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प्राचीन इराण का बौद्ध धर्म

TPSG

Saturday, December 19, 2020, 10:48 AM
Zoroastrianism

जोराष्ट्रीयन धर्म मतलब प्राचीन इराण का बौद्ध धर्म|

इराण के प्राचीन जोरास्ट्रीयन धर्म (Zoroastrian religion) पर बौद्ध धर्म का गहरा प्रभाव था| तथागत बुद्ध नैतिक मूल्यों पर आधारित विश्व की पुनर्स्थापना करना चाहते थे| जोरास्ट्रीयन धर्म में भी "विश्व की नैतिक संरचना ( moral order of universe)" बताई गई है, जिसे जोराष्ट्रीयन धर्म में "असा (asa)" कहा गया है|

जोराष्ट्रीयन धर्म की मुख्य देवता "अहुरा मजदा" मतलब "मगध के तथागत बुद्ध" ही है, और उसमें दिवों का अर्थात द्विज ब्राम्हणों का विरोध बताया गया है| जोराष्ट्रीयन धर्म में अहुरा मजदा के अनुयायीओं को स्वर्ग बताया गया है, तो द्विजों को "द्रुज (druj)" कहकर उनके लिए नरक का रास्ता दिखाया गया है|

बौद्ध धर्म की सम्यक क्रिया (right action) को जोराष्ट्रीयन धर्म में 'ह्वारस्ता', सम्यक वाचा (right speech) को 'हुक्सत्वा' और सम्यक मन (right thinking) को 'हुमाता' कहा गया है| (Soderblom, p. 108) बौद्ध धर्म के बालपंडित सुत्त की तरह मुर्ख और पंडित व्यक्ति के अच्छे और बुरे गुणों का वर्णन जोराष्ट्रीयन धर्म के अवेस्ता और अन्य गाथा ग्रंथों में किया गया है| यास्ना, IX, 31 में यह बताया गया है कि, "जो व्यक्ति सम्यक वाणी और विचारों को संग्रहित करता है, लेकिन उन्हें अपनी कृति में नहीं उतारता, उसे "असेमौआ (asemaoua)" कहना चाहिए|

जोराष्ट्रीयन धर्म को माजदा धर्म (Mazdaism) भी कहा जाता है| माजदा धर्म के लोग रोज उठकर सुबह इस सूत्र का पठन करते थे- "सभी अच्छे कार्य, अच्छी बोली और अच्छे विचार मनुष्य को स्वर्ग ले जाते हैं, लेकिन सभी बुरे कर्म, बुरी वाणी और बुरे विचार मनुष्य को नर्क ले जाते हैं|" (Annales du musee guimet tome, XXIV, Fragments Westergaard, 3,2) यह कथन बौद्ध धर्म के अंगुत्तर निकाय और बालपंडितसुत्त के कथन से मिलता है|

इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि, प्राचीन इराण का जोराष्ट्रीयन धर्म (Zoroastrianism) या माजदा धर्म (Mazdaism) वास्तव में बौद्ध धर्म ही था|

-- डा. प्रताप चाटसे, बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क





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