जीवन की दिशा और परिवार की भूमिका Siddharth Bagde tpsg2011@gmail.com Friday, June 20, 2025, 06:12 PM "संघर्ष से सफलता तक: जीवन की दिशा और परिवार की भूमिका" यह जीवन एक यात्रा है, जो अनजाने से प्रारंभ होती है और अनुभवों से संवरती जाती है। जीवन के प्रारंभ में जब हम इस संसार में आते हैं, तो हमारे चारों ओर की किसी भी चीज़ की समझ नहीं होती। हम बिलकुल शून्य होते हैं—बिना ज्ञान, बिना अनुभव, बिना पहचान के। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे हम दुनिया को देखना, समझना और पहचानना शुरू करते हैं। लेकिन उस समय हम जो भी समझते हैं, वह हमारी आयु और अनुभव के अनुरूप सीमित होता है। जब हम एक या दो वर्ष के होते हैं, तब हमें केवल अपनों की उपस्थिति, उनका स्नेह और भोजन की आवश्यकता महसूस होती है। जीवन की ज़रूरतें बस इतने तक सिमटी रहती हैं। लेकिन उसके बाद धीरे-धीरे हमारे मन और मस्तिष्क सक्रिय होने लगते हैं। तभी समाज और परिजन हम पर अनेक अपेक्षाएँ थोपने लगते हैं। हमारे नन्हे हाथों में पेंसिल, चॉक, किताबें और बस्ता पकड़ा दिया जाता है। तब से एक नई यात्रा शुरू हो जाती है—जिसमें हमारी इच्छाओं से अधिक माता-पिता और समाज की अपेक्षाएँ महत्व रखने लगती हैं। सुबह स्कूल की तैयारी, शाम को होमवर्क और रट्टा मारने की प्रक्रिया एक दिनचर्या बन जाती है। समय के साथ-साथ सख्तियां और अपेक्षाएं दोनों बढ़ने लगती हैं। इस समय हमें बड़ा बनने के लिए, सफल होने के लिए कई तरह की जानकारी एकत्रित करनी पड़ती है। हम हर उस विषय को जानने का प्रयास करते हैं जो हमारे भविष्य के लिए उपयोगी हो सकता है। विशेष रूप से सामान्य ज्ञान, जो हर क्षेत्र में सहायक होता है, वह हमारी पढ़ाई का मूल बन जाता है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर ‘क्या आप जानते हैं?’ जैसी पुस्तकें लिखी जाती हैं। ऐसी पुस्तकों का उद्देश्य न केवल जानकारी देना होता है, बल्कि जीवन के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण भी विकसित करना होता है। कई बार हम कई बातें जानते हैं, लेकिन फिर भी उनसे अनभिज्ञ रहते हैं। इस प्रकार की रचनाएं हमें जागरूक करती हैं, प्रेरणा देती हैं, जीवन को नई दिशा देती हैं। कुछ लेख हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं, तो कुछ लेख जीवन की कठिनाइयों से जूझ रहे लोगों को हिम्मत और साहस देते हैं। क्योंकि जीवन वास्तव में एक संघर्ष है। और इस संघर्ष से ही असली सफलता निकलती है। यदि हम सही दिशा में चलें, और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहें, तो एक न एक दिन मंज़िल अवश्य मिलती है। लेकिन यदि हम रास्ते में भटक जाएं, विशेषकर अपने करियर के चयन में या अपने जीवन की दिशा तय करने में, तो आगे की पूरी यात्रा दुखों, संघर्षों और परेशानियों से भरी हो सकती है। इसलिए कम उम्र से ही अपने जीवन की मंज़िल तय कर लेनी चाहिए और उस मंज़िल से कभी विचलित नहीं होना चाहिए। जब मंज़िल मिलती है, तब हमारी भी एक पहचान बनती है। फिर केवल माता-पिता की मनमर्जी नहीं चलती—बल्कि हमारी अपनी सोच, हमारा आत्मबल और निर्णय लेने की क्षमता सामने आती है। हालांकि माता-पिता का मार्गदर्शन तब भी हमारे साथ रहता है, और यही एक आदर्श गृहस्थ जीवन की परंपरा है—जहां बुज़ुर्गों का अनुभव और नवयुवकों की ऊर्जा साथ-साथ चलती है। Tags : identity knowledge absolutely world life