में ही मुसलमान की भलाई है।
संग्रहक - टीपीएसजी

 





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