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नैतिकता के आधार

Nilesh Vaidh
nileshvaidh149@gmail.com
Monday, April 29, 2019, 03:13 PM
Man

नैतिकता के आधार
मनुष्य की नैतिकता के तीन ही आधार हैं - मन, कर्म और वचन। मनुष्य का मन अच्छा हो तो वह स्वयं अपने प्रति अच्छे विचार रखता है और दूसरो के लिये भी मन में अच्छाई रखता है। मनुष्य यदि अपने लिये अच्छा कर्म करें तो लोगो में अपने लिये अच्छी भावना उत्पन्न कर लेता है और दूसरो के लिये भी अच्छा कर्म करे तो वह अपने लिये पुण्य का संचय करता है। पुण्य का संचय से तात्पर्य है कि वह लोगो के दिलों में प्रेमपूर्वक निवास करता है, न किसी इसका तात्पर्य किसी स्वर्ग-नर्क के लिये संचय से। उसी प्रकार वचन व्यक्ति के सच, झूठ और नियम पर निर्भर करता है, यदि व्यक्ति बातों का पक्का है, तो वह वचन का पालन करेगा और यदि मिथ्यावादी है तो वह व्यक्ति विश्वसनीय नही होगा और वचन का पालन करने के लिये उसे नियम का पालन करना होगा। 
चोरी करना, झूठ बोलना, हिंसा करना, बुराई करना, क्रोध करना, लालच करना, धोखा देना, उपहास उड़ाना, कड़वे वचन बोलना, छल-कपट ये मन की विकृतियां हंै। ऐसे लोग परिश्रमी नहीं होते उनमें धैर्य नहीं होता उनके पास आलस अत्यधिक होता है। आलस्य और बहाने बाजों के कई कारण हो सकते है, उन्हे कोई कार्य नहीं करना होता तो वे बहाने बाजी करते है जैसे - आज बहुत ठंड है, ठंड में काम नहीं होगा, आज बहुत गर्मी है, गर्मी में काम नहीं होगा। अभी रात हो गई है, सुबह देखा जायेगा। बहुत जोर से भुख लगी है, पहले भोजन कर लिया जाये। मन का स्थिर न होना,  मन का भटकना भी एक आलस्य ही है।
मन पर भगवान बुद्ध ने उपदेश दिया है कि ‘‘मन एक बर्तन के समान है। यदि यह मन रूपी बर्तन अपवित्र है तो इसमें उत्पन्न होने वाले विचार भी अपवित्र होंगे। मन हमेशा विचलित होता है, इसके लिए मन को पाप कर्म में न लगाना और कुशल कर्म करना मन को नित्य संकल्पो से स्वच्छ निर्मल करते रहने से ही यह मन स्थित हो सकता है।’’
बुद्ध का धम्म ऐसा धम्म है जो मनुष्य को तृष्णा के अंधेरे से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाने के साथ उसे दुखों से मुक्त कर उसके लिये सुख और समृद्धि के द्वार खोलता है।
एक बार तथागत भगवान बुद्ध चारिका कर रहे थे उस समय भिक्खुओ के साथ चल रहे थे तब उन्होने उपदेश दिया ....
भिक्खुओं! इस संसार में चार तरह के लोग होते हैं।
(1) जिसने न अपना भला किया और न किसी दूसरे का भला किया।
(2) जिसने दूसरों का भला किया, किन्तु अपना भला नहीं किया।
(3) जिसने अपना भला किया, किन्तु दूसरों का भला नहीं किया।
(4) जिसने अपना भी भला किया तथा दूसरो का भी भला किया।
तथागत भगवान बुद्ध ने मन के तीन आधार पर ही यह बात कही है। यदि मनुष्य उपरोक्त तीनो नैतिकता के विचारो पर सही पालन करे तो व्यक्ति का जीवन सही होगा।
- निलेश वैद्य





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