सरेआम उड़ी सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जिया TPSG Thursday, January 7, 2021, 09:12 PM MPPSC रिजल्ट* *सरेआम उड़ी सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जिया* आज दिनांक 21 दिसंबर को मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग का रिजल्ट घोषित किया गया। रिजल्ट में अजीबोगरीब विचित्रता देखने को मिली। हाल के ही सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में कहा गया है कि अनारक्षित श्रेणी सबके लिए मेरिट का आधार है। इसके बावजूद भी अनारक्षित श्रेणी एवं ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) का कट ऑफ एक समान 146 अंक कैसे हो सकता है? 146 अंक वाले अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्र को मेरिट के आधार पर अनारक्षित वर्ग में समायोजित क्यों नहीं किया गया? इसके साथ ही एक सबसे बड़ी विसंगति सभी आरक्षित वर्ग की महिलाओं के साथ में हैं। सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि अगर किसी आरक्षित वर्ग से कोई महिला अनारक्षित वर्ग से ज्यादा अंक प्राप्त करती है ,तो उसे मेरिट के आधार पर अनारक्षित वर्ग में समायोजित किया जाए। इसकी बजाय महिलाओं को उन्हीं के कोटे एससी /एसटी/ ओबीसी/EWS के हॉरिजॉन्टल रिजर्वेशन कोटे के अंदर ही सीमित कर दिया गया। जिससे 33% महिलाओं के रिजर्वेशन को उन्हीं के पुरुष वर्ग के अभ्यर्थियों के कोटे में सीमित कर दिया गया है, जिससे प्रत्येक श्रेणी में महिला एवं पुरुष अभ्यर्थियों के कट ऑफ में असंभावित वृद्धि हुई है। जो कि न्याय के नैसर्गिक सिद्धांत के खिलाफ है। अगर कोई अभ्यर्थी चाहे वह किसी भी कोटे से हो अगर ज्यादा अंक प्राप्त करता है तो उसे मेरिट स्थान देने से नहीं रोका जा सकता। अगर इस प्रकार की विसंगत के खिलाफ कोर्ट में अर्जी दायर नहीं की जाती है तो इसी प्रकार की विसंगति मुख्य परीक्षा एवं अंतिम चयन के समय भी होगी। क्योंकि कई आरक्षित वर्गों का आरक्षण प्रतिनिधित्व जनसंख्या के आधार पर नहीं दिया गया है इसके बावजूद भी उन्हें कम कोटे के अंदर सीमित किया जाता है तो यह न्याय की मूल भावना एवं चयन के मेरिट आधार के खिलाफ है। वर्टिकल आरक्षण वंचित वर्गों को संविधान के समतामूलक न्याय के आधार पर प्रदान किया गया है। इसी के अंतर्गत 33% महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने के लिए होरिजेंटल आरक्षण का प्रावधान है इसके बावजूद भी जो महिलाएं पुरुष मेरिट आधार पर चयन प्राप्त करते हैं उनको मेरिट स्थान अनारक्षित वर्ग में योग्यता के आधार पर स्थान प्राप्त करने का अधिकार है। उदाहरण स्वरूप -आरक्षण परिसीमन ना होने के कारण ओबीसी वर्ग की 54% जनसंख्या को 14% आरक्षण में सीमित कर दिया जाना कहां तक उचित है? वह भी मेरिट के चयन से वंचित करके। इसके लिए सभी संबंधीजनों ईडब्ल्यूएस / एससी एसटी ओबीसी/एवं अन्य विकलांग कोटे के उम्मीदवारों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तत्काल परिपालन के लिए माननीय हाईकोर्ट में याचिका दायर करनी चाहिए. एवं तत्काल संशोधित चयन सूची जारी करने हेतु निर्देशित किया जाना चाहिए। इस प्रकार की प्रणाली से वर्गवार आरक्षण निम्न प्रकार से है:- *वर्ग*. *जनसंख्या%*. *आरक्षण%* *सामान्य/* 12.3 (40+10)% EWS *50%* OBC 51.09% 14% SC 15.51% 16% ST 21.1% 20% इस प्रकार मात्र 12.3% सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी 50% आरक्षण का आनंद उठा रहे हैं। *अब आगे क्या करना चाहिए*- अब EWS,SC,ST,OBC,विकलांग वर्ग,सैनिक वर्ग के उम्मीदवारों एवम् महिला उम्मीदवारों को तत्काल माननीय हाईकोर्ट में जाकर प्रारम्भिक परीक्षा परिणाम एवम् मुख्य परीक्षा पर तत्काल रोक लगाने हेतु एवं माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश का परिपालन करवा कर संशोधित परिणाम जारी करवाने हेतु याचिका दायर की जानी चाहिए। ओबीसी महेंद्र सिंह लोधी प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी महासभा म.प्र Tags : horizontal category directive Supreme Court category discrepancies