दिमाग का आपरेशन बाकी Kisan Bothey Monday, April 29, 2019, 07:42 AM दिमाग का आपरेशन बाकी एक व्यक्ति की एक आँख खराब हो गयी , वह सरकारी विभाग में एक बहुत बड़े पद पर कार्यरत था ।* *वह डॉक्टर के पास गया । डॉक्टर ने बड़े इत्मीनान से उसकी आंखें चैक करके कहा आपकी एक आंख का तो आपरेशन करना पड़ेगा।* *ठीक है डा. साहब आपरेशन कर दीजिए। डा. ने आपरेशन कर दिया आंख ठीक हो गयी ।* *आँख ठीक होते ही वह एक हलवाई की दुकान पर गया और लड्डू खरीदे और मंदिर चला गया।* *मन्दिर जाकर उसने सभी देवी देवताओं की मूर्तियों के आगे शीश नवाया और पुजारी के गल्ले में 1100 रुपए दान भी दिए । अंत में एक बड़ी मूर्ती के सामने आकर बोला माँ तेरे रहमो करम से मेरी आँख ठीक हो गई है ।* *किसी ने डा. के पास जा कर बोला साहब आपके ऑपरेशन से उसकी आंखें ठीक हुई लेकिन वह मूर्ख व्यक्ति तो मंदिर में जाकर लड्डू चढ़ा रहा है , पुजारी को दान दे रहा है । डा. ने बड़े धैर्य से कहा भैया जी मैने तो सिर्फ उसकी आँख का ही आपरेशन ही किया है उसके दिमाग़ का तो आपरेशन होना अभी बाकी है और वो ऑपरेशन किसी अन्य डॉक्टर के पास नही है उसके लिए डॉक्टर अम्बेडकर को दिल से पढ़ना पड़ेगा , जानना पड़ेगा और फिर मानना पड़ेगा वरना इन पेटू पाखण्डी पुजारियों की जेब ही भरती जाएगी , चाहे बच्चे का जन्म हो , शादी हो या जीवन मे कोई भी संस्कार हो , परीक्षा में पास हों सबका क्रेडिट देवी देवताओं को ही देते आए हैं । भला इन देवी देवताओं ने इनकी पिछली पीढ़ियों को क्यों नही इतनी पढ़ाई करवाई , इतने ऊंचे ओहदे क्यों नही दिए , इतनी धन माया क्यों नही दी , इतने ऊंचे और पक्के मकान , दुकान क्यों नही दिए । सब देवी देवता यहीं तो थे । पहले इन्हें कोई अपने पास भी फटकने नही देता था , पढ़ना लिखना तो बहुत दूर की बात है ।* *अतः हमारे समाज में ऐसे बहुत से लोग हैं जिनके दिमाग का आपरेशन होना अभी बाकी हैं। यह आप्रेशन उन्हें स्वयं ही करना है वो सम्भव है , अपनी विचारधारा को पाखंड और मनुवाद की तरफ से अम्बेडकरवाद की तरफ मोड़कर । इसके बाद भी उनकी जिम्मेवारी खत्म नही हो जाती उन्हें अपने समाज के अन्य ऐसे व्यक्तियों को भी जगाना है जो अपने माँ बाप और स्वयं के संघर्ष को देवताओं की कृपा समझते रहे हैं और ब्राह्मणों को पूज रहे हैं जब की उनके समाज के लोग देश के कई स्थानों पर बुरी तरह पिट रहे हैं , लताड़े जारहे है , अपमानित हो रहे हैं ।* *सदैव ध्यान रहे कि अम्बेडकरवाद एक ऐसी टेबलेट है जो ऊपर से टेस्ट करने में जितनी कड़वी लगती है उतना ही यह अंदर जाकर दिमाग की सारी ग्रंथियां खोल देती है सारी भ्रांतियां दूर कर देती है । खास तौर पर शिक्षित व्यक्तियों का । उधर ब्राह्मणवाद एक ऐसी टेबलेट है जो ऊपर से बहुत मीठी और दिखने में सुंदर है लेकिन इसका प्रभाव बहुत जहरीला है और यह टेबलेट अंदर जाकर पूरे जीवन का सत्यानाश कर देती है उभरने नही देती, अपना ही नही अपनी आने वाली पीढ़ियों के जीवन का भी सात्यानाश कर देती है ।* किशन बोथे Tags : department government employed worn eyes operation Brain