महात्मा फुले जी का ब्राह्मणों के भगवान परशुराम को खुला पत्र TPSG Tuesday, April 30, 2019, 01:47 PM महात्मा फुले जी का ब्राह्मणों के भगवान परशुराम को खुला पत्र चिरंजीव परशुराम अर्थात आदिनारायण के अवतार को तात, परशुराम! तुम ब्राह्मणों के ग्रंथों की वजह से चिरंजीवी हो। करेला कड़वा क्यों न हो, किंतु तुमने विधिपूर्वक करेले खाने का निषेध नहीं किया है। परशुराम, तुमको पहले जैसे मछुओं की लाश से दूसरे नए ब्राह्मण पैदा करने की गरज नहीं पड़ेगी, क्योंकि आज यहाँ तुम्हारे द्वारा पैदा किए गए जो ब्राह्मण हैं, उनमें कई ब्राह्मण विविधज्ञानी हो गए हैं। अब तुम्हें उनको बहुत ज्यादा ज्ञान देने की भी आवश्यकता नहीं रहेगी। इसलिए हे परशुराम! तुम यहाँ आ जाओ और जिन ब्राह्मणों ने शूद्र मालियों द्वारा खेत में उत्पन्न गाजरों को छुप-छुप कर खाया है, उन सभी ब्राह्मणों को चंद्रायन प्रायश्चित दे कर, उन पर तुम वेदमंत्रों के जादू की सामर्थ्य से पहले जैसे कुछ चमत्कार अंग्रेज, फ्रेंच आदि लोगों का दिखा दो, बस हो जाएगा। हे परशुराम, तुम इस तरह मुँह छुपा कर, भगोड़ा बन कर मत घूमा करो। तुम इस नोटिस की तारीख से छह माह के भीतर-भीतर यहाँ पर उपस्थित हो सके, तब मैं ही नहीं, सारी दुनिया के लोग, तुम सचमुच में आदिनरायण के अवतार हो, ऐसा समझेंगे और लोग तुम्हारा सम्मान करेंगे। लेकिन यदि तुम ऐसा न कर सके तो यहाँ के महार-मातंग हमारे पीछे छुप कर बैठे हैं। वे लोग तुम्हारे विविधज्ञानी कहलानेवाले ब्राह्मण बच्चों को खींच कर बाहर ले आएँगे और उनके भांडो के इकतारा (तुनतुना, एकतारी वाद्य)का तार टूट जाएगा औरा उनकी झोली में पत्थर गिर जाएँगे। फिर उन्हें विश्वामित्र जैसे भूखे, कंगाल रहने पर इतनी मजबूरी का सामना करना पड़ेगा कि उनको कुत्ते का मांस भी खाना पड़ सकता है। इसलिए हे परशुराम, तुम अपने विविधज्ञानी ब्राह्मणों पर रहम खाओ, ताकि उन पर विपत्ति के पहाड न टूट पड़े। तुम्हारा सत्यरूप देखनेवाला ज्योतिराव गोविंदराव फुले तारीख 1 ली महीना अगस्त सन 1872 पूना, जूनागंज मकान नं. 527 (ज्योतिबाफुल रचनावली, पेज नं. 184-185) Tags : created earlier Brahmin properly bitter