imagesimagesimagesimages
Home >> खास खबर >> ईवीएम के डाटावेस अकाउंट से छेड़छाड़ संभव

ईवीएम के डाटावेस अकाउंट से छेड़छाड़ संभव

TPSG

Monday, April 29, 2019, 04:23 PM
EVM

ईवीएम के डाटावेस अकाउंट से छेड़छाड़ संभव
ईवीएम के डाटावेस अकाउंट में छेड़छाड़ संभव है ? गुमनाम कथित वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के सनसनीखेज पत्र से हड़कम्प विधानसभा चुनाव के दौरान इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन की निष्पक्षता और विश्वसनीयता को लेकर उठ रहे सवालो को लेकर संदेह गहराता जा रहा है। हाल ही में कुछ पराजित उम्मीदवारों के पास आए एक गुमनाम पत्र ने राजनैतिक हलकों में तहलका मचा दिया है। पत्र लिखने वाले ने अपने आपको वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी होने का दावा करते हुए जो बातें लिखीं हैं, वे चैकाने वाली है। इस पत्र में ईवीएम के साॅफ्टवेयर बदल कर छेड़छाड़ कर डाटावेस अकाउंट (डीसीजी) में हेराफेरी करने की बात कहीं गई है, और इस तकनीकि छेड़छाड़ के लिए ब्रिटेन में प्रशिक्षित भारतीय इंजीनियरों का हाथ होना बताया गया है, जो कि इसी खास काम के लिए मध्यप्रदेश आए थे। यह सनसनीखेज पत्र ईएमएस कार्यालय को भी प्राप्त हुआ है, जिसमें लिखीं कुछ खास बात यह है, कि प्रशासन तंत्र ने चुनाव आयोग से मिलकर ईवीएम में भारी गड़बड़ी की है। गुमनाम पत्र लिखने वाले ने कहा कि मैं एक जिम्मेदार अधिकारी हूँ और गैर जिम्मेदाराना बातें करना मेरे स्वभाव में नहीं है। आपको बताना चाहता हूँ कि विशेष प्रशिक्षित इंजीनियरों ने डाटावेस अकाउंट रिपोर्ट साफ्ट सिस्टम (आईसीडी) को पीछे कर दिया था। पोलिंग एजेन्ट इस बात के सबसे बड़े गवाह हो सकते हैं, कि पोलिंग ऐजेन्ट ने ईवीएम में एक चिप लगी देखी होगी, लेकिन मतगणना के दौरान यह चिप नहीं मिली होगी। यह चिप एक मोबाईल सिम जैसी होती है, जो इलेक्ट्राॅनिक तरंगों के द्वारा न्यूट्रान एवं प्रोटोन को विखंडित कर मंडलाकर वृत में  ठीक रोबोट जैसा कार्य करती है। दरअसल यह साइबर सेल द्वारा संचालित साफ्टवेयर की मेमोरी सिस्टम में इस तरह सेट होती है कि मेमोरी में जिस चिन्ह को सी लाॅक किया जाता है, आप चाहे जिस बटन को दबायें लेकिन जिसकी मेमोरी फीड होगी उसी को वोट मिलेगी वोट उसी के खाते जायेगा मतदान केन्द्र 40 से लेकर 140 तक ऐसी ही चिपे लगायी गयी थी जो मतदान एजेन्टों द्वारा लगायी गयी थी इसमें से बहुत से मतदान अधिकारी खरीदे गये। गड़बड़ी का पता न लगे इसलिये उनका आदमी या एजेन्ट 2 या 3 बजे के लगभग यह चिप हटा लेता था ताकि कुछ वोट अन्य प्रत्याशियों को मिल जावे शक न हो मतदाता किसी को वोट देते रहे और वोट किसी को मिलता रहा। पत्र लिखने वाले ने इस बात का उल्लेख किया है, कि 22 नवम्बर को यह खुफिया रिपोर्ट और सट्टा बाजा को भापने के बाद सत्तारूढ़ दल चैकन्नी हो गई। और एक विधानसभा सीट को जिताने के लिये डेढ से दो करोड़ रूपये सायबर सेल पर खर्च किया गया। जबलपुर जिले की चार विधानसभा सीटें कांग्रेस के पक्ष में जाती दिख रही थी, जिन्हें मैनेज किया गया। पश्चिम और पाटन चूंकि भाजपा के पक्ष में जाती दिख रही थी इसलिए चूक हो गई संयोगवश ये सीटें कांग्रेस के पाले में चली गई। पत्र लिखने वाले ने यह भी उल्लेख किया है, कि 23 नवम्बर 2003 को कांग्रेस के प्रदेश के तमाम दिग्गज नेताओं को भी चेताया था लेकिन वे सब सोते रह गए और बाजी पलट गई। पत्र लिखने वाले ने एक सनसनीखेज बात यह भी लिखी है कि निर्वाचन तंत्र से जुड़े उच्च अधिकारियों खासकर निर्वाचन आयोग के अफसरों व उनके परिजनों के खाते और सोना खरीदने के प्रमाण जुटाए जाए तो यह बात साफ हो जाएगी। प्रदेश की करीब 60 ऐसी सीटे है, जिन्हें भाजपा हर कीमत पर हार रही थी, वे सीटे 40 हजार से अधिक मतों से जीत गई। तभी तो अधिकांश भाजपा समर्थक और आम जनता भी आश्चर्यचकित है कि ऐसा कैसे हो गया। यह पत्र लिखने वाले कथित वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने यह अपेक्षा की है कि तमाम राजनैतिक दल लामबद्ध होकर ईवीएम को तुरंत जप्त कराए और पूरे मामले की सीबीआई से जाँच कराने का दबाव बनाएं अन्यथा निर्वाचन तंत्र के हाथों लोकतंत्र ऐसे ही बिकता रहेगा।?
अब्दूल अजीज सिद्दीकी

 





Tags : elections voting machine electronic authenticity candidacy administrative EVM possible