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महामंगलसुत

Narendra Shende
narendra.895@rediffmail.com
Thursday, January 9, 2020, 03:22 PM
Mahamangalsutta

बुद्ध* के बताये हुए 38 मंगल कर्म जिसे *महामंगलसुत* कहा जाता है, निम्न प्रकार है :-

1. मुर्खों की संगति नहीं करना

2. बुद्धिमान लोगों की संगति करना

3. शीलवान लोगों की संगति करना

4. अनुकूल स्थान पर निवास करना

5. कुशल कर्मों का संचय करना (अच्छा काम करना) 

6. कुशल कर्मों को करने में हमेशा रत रहना

7. अधिक से अधिक ज्ञान हासिल करना

8. यन्त्र विद्या/ टेक्नीकल हुनर/skilful work/ तकनीकी काम सीखना

9. व्यवहार कुशल और विनम्र होना

10. विवेकशील होना

11. सुंदर वक्ता होना

12. माता पिता की सेवा करना

13. पत्नी और बाल बच्चों का पालन पोषण करना। 

14. अकुशल कर्म न करना (बुरा काम न करना) 

15. नि:स्वार्थ भाव से दान देना

16. धम्म का आचरण /पालन करना

17. सगे संबंधियों का आदर सत्कार करना

18. कल्याणकारी कार्य करना

 19. किसी को शरीर, वचन और मन से तकलीफ देने वाला काम न करना

20. नशीले पदार्थों का सेवन न करना

21. धम्म के कार्य में सदैव तत्पर रहना

22.  गौरवशाली व्यक्तित्व निर्माण करना 

23. विनम्र स्वभाव बनाना

24.  पूर्ण रूप से संतुष्ट और तृप्त रहना

25. सदा कृतज्ञता का भाव रखना

26. समय समय पर धम्म चर्चा करना

27. क्षमाशील होना

28. आज्ञाकारी होना

29. भिक्षुओं व शीलवान लोगों के दर्शन करना (सानिध्य में रहना) 

30. मन को एकाग्र करना

31. मन को निर्मल बनाना

32. हमेशा सजग/जागरूक रहना

33. पंचशील का पालन करना

 34. चार आर्य सत्य का बोध रखना

35. जीवन में अष्टांगिक मार्ग का आचरण/पालन करना

36. निर्वाण का साक्षात्कार करना

37.  लोकप्रिय धम्म लाभ- हानि, यश - अपयश, सुख- दुख, जय - पराजय से विचलित न होना

38. अंधविश्वास रहित, शोकरहित, निर्मल मन वाला और निर्भीक होना





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