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सनातन संकल्पना बौद्धो की

Villash Kharat
vilaskhrat1818@gmail.com
Sunday, February 9, 2025, 03:08 PM
sanatan

सनातन संकल्पना बौद्धो की है।

सयुंक्त निकाय(3.140) में बुद्ध को कमल के रूप के दर्शाया है।कमल जैसे जल पर पैदा होता है लेकिन वह जल में नही रहता बल्कि जल के ऊपर रहता है और जबकि अशुद्धि उसे स्पर्श नही करती।उसी तरह तथागत संसार में पैदा होते है लेकिन कमल पुष्प की तरह वे संसार के ऊपर उठते है और संसार की अशुद्धि उन्हें स्पर्श नही करती।बौद्ध धम्म में बहते संसार को निर्गुण निराकार विश्व कहा है।उसी को आतंकवादी शंकराचार्य मायावाद कहता है।वह संसार प्रवाही और अनित्य है यानी शून्य के समान है। नागार्जुन के शून्यता सिद्धांत की चोरी कर आतंकवादी शंकराचार्य ने उसे मोहमाया कहा था।सगुन,निर्गुण यह बौद्धो के ही संकल्पनाओं से बनी है।तथागत बुद्ध ने कहा है कि विश्व प्रवाही है और जैसे कि प्राणियों का जन्म होना और बाद में मरना या एक वस्तु का निर्माण होना ,बाद में नष्ट होना यह एक वैश्विक सत्य है जो कभी नही बदलता।बुद्ध का धम्म इन वैश्विक सत्य को बतानेवाले धम्म होने के कारण उसे "एस धम्मो सनतंनो" अर्थात उसे ही सनातन धम्म कहा गया है।सनातन धम्म की तरह तथागत बुद्ध को सदधर्म पुण्डरीक सूत्र में सनातन बुद्ध कहा गया है।इसी बौद्ध संकल्पना को ब्राम्हणो ने चुराकर उसपर अपनी मलकियत दिखाना शुरू किया।लेकिन प्राचीन बौद्ध साहित्य ,शिल्प होने के कारण विदेशी ब्राम्हणो की चोरी पकड़ी गई।

विदेशी ब्राम्हणो के धर्म का नाम न ही हिंदू है और न ही सनातन धर्म है।बल्कि उनके धर्म का नाम वैदिक धर्म,ब्राम्हण धर्म है!





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