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फर्क साधारण व्यक्ति और ज्ञानी में

TPSG

Saturday, May 4, 2019, 07:45 AM
worshiping

फर्क साधारण व्यक्ति और ज्ञानी में
एक भिक्षु प्रातः चारिका के लिए निकले तो मार्ग में एक उपासक ने अभिवादन करने के पश्चात पूछा ‘हे श्रमण साधारण आदमी और ज्ञानी पुरूष में क्या अन्तर है ?’
    भिक्षु बोले - ‘गृहस्थ सुन! समुद्र में चारों ओर का जल इकट्ठा होता है, उसका कोई आदि श्रोत नहीं है, इसलिए उसका पानी खारा, कडुवा है, उसे कोई सेवन नहीं करता, झरना, नहीं, श्रोत धरती के अतंह्दय से होता है। जिसने सिर्फ इधर उधर से ज्ञान विद्या अजिर्तत कर ली है, किन्तु ह्दय की गहराइयों से जो जुड़ा नहीं है, वह समुद्र जैसा ही है किन्तु जिसने अपने मन की गहराईयों को स्पर्ष कर लिया है। खूब मथ लिया है, वह निर्झर की तरह है ज्ञानी पुरूष है ‘वह गृहस्थ भिक्षु के आगे श्रद्धाभाव से नतमस्तक हो गया।‘
- टीपीएसजी

 





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